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________________ आचार्यश्री विद्यासागर जी के साहित्य पर हुए एवं हो रहे शोध कार्य डॉ. शीतलचन्द्र जैन दिगम्बर जैन समाज के ज्योतिर्मय नक्षत्र एवं जैन श्रमण- 4. डॉ. चन्द्रकुमार जैन (सहा. प्राध्यापक-हिन्दी विभाग, संस्कृति के उन्नायक, बाल ब्रह्मचारी 214 साधकों के दीक्षा- | शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगाँव-491441 प्रदाता सन्तशिरोमणि आचार्यप्रवर श्री विद्यासागर जी महाराज ने छत्तीसगढ़), आवास-22/227, किला पारा, राजनांदगाँव, 07744सन् 1968 में जो कलम थामी, उससे अद्यतन 'मूकमाटी' महाकाव्य, 25647 के द्वारा डॉ. गणेश खरे (प्राचार्य-शासकीय महाविद्यालय, 6 संस्कृत शतकम्, 1 चम्पूकाव्य,राष्ट्रभाषा में 10 शतक, 3 काव्य धुमका (राजनांदगाँव) छत्तीसगढ़) के कुशल निर्देशन में "आचार्य संग्रह, प्राकृत-अप्रभंश-संस्कृत में लिखित पूर्वाचार्यों के 24 ग्रन्थों श्री विद्यासागर कृत 'मूकमाटी' का सांस्कृतिक अनुशीलन" विषय का श्रुतिमधुर काव्यानुवाद एवं लगभग 40 प्रवचन संग्रह सर्जित पर पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) के होकर जिनवाणी के अक्षय भण्डार के निधि बन चुके हैं। आपके | अन्तर्गत शोध प्रबन्ध आलेखित कर पी-एच.डी. उपाधि प्राप्त की। द्वारा लिखित इस विपुल वाङ्मय पर देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों 5. रमेश चन्द्र मिश्र (प्राध्यापक-हिन्दी विभाग, वासवानी पर अभी तक जो शोध कार्य हुए या हो रहे हैं, उनका विवरण डिग्री कॉलेज, बैरागढ़, भोपाल, म.प्र.) ने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय निम्नानुसार है: भोपाल के अन्तर्गत डॉ. वृषभ प्रसाद जैन (रीडर-प्राकृत, तुलनात्मक 1. डॉ. ( श्रीमती) आशालता मलैया (प्राध्यापिका-संस्कृत | भाषा एवं संस्कृति विभाग, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, सम्प्रतिविभाग, महिला महाविद्यालय, सागर, आवास-32 एल.आई.जी. | हिन्दी व्याकरण इकाई-महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय पद्माकर नगर, मकरोनिया, सागर-470004, मध्यप्रदेश, 07582- I (महा.) आवास ए-1/12, सेक्टर-एच, अलीगंज, लखनऊ-226 30093) के द्वारा डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के अन्तर्गत | 024, उ.प्र. 0522-322263 (नि.), 323671 (कार्या.)) के "संस्कृत शतक परम्परा एवं आचार्य विद्यासागर के शतक" विषय | निर्देशन में "मूकमाटी महाकाव्य के प्रतीकों का वैज्ञानिक पर शोध प्रबन्ध लिखकर सन् 1984 में पी-एच.डी. उपाधि प्राप्त | विश्लेषण' विषय पर सन् 1990 में एम.फिल. हेतु लघु शोध की गई। यह शोध प्रबन्ध स्व. श्री बाबूलाल जैन, जयश्री आइल | प्रबन्ध लिखा। यह प्रबंध शक्ति प्रकाशन, 58 सुल्तानिया रोड, मिल्स, गवलीपारा, दुर्ग (छत्तीसगढ़) द्वारा 1989 में प्रकाशित भोपाल म.प्र. से प्रकाशित है। हुआ है। 6. श्रीमती किरण जैन (द्वारा-डॉ. जे.के.जैन, वरिष्ठ प्रवक्ता2. श्रीमती कल्पना जैन (द्वारा-अरविन्द कुमार जैन, | वाणिज्य विभाग, 13-टीचर्स हॉस्पिटल, विश्वविद्यालय, सागर) एन.सी.पी.एच. कॉलरी,पो. हल्दीवाड़ी, चिरमिरी छत्तीसगढ़ के | के द्वारा लिखित डॉ. सुरेश आचार्य (रीडर एवं अध्यक्ष-हिन्दी द्वारा डॉ. के.एल.जैन (हिन्दी विभागाध्यक्ष-शासकीय स्नातकोत्तर | विभाग-डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय,सागर, म.प्र.) के निर्देशन विद्यालय, टीकमगढ़, मध्यप्रदेश) के निर्देशन में अवधेश प्रताप | में "जैन-दर्शन के सन्दर्भ में मुनि विद्यासागर जी के साहित्य का सिंह विश्वविद्यालय,रीवा, म.प्र. के अन्तर्गत "मूकमाटी महाकाव्यः | अनुशीलन" नाम से सन् 1992 में पी-एच.डी. का शोध प्रबन्ध एक अनुशीलन" नामक लघु शोध प्रबन्ध लिखा गया। स्वीकृत हुआ। 3. डॉ. बारेलाल जैन (रिसर्च एसोसिएट-महाकवि केशव 7. मेहेर प्रसाद यादव, एल.डी.आर्ट्स कॉलेज, अहमदाबाद अध्यापन एवं अनुसन्धान केन्द्र, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यलाय, गुजरात के द्वारा डॉ. शेखरचन्द्र जैन (पूर्व प्राचार्य एवं हिन्दी रीवा, आवास- दिगम्बर जैन मन्दिर परिसर, कटरा,रीवा) ने डॉ. विभागाध्यक्ष-श्रीमती सद्गुणा सी.यू.आर्ट गर्ल्स कॉलेज, के.एल. जैन (आवास-नूतन विहार कॉलोनी, ढोंगा, टीकमगढ़- अहमदाबाद, आवास-25, शिरोमणी बंगलोज, बड़ोदरा एक्सप्रेस 472001, मध्यप्रदेश-07683-42290, 40907) के निर्देशन में हाइवे के सामने, सी.टी.एम. चार रास्ता के पास, हाइवे, पी-एच.डी. उपाधि "हिन्दी साहित्य की सन्त काव्य परम्परा के अहमदाबाद-380026, गुजरात, 079-5892744,589177) के परिप्रेक्ष्य में आचार्य विद्यासागर के कृतित्व का अनुशीलन' नामक निर्देशन में गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद के अन्तर्गत शोध प्रबन्ध लिखकर प्राप्त की। यह शोधप्रबन्ध निर्ग्रन्थ साहित्य "आचार्य कवि विद्यासागर जी के प्रबन्ध 'मूकमाटी' का प्रकाशन समिति,पी-4, कलाकार स्ट्रीट, कोलकाता-700007, समीक्षात्मक अध्ययन" विषय पर लघु शोध प्रबन्ध सन् 1992 में पश्चिम बंगाल से प्रकाशित हुआ है। ग्रन्थ प्राप्ति हेतु (033)239- | लिखा गया। 887, 2389-3182, 239-8794 (239-8241, फैक्स 238- | | 8. नरेश चन्द्र गोयल के द्वारा (स्व.) डॉ. नरेन्द्र भानावत 3833 पर सम्पर्क किया जा सकता है। । (प्रोफेसर एवं अध्यक्ष-राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, राज.) -जुलाई 2002 जिलभाषित 17 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524264
Book TitleJinabhashita 2002 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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