SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रभा. सिंघई (सुपुत्री पं. खुशालचन्द्र शास्त्री, पोस्टमास्टर बड़ा । निर्देशन में "आचार्य ज्ञानसागर के हिन्दी साहित्य का समीक्षात्मक मलहरा छतरपुर 471311 म.प्र.)ने “आचार्य ज्ञानसागर की हिन्दी | अध्ययन " विषय पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। साहित्यिक कृतियों का अनुशीलन' विषय पर लघुशोध प्रबन्ध 18. हेमन्त रावत (2/2 त्रिदेवीनगर, इन्दौर, मध्यप्रदेश) सन् 1997 में लिखा। के द्वारा डॉ. संगीता मेहरा (सहायक प्राध्यापिका-संस्कृत विभाग, 11. सुश्री मीना जैन (प्रसन्न कुमार जैन, 63, सरायपुरा, शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, इन्दौर, मध्यप्रदेश) ललितपुर, उ.प्र.) ने डॉ. रमेशचन्द्र जैन प्राध्यापक संस्कृत-विभाग के निर्देशन में "आचार्य ज्ञानसागर प्रणीत वीरोदय काव्य की वर्द्धमान कॉलेज, बिजनौर उ.प्र. के निर्देशन में महात्मा ज्योतिबा सूक्तियाँ" विषय पर शोध प्रबन्ध देवी अहिल्या विश्वविद्यालय फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय बरेली उ.प्र. के अन्तर्गत महाकवि | इन्दौर के अन्तर्गत लिखा गया। ज्ञानसागर के साहित्य में 'पर्यावरण संरक्षण : एक अध्ययन' 19. श्रीमती विमलेश तंवर के द्वारा डॉ. कपूरचन्द्र जैन विषय लेकर पीएच.डी. उपाधि प्राप्त की। (अध्यक्ष-संस्कृत विभाग, कुंदकुंद जैन महाविद्यालय, खतौली 12. सुश्री नीता जैन (सुपुत्री श्री चुन्नीलाल जैन, स्टेट बैंक मुजफ्फरनगर उत्तरप्रदेश) के मार्गदर्शन में चौधरी चरणसिंह के पास, सिविल लाइन्स, ललितपुर, उत्तरप्रदेश) ने महात्मा | विश्वविद्यालय, मेरठ, उत्तरप्रदेश के अन्तर्गत "जयोदय महाकाव्य ज्योतिबाफुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली उत्तरप्रदेश के में अलंकार विधान" विषय पर पीएच.डी. हेतु शोध प्रबंध लिखा अन्तर्गत डॉ. रमेशचन्द्र जैन (प्राध्यापक-संस्कृत विभाग, वर्द्धमान | जा रहा है। कॉलेज, बिजनौर, उत्तरप्रदेश) के मार्गदर्शन में "आचार्य श्री | 20. सुश्री सविता जैन (सुपुत्री जिनेन्द्र कुमार जैन, सिंघई ज्ञानसागर के महाकाव्यों में प्रतिपादित भारतीय संस्कृति" विषय | सेठ जैन मंदिर के बाजू में, पुराना बाजार नं. 1, दमोह मध्यप्रदेश) पर पीएच.डी. शोध उपाधि प्राप्त की। के द्वारा प्रो. एस.डी. तिवारी (संस्कृत विभाग, शास. महाविद्यालय 13. नरोत्तमलाल शर्मा (प्रधानाध्यापक-राजकीय प्रवेशिका दमोह) के निर्देशन में डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के संस्कृत विद्यालय, खेतड़ी (झुन्झुनु) राजस्थान) के द्वारा डॉ. बी.एल. अन्तर्गत "जयोदय महाकाव्य एवं नैषधीय चरित्र का तुलनात्मक सेठी इतिहास विभाग-सेठ मोतीलाल नाताकोत्तर महाविद्यालय, अध्ययन' विषय पर पीएच.डी. उपाधि प्राप्त करने के लिए शोध झुन्झुनु, राजस्थान के निर्देशन में राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर प्रबन्ध लिखा जा रहा है। के अन्तर्गत "आचार्य ज्ञानसागर विरचित जयोदय महाकाव्यः 21. कैलाशचन्द्र शर्मा ने डॉ. शीतलचन्द्र जैन (प्राचार्यएक सांस्कृतिक अध्ययन" विषय पर पीएच.