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प्राकृतिक चिकित्सा
दमा का उपचार
डॉ. रेखा जैन
लक्षण
होने पर होता है। 1. यह एक एलर्जिक रोग है और मुख्यत: इसके दौरे 4. लंबे समय तक सर्दी-खाँसी, श्वास नली या गले की प्रातः एवं सायं 2 बजे के मध्य पड़ते हैं, लेकिन रोग पुराना होने सूजन, ब्रोन्काइटिस आदि रोगों के पश्चात् प्रायः दमा का रोग होने पर किसी भी समय पड़ जाते हैं।
की संभावना होती है। 2. इस रोग में श्वास नलिकाएँ सिकुड़ जाती हैं जिससे दमा की प्राकृतिक चिकित्सा पर्याप्त मात्रा में वायु फेफड़ों को नहीं मिल पाती, इसलिए साँस 1. शरीर की शुद्धि के लिए एक सप्ताह का उपवास तथा खिंचकर आता है।
नींबू, गुड़, पानी पर रखते हैं। 3. दमा दो प्रकार का होता है
2. हल्के गर्म पानी का एनिमा देते हैं। 1. फेफड़ो से संबंधित दमा (BRONCHIAL ASTHMA) 3. सप्ताह में दो दिन या आवश्कतानुसार कुँजल कराने से
2. हृदय से संबंधित दमा (CARDIAC ASTHMA) एवं गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करने से आमाशय एवं गला 1. BRONCHIAL ASTHMA
साफ हो जाता है तथा उसके साथ नाक, गले तथा फेफड़ों का इसके अंतर्गत श्वास नलिकाएँ सिकुड़ जाती है, जिससे | कफ भी बाहर आ जाता है। साँस लेने में कठिनाई होती है।
4. पेट और पेडू पर गर्म-ठंडा सेंक देकर मिट्टी की ठंडी 2. CARDIAC ASTHMA
पट्टी रखते हैं। इसके अंतर्गत हृदय में दुर्बलता आती है। जिसके कारण 5. छाती पर ठंडी पट्टी बाँधकर एवं सिर पर ठंडे पानी का हृदय पर्याप्त मात्रा में रक्त परिसंचरण नहीं कर पाता और अंततः तौलिया रखकर गर्म पाद एवं हस्त स्नान कराने से लाभ होता है। आक्सीजन कम मात्रा में मिलती है।
6. पूरे शरीर की तिल या सरसों के तेल से मालिश करके ___4. दमा में रोगी का चेहरा साँस खिंचने के कारण लाल प्रातः काल 20-30 मिनट का सूर्य स्नान करने से जीवनशक्ति हो जाता है।
बढ़ती है। 5. जब यह रोग अत्यधिक पुराना हो जाता है तो रोगी को । 7. इलाज के दिनों में रोज ठंडा कटि स्नान लेने से आँत घुटने पेट से लगाकर आगे झुककर साँस लेने में अच्छा लगता है। शुद्ध होती है। इसके बाद दोनों समय टहलने जाएँ। 6. फेफड़ों में सूजन आ जाती है।
8. तिल के तेल से छाती की मालिश करने के बाद गर्म7. स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों को अधिक होता है। ठंडा सेंक देने से अत्यधिक आराम मिलता है। इसके अतिरिक्त
8. दौरे आने से पूर्व सूचना देने वाले लक्षण- नाक छाती पर वाष्प देने के बाद ठंडा पैक देकर ऊपर से गर्म कपड़े से बहना, सिर में भारीपन, घबराहट, बैचेनी, नाक खुजलाना, नाक लपेट देते हैं। या गले की अन्त:त्वचा की उत्तेजना, खराश एवं सूजन, शरीर में 9. यदि रोगी अत्यधिक कमजोर नहीं है तो रोगी को भारीपन, रीढ़, पीठ तथा कमर में दर्द ।
वाष्पस्नान (STEAM BATH) देते हैं। कारण
____ 10. रात्रि को सोने से पूर्व एवं प्रात: 10-15 मिनट भाप में 1. डॉ. के. लक्ष्मण शर्मा के अनुसार दमा एक ऐसा | साँस लेना तथा छोड़ना चाहिए। इसके लिए (FACIALएलर्जिक रोग है जो शरीर में किसी भी पदार्थ के मुँह अथवा नाक STEAM) लेते हैं। द्वारा जाने पर या संपर्क में आने पर उससे उत्पन्न एलर्जी के कारण यौगिक क्रियाएँ एवं प्राणायाम होता है।
1. अनुलोम-विलोम प्राणायाम तथा लंबी गहरी साँस लेने 2. आधुनिक विज्ञान को मानने वाले ALLOPATHIC | से फेंफड़े मजबूत होते हैं तथा मन शांत रहता है। DOCTOR मानते हैं कि दमा, शरीर के अन्दर स्थित HISTAMIN 2. नेति - सर्वप्रथम जल नेति, फिर रबर नेति तथा जब ये रसायन के उग्र रूप धारण करने पर होता है।
दोनों क्रियाएँ ठीक होने लगे तो धोती नेती करानी चाहिए। ___3. प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार दमा की रोगप्रतिरोधक | 3. आसन - पवन मुक्तासन, सर्वांगासन, भुजगांसन, क्षमता के कम होने पर श्वास-नलिकाओं अथवा हृदय के प्रभावित | धनुरासन, जानुशिरासन, योग मुद्रा, आकर्ण- धनुरासन, ताड़ासन
-जून 2002 जिनभाषित 27
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