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________________ निरस्त किया जाता है। राज्य शासन के इस आदेश को दृष्टिगत करके प्रदेश के अहिंसक एवं शाकाहारी समाज का प्रशासन एवं निकाय के प्रमुख अधिकारियों से विनम्र अनुरोध है कि वे अपने अधीनस्थ अधिकारियों को अविलम्ब आदेश प्रसारित करें, ताकि इस वर्ष इन अवसरों पर बूचड़खाने एवं मांस बिक्री की दुकानें बंद रखी जा सकें। पी. के. जैन (मोनू ) मेन रोड, छपारा - 480884 (सिवनी ) ( म.प्र.) नारेली ग्राम को पेयजल हेतु गोद लिया भगवान् महावीर के 2600वें जन्मजयंती वर्ष के उपलक्ष्य में दि. 22.4.2002 को ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र कमेटी व दातारों की ओर से सरकार द्वारा अकाल पेयजल योजना के अन्तर्गत क्षेत्र कमेटी ने नारेली ग्राम को 3 पानी के टैंकर (लगभग 15,000 लीटर) जल प्रतिदिन देने के सहयोग का आश्वासन सरकार को दिया है व उसी क्रम में आज इस योजना का शुभारम्भ माननीय उपखण्ड अधिकारी व उप जिला मजिस्ट्रेट मुग्धा सिन्हा व प्रशासनिक अधिकारी एवं कमेटी के वरिष्ठ पदाधिकारी व समाजसेवियों एवं नारेली ग्राम के नागरिकों की उपस्थिति में उपखण्ड अधिकारी द्वारा पेयजल टैंकर को हरी झण्डी दिखाकर शुभारम्भ किया। यह व्यवस्था लगभग 3 माह तक जारी रहेगी। भागचंद गदिया भाग्योदय ने भाग्योदय तीर्थ विकलांग केन्द्र की स्थापना पू. गुरुदेव की कारुण्य कृपा से 20 अप्रैल 1996 में हुई थी, तब से अब तक हजारों विकलांगों को कृत्रिम हाथ पैर एवं पोलियोग्रस्त मरीजों को कैलीपर्स लगाए गए हैं। इस केन्द्र द्वारा न केवल सागर में वरन् मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों एवं गुजरात, राजस्थान प्रांतों में भी अपनी सेवाएँ उपलब्ध कराई गई है। आचार्य श्री विद्यासागर जी के सान्निध्य में भी महुआ, नेमावर, अमरकंटक आदि स्थानों पर सेवाएँ प्रदान कीं। इस विभाग में गरीब एवं असहाय मरीजों का निःशुल्क तथा बाकी सक्षम मरीजों का सशुल्क उपचार किया जाता है। केन्द्र की विश्वसनीयता एवं कृत्रिम अंगों के उपकरणों की गुणवत्ता को देखते हुए सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठन शिविर लगाने के लिए आमंत्रित करते हैं। कर्मों ने जिन्हें बेसहारा किया, उन्हें सहारा दिया टड़ैया एवं अनेक जैन व्ही.के जैन कृत्रिम अंग विशेषज्ञ भाग्योदय तीर्थ विकलांग केन्द्र विद्यासागर मार्ग करीला, सागर (म. प्र. ) जतारा ( टीकमगढ़ म. प्र. ) । सन्त शिरोमणि, प्रातः स्मरणीय परमपूज्य 108 आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद Jain Education International एवं आचार्य श्री के परमप्रभावक शिष्य परमपूज्य मुनि श्री समता सागर, मुनि श्री प्रमाणसागर एवं ऐलक श्री निश्चयसागर जी महाराज की पावन प्रेरणा से बुन्देलखण्ड के सुप्रसिद्ध जैन तीर्थ, श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पपौरा जी ( टीकमगढ़, म.प्र.) के प्रांगण में, इन्हीं परमपूज्य त्रय महाराजों के सान्निध्य में दयोदय सेवा केन्द्र (पशुशाला) का शिलान्यास दिनांक 9/12/2001 को इंजीनियर श्री विनोद कुमार जैन (बिलासपुर म.प्र.) के कर कमलों से एवं विधिवत उद्घाटन दिनांक 10 मार्च 2002 को अतिथि मुख्य नवभारत समाचार समूह के सम्पादक एवं राज्यसभा सदस्य माननीय श्री प्रफुल्ल कुमार जी माहेश्वरी एवं खजुराहो क्षेत्र के सांसद माननीय श्री सत्यव्रत चतुर्वेदी जी के कर कमलों से किया गया। उक्त केन्द्र श्री दिगम्बर जैन समाज टीकमगढ़ (म.प्र.) के तत्त्वावधान में टीकमगढ़ जिले के समस्त जैन समाज के सहयोग से संचालित है। इस केन्द्र में वर्तमान में लगभग 500 गाय एवं बछड़े विद्यमान हैं जिनमें अधिकांश गाय एवं बछड़े जतारा एवं टीकमगढ़ आदि स्थानों से कत्लखानों में कत्ल के लिये ले जाते समय कसाइयों से मुक्त कराये गए हैं । केन्द्र की समुचित व्यवस्था के लिये एक कार्यकारिणी समिति का भी गठन हो गया है, जिसके अध्यक्ष श्री कल्याणचन्द्र, जैन नायक, उपाध्यक्ष श्री रतनचन्द्र जैन, श्री महेन्द्र जैन (बड़ागाँव) श्री इंजीनियर जयकुमार, महामंत्री श्री अभिनन्दन कुमार जैन गोइल मंत्री श्री अनिल जैन बड़कुल, संयुक्त मंत्री श्री हकुमचन्द्र जैन प्रचारमंत्री श्री सुरेश जैन मवई, कोषाध्यक्ष श्री चक्रेश कुमार जैन टया एवं अनेक जैन बन्धु पदाधिकारी हैं। केन्द्र एवं पशुओं की समुचित देखभाल एवं व्यवस्था के लिए अनेक कर्मचारी केन्द्र के लिए नियुक्त हो गए हैं। केन्द्र पर चारे और पानी की तथा पशुओं के रहने की समुचित व्यवस्था हो गई है। पशुओं की चिकित्सा एवं उनकी देखभाल के लिये पशु चिकित्सालय भी खोला गया है। जहाँ इस केन्द्र के लिये अनेकों महानुभावों ने लाखों रुपये दान देकर केन्द्र को आर्थिक सहयोग प्रदान किया है, वहीं जतारा (टीकमगढ़, म.प्र.) जैन समाज ने भी एक लाख साठ हजार रु. के लगभग इस केन्द्र को आर्थिक सहयोग एवं अनेक पशु प्रदान किए हैं। श्री पपौराजी, टीकमगढ़ (म.प्र.) से 5 कि.मी. पूर्व की ओर स्थित है। कपूर चन्द्र जैन 'बंसल ' गोकुल सदन, जतारा ( टीकमगढ़ ) चाँदखेड़ी में चंदाप्रभु के चमत्कार का पखवाड़ा और महामेला समाप्त चाँदखेड़ी, 7 अप्रैल। झालावाड़ जिले के खानपुर कस्बे में स्थित श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, चांदखेड़ी के भूगर्भ से निकालकर दर्शनार्थ रखी गई तीनों अलौकिक प्रतिमाओं को आज सायं मुनि सुधासागर महाराज ने वापस वहीं रखवा दिया, जहाँ से वे इन्हें लेकर आये थे। चंदाप्रभु, अरिहन्त प्रभु और • मई 2002 जिनभाषित For Private & Personal Use Only 27 www.jainelibrary.org
SR No.524262
Book TitleJinabhashita 2002 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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