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साहित्य-सृजन
पत्रिकाओं में आपके द्वारा लिखित 200 से | प्रदान करने की घोषणा कर आपको सम्मानित समय-समय पर जैन धर्म-दर्शन के
अधिक आलेख भी आपकी प्रतिभा का | किया । डॉ, कोठिया ने प्राप्त सम्मान राशि विभिन्न पक्षों पर आपने अपनी मेधा का
परिचय सहज ही दिला देते हैं। 'नैनागिरी से निर्धन, व्युत्पन्न प्रतिभावान छात्रों को उपयोग कर संस्कृत, प्राकृत एवं हिन्दी में गंगा तट तक' आपकी अप्रकाशित आत्म- | छात्रवृत्ति देने हेतु प्रदान कर दी। ग्रन्थों का आलेखन किया। संस्कृत रचनाओं कथा भी उपलब्ध है।
संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी आदि में जैन में प्रमुख है- (1) जैन दर्शने प्रमाण चिन्तनम्, सम्मान
साहित्य सृजन, न्याय-दर्शन के सर्वांगीण (2) जैनप्रमाण मीमांसायाः स्वरूपम्, (3) जैन समाज के विभिन्न समायोजनों में |
विकास में अप्रतिम योगदान को दृष्टिगत जैन दर्शने करुणायाः स्वरूपम् (4) श्रुतपं- आपकी प्रखर मेधा का सम्मान न्यायालंकार,
रखकर जैन समाज के द्वारा सन्'82 में 'डॉ. चमी, (5) जम्बूजिनाष्टकम्, (6) आत्मा न्यायरत्नाकर, न्यायवाचस्पति आदि अलं
दरबारीलाल कोठिया अभिनन्दन ग्रन्थ' प्रकाअस्ति न वा, (7) द्रव्यसंग्रहसंस्कृत टीका, कारणों से संपन्न हुआ। आपकी कृति 'प्रमाण
शित कर आपको भव्य समारोह में समर्पित (8) न्यायदीपिकायाः प्रकाशाख्यं टिप्पणम् परीक्षा' को उत्तर प्रदेश शासन द्वारा एक हजार
किया गया। आपकी रचनाधर्मिता के विविध तथा (9) न्यायदीपिकायाः प्रश्नोत्तरावलिः। रुपये का 'प्रादेशिक सम्मान' प्राप्त हुआ। वीर
आयामों को दृष्टिगत करके बरकतउल्लाह प्राकृत भाषा में आपके द्वारा 'जिनणियायनिर्वाण भारती, नई दिल्ली ने सन् 55 में
विश्वविद्यालय भोपाल (म.प्र.) के प्राकृत एवं विज्जाविगासो' (अप्रकाशित) न्याय विष2500 रुपये के पुरस्कार के साथ 'न्याया
तुलनात्मक भाषा विभाग के अन्तर्गत विगत यक शोधपरक प्रबंध लिया गया है। इसके लंकार' उपाधि से विभूषित किया। भारतीय
वर्ष सन् 99 में प्रो. डॉ. भागचन्द जैन अतिरिक्त प्राकृत भाषागत 'वृहद् द्रव्यसंग्रह' ज्ञानपीठ, नई दिल्ली की स्वर्ण जयंती अवसर
'भागेन्दु' सचिव म.प्र. संस्कृत अकादमी, ग्रंथ का संपादन एवं भाषा लेखन तथा पर राष्ट्र के सर्वश्रेष्ठ विद्वान' के रूप में
भोपाल के कुशल निर्देशन में श्री महेश प्रसाद 'नियमसागर' ग्रन्थ की 53 वी गाथा की 11000 रुपये के पुरस्कार एवं वाग्देवता
जैन, संस्कृत विभाग, हमीदिया महा., विस्तृत व्याख्या भी लिखी है। राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रतिभा, शाल-श्रीफल से सम्मानित हुए।
भोपाल ने 'डॉ. दरबारी लाल कोठिया की में आपने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की म.प्र. के मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह की
संस्कृत एवं प्राकृत रचनाओं का अनुशीलन' पीएच.डी. हेतु सन् 69 में जैन तर्कशास्त्र में अध्यक्षता में जैन समाज गुना द्वारा 'जैन
विषय पर 200 पृष्ठीय शोध प्रबंध लिखकर अनुमान विचार नामक शोध प्रबंध लिखा। पुराण कोष' के संपादन कार्य हेतु 5000
पीएचडी उपाधि प्राप्त की। वीर सेवा मंदिर ट्रस्ट से प्रकाशित उक्त शोध रुपये की सम्मान राशि प्राप्त हुई। इसी कोश
