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________________ समाचार निर्जरा, मोक्ष बताकर देव शास्त्र गुरु के प्रति श्रद्धान दृढ़ करते हैं। कुरीतियों और आडम्बर जैसे मिथ्यावादी बातों को छुड़ाया जाता दिगम्बर जैन नैतिक शिक्षा समिति द्वारा शिविरों है। चतुर्थ भाग में- अनुयोगों का महत्त्व, जीवन में उनकी उपयोगिता, के आयोजन श्रावक के कर्तव्य, बारह भावनाओं का चिन्तन-मनन, महापुरुषों देश और समाज जिस कदर अवनति और नैतिकता की के जीवनचरित्र, तीन लोक की जानकारी जैसे मुख्य विषय होते ओर बढ़ रहा है, उससे समाज का दायित्व बढ़ जाता है कि वह हैं। पाँचवाँ भाग तो शास्त्री के समकक्ष होता है, जिसमें चर्चा होती अपने बच्चों को नैतिकता का ऐसा पाठ दे, जिससे बालक में है- प्रतिमाओं की। 11 प्रतिमाओं को धारण करना मोक्ष के लिए आत्मविश्वास जाग्रत हो, बड़ों के प्रति आज्ञाकारी बने, राष्ट्रनिर्माण क्यों जरूरी है, उनका पालन करने पर गुणस्थानों, कर्म, ध्यान जैसे में सहयोग करे, अपने जीवन को स्वस्थ और दीर्घजीवी बनाए। विषयों पर जानकारी प्राप्त कराई जाती है। दिगम्बर जैन नैतिक शिक्षा समिति ने पिछले एक दशक से ऊपर शिविरों में पढ़ाई के लिए स्कूल, कॉलेजों की तरह कक्षाएँ लाखों बच्चों के चरित्र को सुधारा-सँवारा है। गर्मियों की छुट्टियों लगती है। बहुत से शिविरों में संयोजक स्कूलों को ले लेते हैं और का वह भरपूर इस्तेमाल करती है। एक-एक सप्ताह के लिये विधिपूर्वक कक्षाएं लगाई जाती हैं। पढ़ाने वाले अध्यापक आते प्रत्येक मन्दिर में छह हफ्तों तक ये शिविर लगाती है, जिसमें हैं, जरूरी संकेत बोर्ड पर लिखते हैं, विषय को खोलकर समझाते हजारों बच्चे भाग लेकर नैतिक, धार्मिक, राष्ट्रीय शिक्षा प्राप्त करते हैं। इसी के साथ बच्चों को प्रात: उठते ही नौ बार णमोकार मंत्र, हमारे देश में इस तरह की संस्थाएँ हैं ही नहीं। दिगम्बर बड़ों का अभिवादन, पैर छूना, पानी छानकर पीना, देवदर्शन, जैन नैतिक शिक्षा समिति अपने सीमित साधनों के बलबूते पर यह संयम, स्वाध्याय, राष्ट्रनिर्माण के आवश्यक कर्त्तव्य आदि बातों सब शिविरों का आयोजन कर रही है। इस वर्ष ये शिविर 19 मई को याद कराकर प्रेक्टिकल अभ्यास कराया जाता है। स्वास्थ्य के 2002 से शुरू हो रहे हैं, जिनके लिए समिति ने मन्दिरों के लिए नाखूनों की देखभाल, दोनों वक्त दाँत साफ रखना, रोज | अध्यक्षों और मंत्रियों से निवेदन किया है कि वे अपने शिविरों की नहाना, साफ-सुथरे कपड़े पहनना आदि बातें सिखलाई जाती हैं। तारीखें 7/9 दरियागंज, नई दिल्ली को भेज दें या फोन करेंव्यवहारिक बातों में छुट्टियों के दिनों में विशेष रूप से माता-पिता | 221236 (घर).2155487(कार्या.)