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________________ के मार्गदर्शन में सन् 1991 में "आचार्य विद्यासागर जी कृत । पर पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। इस प्रबंध में आचार्य 'मूकमाटी: एक अध्ययन' " नामक लघु शोध प्रबन्ध आलेखित | विद्यासागर के मूकमाटी' महाकाव्य पर विस्तृत शोधात्मक विचारकिया गया। विमर्श किया गया है। . 9. सुश्री सीमा जैन (सुपुत्री हरप्रसाद जैन, जैन मुहल्ला, 14. श्रीमती सारिका जैन ने (द्वारा राकेश सिंघई 'पत्रकार' बगलबाडा रोड, बरेली (रायसेन) के द्वारा डॉ.जे.पी. नेमा (हिन्दी 66-67 पंचशील नगर, सेकेण्ड बस स्टॉप, भोपाल, म.प्र. के द्वारा विभागाध्यक्ष, शासकीय महाविद्यालय, बरेली (रायसेन) म.प्र.) डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के अन्तर्गत सन. 1993 में के निर्देशन में सन् 1992 में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल के डॉ. एच.एम.बैस (प्राचार्य विश्वविद्यालयीन शिक्षा महाविद्यालय, अन्तर्गत "आचार्य श्री विद्यासागर जी कृत 'मूकमाटी' महाकाव्यः | सागर) के निर्देशन में लघु शोध प्रबन्ध एम.एड. हेतु “आचार्य श्री एक साहित्यिक मूल्यांकन" पर लघु शोध प्रबंध लिखा गया है। विद्यासागर जी के व्यक्तित्व एवं शैक्षिक विचारों का अध्ययन" 10. नरेन्द्र सिंह राजपूत (अध्यापक-शासकीय उच्चतर | लिखा है। माध्यमिक विद्यालय, पटेरा (दमोह, म.प्र.) के द्वारा लिखित डॉ. 15. श्रीमती प्रतिभा जैन (शिक्षिका-लिटिल स्टार पब्लिक हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के अन्तर्गत डॉ. भागचन्द्र जैन | स्कूल, मकरोनिया, सागर, म.प्र.) के द्वारा आचार्य श्री विद्यासागर 'भागेन्दु' (पूर्व प्राध्यापक-संस्कृत विभाग, शासकीय महाविद्यालय, | जी की कृति 'मूकमाटी' का शैक्षिक अनुशीलन" डॉ. हरीसिंह दमोह आवास-28, सरोज सदन, सरस्वती कालोनी, दमोह, गौर विश्वविद्यालय, सागर के अन्तर्गत विश्वविद्यालयीन शिक्षा 470661, म.प्र. कुशल मार्गदर्शन में "संस्कृत काव्य क विकास महाविद्यालय के डॉ. बी.पी. श्रीवास्तव के निर्देशन में वर्ष 1993 में" बीसवीं शताब्दी के जैन मनीषियों का योगदान" विषय पर में लधु शोध प्रबन्ध एम.एड. हेतु लिखा गया। सन् 1992 में पी-एच.डी. का शोध प्रबन्ध स्वीकृत किया गया। 16. डॉ. (श्रीमती) माया जैन (द्वारा-डॉ. उदयचन्द्र जैन, इसमें आचार्य विद्यासागर जी द्वारा लिखित 5 संस्कृत शतकों पर अध्यक्ष-प्राकृत विभाग, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, शोधात्मक परिशीलन देखने को मिलता है। यह शोध प्रबन्ध आचार्य आवास-'पिउकुंज' 3-अरविन्द नगर, जैन स्थानक के पासज्ञानसागर वागर्थ विमर्श केन्द्र सेठजी की नसिया, ब्याबर-305901 393 001 उदयपुर, राजस्थान) के द्वारा सुखाड़िया विश्वविद्यालय, अजमेर राज.) एवं भगवान् ऋषभदेव ग्रन्थमाला, श्री दिगम्बर जैन उदयपुर के अन्तर्गत विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग के एसोशिएट अतिशय क्षेत्र मंदिर संघीजी,सांगानेर-303 902 (जयपुर) राजस्थान प्रोफेसर डॉ. पी.आर. मालीवाल के निर्देशन में पी-एच.