आचार्य श्री समन्नभद्र जी महाराज से प्रबंध के अतिरिक्त आपकी 'जैन तत्त्वज्ञान संपादन कार्य पर दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र श्री
वर्षों पूर्व आपने शोलापुर (महा.) के निकट मीमांसा' कृति में विभिन्न मौलिक निबंध महावीर जी के द्वारा आपको 11000 रुपये
वर्ती स्थान पर द्वितीय प्रतिमा के व्रतग्रहण संकलित हैं। 'जैन दर्शन और न्यायः उद्भव की सम्मान निधि प्रदान कर आपके श्रम कार्य
कर संयमित जीवन जीना प्रारंभ किया था। और विकास' 'जैन-दर्शन और न्यायः एक की सराहना की गई। गणेश प्रसाद वर्णी जन्म
आचार्य श्री विद्यासागर जी माहाराज से परिशीलन,' 'महावीर का जीवन संदेश' जयंती के अवसर पर स्याद्वाद जैन महा.,
समय-समय पर दर्शन-वंदन लाभ के तथा 'जैन न्याय की भूमिका' नामक कृतियाँ । वाराणसी द्वारा 'वर्णी पुरस्कार से आप
अतिरिक्त समाधिमरण हेतु शरीर एवं भी आपकी सफल लेखनी से पाठकों को सम्मानित हुए तो आचार्य श्री विद्यानंद जी
काषायिक परिणामों को कृश/क्षीण करने हेतु उपलब्ध हो सकी। महाराज के सान्निध्य में दिल्ली में 'आचार्य
मार्ग निर्देशन प्राप्त करते रहते थे। डॉ. सन् 44 से 93 तक अनवरत
दरबारीलाल कोठिया को जहाँ अपने चाचा पं. कुंदकुंद पुरस्कार' (चतुर्थ) गांधी नाथारंग जी चिन्तन-मनन के द्वारा आपके कुशल संपादन दिगम्बर जैन मंगल प्रति. सोलापुर द्वारा 51
वंशीधर जी व्याकरणाचार्य का समागम प्राप्त में 'अध्यात्मकमलमार्तण्ड', 'न्यायदीपिका', हजार रुपये से सम्मानित हुए तथा संस्थान
हुआ वहीं दूसरे परिजन पं. बालचंदजी 'आप्त परीक्षा', श्रीपुरपार्श्वनाथ-स्तोत्र', ने 'न्यायसिंधु' के अलंकरण से आपको
सिद्धान्तशास्त्री का नैकट्य भी धार्मिक, 'शासन-चतुस्त्रिंशिका', 'स्याद्वाद-सिद्धि'. विभूषित किया। श्री गोम्मटेश्वर विद्यापीठ
साहित्यिक कार्य हेतु सम्बल प्रदान करता 'प्राकृत पद्यानुक्रम', 'प्रमाणप्रमेयकलिका', प्रशस्ति तथा अ.भा. पुरस्कार श्रवण बेल 'समाधिमरणोत्साह दीपक', 'द्रव्यसंग्रह,' गोला (कर्ता.) के संस्थान से तथा जैन क्लब
इस प्रकार डॉ., दरबारीलाल कोठिया 'प्रमाण परीक्षा', 'पत्र परीक्षा', 'देवागम- परिसंघ, सतना द्वारा 'जगदीश राय जैन
ने अपने जीवन के अंतिम तेरह दिनों में स्तोत्र' 'युक्त्यानुशासन', 'अष्टसहस्री' तथा प्रतिभा सम्मान' से भी आप अलंकृत हुए।
आचार्य प्रवर संतशिरोमणी श्री विद्यासागर जी 'जैन पुराण कोश' संपादित होकर विभिन्न
महाराज के सान्निध्य में परिणामों की
भारत के राष्ट्रपति महामहिम श्री प्रकाशनों से प्रकाशित होकर अध्येताओं के के.आर. नारायणन ने आपकी विद्वत्ता,
विशुद्धतापूर्वक समाधिमरण करके जीवन को लिए पर्याप्त शोधबिन्दु एवं चिन्तन के
सार्थक किया। वाङ्मयीन अवदान तथा संस्कृत साहित्य आयाम उपलब्ध करा रहे है।
प्राचार्य सेवा को लक्ष्य कर 15 अगस्त 97 को 'श्रेष्ठ इनके अतिरिक्त विभिन्न अभिनन्दन | संस्कत विदान' हेत 20 हजार रुपये प्रतिवर्ष
दि.जैन आचार्य, संस्कृत महाविद्यालय,
मनिहारों का रास्ता, जयपुर (राज.) ग्रन्थ, स्मृति-ग्रन्थ तथा शोधपरक पत्र- | 20 दिसम्बर 2001 जिनभाषित
रहा।
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