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________________ प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा दस दिवसीय मोटापा निवारण शिविर दस दिन में 5 से 7 किलो वजन कम करें। प्रत्येक माह की 1 से 10 तारीख तक एवं 21 से 30 ता. तक । पंजीयन परामर्श- 29,30.31 तारीख ___ एवं 18, 19, 20 तारीख तक। संपर्क करें भाग्योदय तीर्थ प्राकृतिक चिकित्सालय, सागर फोन-46071, 46671 सूरज की कोई परिपाटी अशोक शर्मा जिनके पीछे भीड़ निरन्तर चलती शीश झुकाए कोई एक अकेला उनसे कैसे होड़ लगाए? बिना सितारे चाँद गगन पर पाँव नहीं धरता ज्योत्सना के महाकाव्य का पाठ नहीं करता सूरज जिसकी किरण-किरण को अंगारों ने चूमा आत्मजयी है संघर्षों से कभी नहीं डरता कोटर के सीमित चंदा का तारे साथ निभाते सम्मोहित हैं इसीलिए तो सारी रात निभाते ठंडी आग लुटाने वाला राज-मुकुट पहने वाह री दुनिया बाहरी दुनिया तेरे क्या कहने व्यक्ति पूजा जहाँ लक्ष्य पर हावी हो जाए पथ भूले यात्री को कोई कैसे मोड़ दिखाए ? सूरज या साधक सदियों विश्राम नहीं लेता श्रम ही जिसका धर्म सनातन दाम नहीं लेता अपने नीड़ तोड़कर जिसने उजड़े चमन बसाए उस अनाम राही को कोई नाम नहीं देता जिनके पात्र स्वयं खाली हैं प्यास बुझाने आए होंठों पर मुरली को धर कर रास रचाने आए कैसी यह बीमार सदी है ठीक नहीं होती सूरज की कोई परिपाटी लीक नहीं होती एक नहीं सौ-सौ भूलों के जिनने नीड़ बसाए उनके अपराधों का कोई कैसे जोड़ लगाए? बिना दवा, इंजेक्शन व साइड इफेक्ट्स मात्र प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा मधुमेह निवारण शिविर प्रत्येक माह की 11 ता. से 20 ता. तक। पंजीयन परामर्श-प्रत्येक माह 8-9-10 ता. तक । संपर्क करे भाग्योदय तीर्थ प्राकृतिक चिकित्सालय, सागर, फोन -46071,46671 अभ्युदय निवास 36-बी, मैत्री निवास, सुपेला भिलाई (जिला-दुर्ग)-490023 कल्पद्रुम महामंडल विधान संपन्न खनियाधाना (शिवपुरी)। परमपूजनीया आर्यिका का मन मोह लिया। जैन-जैनेतर सभी लोगों ने धर्म लाभ विशाश्री माताजी के ससंघ सन्निध्य में श्रमण संस्कृति संस्थान, | लिया। समापन कार्यक्रम पर ब्र. संजीव भैया ने कहा-- साँगानेर से पधारे विधानाचार्य ब्र. संजीव भैया कटंगी एवं | अभी यह नगरी स्वर्णपुरी लग रही है, जिस क्षण यहाँ पं. सुधर्मचन्द्र शास्त्री के कुशल निर्देशन में कल्पद्रुम महामंडल | आचार्य विद्यासागरजी महाराज ससंघ आवेंगे, तब यह प्रभावनापूर्वक संपन्न हुआ। खनियाधाना नगर मोक्षपुरी लगेगी। सभी कार्यक्रम चौरासी ब्र. संजीव भैया के रात्रिकालीन प्रवचनों ने जनता | समाज द्वारा संपन्न किये गए। -मई 2002 जिनभाषित 25 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524262
Book TitleJinabhashita 2002 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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