डी. हेतु से संयुक्त रूप में प्रकाशित है। शोध प्रबन्ध लिखा गया। यह प्रबंध भगवान् ऋषभदेव ग्रन्थमाला, 11. डॉ. विमलकुमार जैन (पूर्व हिन्दी विभागध्यक्ष-डॉ. श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मन्दिर, संघी जी, सांगानेर-303 जाकिर हुसैन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली, आवास-29/23 902 (जयपुर) राज. से प्रकाशित हुआ है। शक्तिनगर, दिल्ली 110007) के द्वारा सन् 1993 में डी.लिट. उपाधि 17. श्रीमती मंजुलता जैन (द्वारा-रविकुमार जैन, दूरदर्शन रिले केन्द्र, नरसिंहपुर, म.प्र. के द्वारा बरकतउल्लाह विश्वहेतु शोध प्रबन्ध 676 पृष्ठों में लिखा गया। ज्ञानोदय संस्थान जैन विद्यालय,भोपाल, म.प्र. के संस्कृत विभाग के अन्तर्गत डॉ. भागचन्द्र बाग, वीर नगर, सहारनपुर-247001, उ.प्र. से यह शोध प्रबन्ध जैन 'भागेन्द्रु' (पूर्व सचिव-म.प्र. संस्कृत अकादमी, भोपाल) के प्रकाशित हुआ है। जो "महामनीषी आचार्य श्री विद्यासागर: जीवन | निर्देशन में "आचार्य विद्यासागर: व्यक्तित्व एवं कृतित्व" विषय एवं साहित्यिक अवदान" शीर्षक से मुद्रित है। पर पी-एच.डी. हेतु शोधरत हैं। 12. डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन 'भारती' (प्राध्यापक-हिन्दी 18. सुश्री अनीता जैन (द्वारा-शीतलचन्द्र जैन, जैन स्टील विभाग, सेवा सदन महाविद्यालय, बुरहानपुर आवास-एल. 65, | एवं फर्नीचर मार्ट, सिलवानी (रायसेन) म.प्र.) के द्वारा बरकतउल्लाह न्यू इंदिरा नगर-ए, अहिंसा मार्ग, बुरहानपुर-450 331 (खण्डवा) विश्वविद्यालय, भोपाल के अन्तर्गत शासकीय हमीदिया कला एवं मध्यप्रदेश 07325-57662) के द्वारा डॉ. हरीसिंह गौर विश्व- वाणिज्य महाविद्यालय,भोपाल, म.प्र.के डॉ. प्रदीप खरे, सहायक विद्यालय, सागर के तत्कालीन हिन्दी विभागध्यक्ष डॉ. बलभद्र प्राध्यापक, दर्शन विभाग के मार्गदर्शन में वर्ष 1997 में लघु शोध तिवारी के निर्देशन में 'स्वातन्त्रयोत्तर हिन्दी जैन साहित्य और प्रबन्ध आलेखित किया गया। आचार्य विद्यासागर के समग्र साहित्य का अनुशीलन' विषय पर 19. श्रीमती सुनीता दुबे (ओ. सहा. प्राध्यापक-एस.एल. डी.लिट्. उपाधि हेतु शोध प्रबन्ध लिखा जा रहा था। जैन महाविद्यालय, विदिशा द्वारा-श्री रमेश दुबे, गाँधी नगर कॉलोनी, 13. डॉ. श्रीमती सुशीला सालगिया (प्राचार्य-क्लाथ मार्केट टीलाखेड़ी रोड, विदिशा म.प्र.) के द्वारा बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, गणेश गंज, इंदौर, आवास- भोपाल म.प्र. के अन्तर्गत डॉ. शीलचन्द्र जैन पालीवाले/ हिन्दी 10-साउथ राज मोहल्ला, इन्दौर) के द्वारा अहिल्या विश्वविद्यालय, विभागाध्यक्ष, एस.एस.एल. जैन कॉलेज, विदिशा- 464001, इंदौर, म.प्र. के अन्तर्गत डॉ. परमेश्वर दत्त शर्मा एवं डॉ. दिलीप आवास-19, वाचनालय मार्ग, विदिशा, म.प्र. के कुशल निर्देशन । चौहान (प्राध्यापक-हिन्दी विभाग, बी.एस.शासकीय महाविद्यालय, में सन् 2002 में "आचार्य विद्यासागर की लोकदृष्टि और उनके देपालपुर (इन्दौर) म.प्र. के मार्गदर्शन में "जैन विषयवस्तु से काव्य का अनुशीलन" विषय पर पी-एच.डी. हेतु शोध प्रबन्ध सम्बद्ध आधुनिक हिन्दी महाकाव्यों में सामाजिक चेतना" विषय | प्रस्तुत किया गया। 18 जुलाई 2002 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524264
Book TitleJinabhashita 2002 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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