। " के काम में हाथ बँटाना, कापी-पुस्तकों की देखभाल, गृहकार्य श्री किशोर जैन 'संयोजक शिविर' को सुव्यवस्थित तरीके से करने आदि कामों के साथ राष्ट्रनिर्माण 54 रशीद मार्केट, दिल्ली-51 में हम कैसे सहयोग दे सकते हैं, यह सिखाते हैं। इसके अतिरिक्त बिजली जलती न छोड़े, नल खुला न छोड़े, जीवन में काम करते विशिष्ट अवसरों पर पशुवध गृह बन्द रखने का समय ईमानदारी और सत्यता के आधार पर आदर्श लोकोपयोगी आदेश जीवन के साथ देश का सम्मान और इसकी सुरक्षा के लिए अपने मध्यप्रदेश के राज्यपाल के नाम तथा आदेशानुसार स्थानीय को बलिदान कर देना चाहिए, आदि बातें सिखाई जाती है। एक शासन विभाग के अपर सचिव के द्वारा क्रमांक -- 936/69/मं./10सप्ताह के ये शिविर दिल्ली व आसपास के क्षेत्रों में लगाए जाते हैं। 03/90, दि. 10.5.1981 के अनुसार “राज्य शासन आदेशित इस समिति के पास समाजसेवी कार्यकर्ताओं की एक टीम है, जो करता है कि नीचे दिए गए विशिष्ट अवसरों पर स्थानीय निकायों सब शिविरों का संचालन करती है। उसने एक पाठ्यक्रम तैयार की सीमा में स्थित समस्त पशुवध गृह एवं मांस बिक्री की दुकानें किया है, जिसे पाँच भागों में विभाजित किया है। पहले भाग में बंद रखी जाएँबच्चों को णमोकार मंत्र, मंत्र का उच्चारण, तीर्थंकर कैसे बनते हैं, (1) गणतंत्र दिवस (2) गाँधी निर्वाण दिवस (3) महावीर तीर्थकर और भगवान में क्या अंतर है। चौबीस भगवान के नाम | जयंती (4) बुद्ध जयंती (5) स्वतंत्रता दिवस (6) जन्माष्टमी याद कराकर उनके चिह्नों की जानकारी बच्चे प्राप्त करते हैं, जीव- | (7) रामनवमी (8) गाँधी जयंती (9) गणेश चतुर्थी अजीव का ज्ञान प्राप्त करते हैं। शिक्षावली के दूसरे भाग में पाँच | (10) पर्युषण पर्व का प्रथम दिवस (11) डोल ग्यारस (12) पाप-हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील, परिग्रह की परिभाषा एवं इन | पर्युषण पर्व का अंतिम दिन (13) अनन्त चतुर्दशी (14) प!षण पापों से छूटने के उपाय बताये जाते हैं। गतियों की जानकारी | पर्व में संवत्सरी व उत्तमक्षमा (15) भगवान् महावीर निर्वाण देकर श्रेष्ठ गति कैसे प्राप्त करें, यह बताया जाता है इसी प्रकार | दिवस (16) चैती चाँद (17) संत तारण-तरण जयंती। काम, क्रोध, मान, माया, लोभ कषायों की जानकारी और उनमें अतः समस्त जिलाध्यक्ष एवं समस्त संभागीय उपसंचालक कैसे मन्दता लायें, यह बताया जाता है। पर्व हमारे जीवन में | नगर प्रशासन अपने क्षेत्र में स्थित समस्त स्थानीय निकायों को समाज और राष्ट्र के प्रति कर्त्तव्य जाग्रत करते हैं। तीसरे भाग में | तदनुसार उचित कार्यवाही के लिए निर्देशित करें। छह द्रव्य-जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल के बारे | इस परिपत्र के माध्यम से इस विभाग के द्वारा पहले के में तथा उससे आगे सात तत्त्वों-जीव, अजीव, आस्रव, बंध, संवर, | परिपत्र क्रमांक 5666/330/18/नगर/एक, दि. 16.8.1971 को 26 मई 2002 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524262
Book TitleJinabhashita 2002 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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