डी. का शोध प्रबन्ध | श्री दिगम्बर जैन आचार्य संस्कृत महाविद्यालय, मनिहारों का लिखा जा रहा है। रास्ता,जयपुर) के निर्देशन में राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, 14. सुश्री सविता जैन (द्वारा- अनिलकुमार जैन, विजय राजस्थान के अन्तर्गत "सुदर्शनोदय काव्य : काव्यशास्त्रीय टॉकीज रोड, माता मढ़िया के पीछे, सागर, मध्यप्रदेश) के द्वारा अध्ययन" विषय पर पीएच.डी. शोध उपाधि सन् 2001 में प्राप्त डॉ. ओ.पी.हर्ष (प्राध्यापक एवं अध्यक्ष-संस्कृत विभाग, शासकीय की। हमीदिया कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय,भोपाल) के निर्देशन 22. श्री दिगम्बर जैन आचार्य संस्कृत महाविद्यालय, में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल के अन्तर्गत "जयोदय और | मनिहारों का रास्ता, जयपुर राजस्थान के शोध छात्र राकेश कुमार बृहत्त्रयी का तुलनात्मक अनुशीलन" विषय पर पीएच.डी. का| जैन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. शीतलचन्द्र जैन के मार्गदर्शन में शोध प्रबन्ध लिखा गया। राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर (राज.) के अन्तर्गत "वीरोदय 15. सांवरमल पाटनी (व्याख्याता-इतिहास, राजश्री महाकाव्यस्य दार्शनिकमनुशीलनम्" विषय पर विद्यावारिधि कल्याण सीनियर माध्यमिक विद्यालय, सीकर राजस्थान) के द्वारा (पीएच.डी.) उपाधि प्राप्त करने के लिए शोधकार्यरत है। राजस्थान विद्यालय, जयपुर के अन्तर्गत डॉ. बी.एल. सेठी, इनके अतिरिक्त साहित्यवारिधि आचार्यप्रवर श्री ज्ञानसागर प्राध्यापक एवं अध्यक्ष-इतिहास विभाग-सेठ मोतीलाल स्नातकोत्तर | जी के साहित्यरत्नाकर का समुचित मंथन मुनि श्री सुधासागर जी महा. झुन्झुनु, राजस्थान) के मार्गदर्शन में "पीएच.डी. हेतु शोध के ससंघ सान्निध्य में आयोजित पाँच राष्ट्रीय संगोष्ठियों में हुआ है। प्रबंध लिखा जा रहा है। शताधिक साहित्य मनीषियों द्वारा अखिल भारतीय विद्वत् संगोष्ठियों 16. महात्मा ज्योतिबा फुले विश्वविद्यालय, बरेली उ.प्र. में पठित आलेख भगवान् ऋषभदेव ग्रन्थमाला, सांगानेर, जयपुर के अन्तर्गत श्रीमति हेमा शर्मा ने "वीरोदेव महाकाव्य का से ग्रन्थ रूप में क्रमशः "आचार्य ज्ञानसागर की साहित्य साधना समीक्षात्मक अध्ययन" विषय पर पीएच.डी. शोध उपाधि प्राप्त की। एवं सांगानेर" 'जिन बिम्बदर्शन' 'कीर्तिस्तम्भ' 'लघुत्रयीमंथन' 17. सुश्री राजुल जैन (द्वारा-चक्रेश टडैया मांझ जैन मंदिर | "जयोदय महाकाव्य परिशीलन" एवं महाकवि आचार्य ज्ञानसागर के सामने, टीकमगढ़, मध्यप्रदेश) के द्वारा डॉ. हरिसिंह गौर | अध्यात्मसन्दोहन" शीर्षकों से प्रकाशित हुए हैं। विश्वविद्यालय, सागर के अन्तर्गत डॉ. के.एल. जैन (हिन्दी दि. जैन संस्कृत महाविद्यालय विभागाध्यक्ष शासकीय महाविद्यालय, टीकमगढ़, मध्यप्रदेश) के | मनिहारों का रास्ता, जयपुर 14 जून 2002 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524263
Book TitleJinabhashita 2002 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy