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________________ पृथ्वी बीते कुछ सालों में लोग शाकाहार की ओर तेजी से आकर्षित हुए है देश के सर्वाधिक लोकप्रिय सितारे अमिताभ बच्चन, श्रीमती मेनका गांधी, श्री पी. व्ही. नरसिम्हाराव चर्चित अभिनेत्री जूही चावला, महिमा चौधरी एवं सुप्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी अनिल कुंबले भी मांसाहार नहीं करते। देश के अलावा विश्व के कई नामी गिरामी लोग पूर्णत: वेजिटेरियन हैं। म्यूजिक लीजेड सर पॉल मैक्कार्टिना पूर्व टेनिस खिलाड़ी मार्टिना नवराति लांबा, अदिति गोवित्रिकर आदि उन हस्तियों की लम्बी चौड़ी सूची के चंद नाम है जो मांसाहार करना पसंद नहीं करते। " J 6 लोक का का अमृत डॉ. राजीव अग्निहोत्री का 'क्या आप भी हैं वेजिटेरियन' लेख 'जिनभाषित' (जुलाई-अगस्त 2001 ) में भी 'दैनिक भास्कर' से उद्धृत किया गया था। उसका प्रयोजन था मांसाहार से होने वाली हानियों को रेखांकित करना और यह सामने लाना कि विश्व के फिल्मी सितारे, राजनेता और खिलाड़ी भी मांसाहार को हानिकर समझते हैं और उसका सेवन नहीं करते। लेख में लेखक ने यह भी लिखा है कि कई डाक्टर दुग्धसेवन को भी स्वास्थ्य के लिये उतना ही हानिकारक समझते हैं जितना मांससेवन को। अतः बिल क्लिंटन के स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. जॉन मैक्डूगल तो 'को सीधे 'लिक्विडमीट' की संज्ञा दे देते हैं।' वस्तुतः दूध को यह संज्ञा देना उचित नहीं है। दूध तो शुद्ध वानस्पतिक आहार है। लेखिकाद्वय ने प्रस्तुत लेख में इस तथ्य को वैज्ञानिक प्रमाणों से सिद्ध किया है। उनका प्रयास सराहनीय है। पिछले कुछ दिनों से बहुत सारा साहित्य मांसाहार के विरोध में एवम् शाकाहार के प्रचार-प्रसार हेतु सामने आया है. इसके बावजूद शाकाहार प्रेमियों के मन को पीड़ा पहुँचाने वाली जो एक बात सामने आयी है वह है दूध को 'लिक्विड मीट' की संज्ञा देना। पिछले दिनों 15 जुलाई 2001 के दैनिक भास्कर के रविवारीय लेख 'क्या आप भी हैं वेजिटेरियन' में लेखक ने लिखा है कि, कई डाक्टर तो दूध के सेवन को तमाम बीमारियों का कारण बताते हैं। उनके अनुसार पूर्व अमेरिकन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. जॉन मैक्डूगल तो जानवरों के दूध को सीधे 'लिक्विड मीट' की संज्ञा देते हैं। डॉ. मैक्डूगल के अनुसार एनीमल फैट के कारण यह स्वास्थ्य के लिये उतना ही हानिकारक है जितना कि जानवरों का मांस । इस संदर्भ में कुछ और लोगों के द्वारा भी दूध को मांस का अंश बताकर एक गहरी साजिश पिछले कुछ दिनों से चल रही है। तब दूध को सामिष आहार माना जाये या निरामिष? यह भी एक विचारणीय बात है। सितम्बर 2001 जिनभाषित Jain Education International अधिकांश लोगों की सम्मति में दूध वानस्पतिक पदार्थों के समान है, क्योंकि दूध पशुजन्य होते हुए भी जीवित पदार्थ नहीं है। कुछ लोग दूध को मांस के समतुल्य समझते हैं और उसे रक्त की उपज मानते हैं पर यह मूर्खतापूर्ण बात है। यदि दूध रक्त या उसकी उपज होता तो शरीर में रक्त की अपरिमित मात्रा की आवश्यकता होती, इस पृथ्वी पर तब मादा जीवन असम्भव हो जाता और फलस्वरूप स्तनधारी फाँना बहुत पहले संसार से विलुप्त हो गया होता और हम भी पैदा होते ही मातृविहीन हो गये होते, क्योंकि भैंसे और गायें कई किलोग्राम कहीं-कहीं तो एक-एक मन दूध रोज देती हैं। स्त्रियों के भी तो कई सेर दूध होता है। यदि इतनी मात्रा में रक्त प्रतिदिन शरीर से बाहर निकल जाया करे तो कोई प्राणी जीवित नहीं रह सकता। यह बात इसे सिद्ध करने के लिये काफी है कि दूध खून नहीं होता । रक्त का दूध से कोई सम्बन्ध नहीं है। सिवाय इसके कि रक्त आत्मसात भोजन को दुग्ध-ग्रन्थियों तक पहुँचाने का काम करता है जहाँ भोजन दूध में बदल दिया जाता है। दूध रक्त के समान शरीर का अनिवार्य अवयव नहीं है । स्तनों में दूध तब बनना शुरू होता है जब मादा बच्चे को जन्म दे चुकी होती For Private & Personal Use Only 'दूध' कु. स्वीटी जैन एवं कु. ऋतु जैन है दूध जीवनहीन पदार्थ है उसमें रक्त के समान कोषरचना ( सेल फार्मेशन ) नहीं होती । रक्त का एक अंश ही निकल जाने से काफी कम - जोरी आ जाती है, जबकि कोई भी मादा सामान्य परि स्थितियों में, बच्चे को दूध पिलाकर दुर्बलता नहीं महसूस करती। दूध जीवनहीन होते हुए भी जीवनदायक होता है। वर्तमान में दूध दुहने में कहीं-कहीं क्रूर विधियों (हार्मोन्स का इंजेक्शन आदि) . को भी अपनाया जाने लगा है। 1 पर दूध क्रूरता की उपज नहीं है। उसमें न हिंसा होती है और न ही हत्या | दूध पीना मीट खाने के बराबर होता तो प्रत्येक मनुष्य स्वजातिभक्षक ही नहीं मातृहन्ता भी कहलाता, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपनी शैशवावस्था में अपनी माता का दूध पीता है। इसके बावजूद भी यदि हम दूध को मांसाहारी कहें. इसके पहले हमें यह जान लेना आवश्यक है कि हम अपनी माँ के स्नेहासिक्त आँचल से दूध पीकर ही पले बढ़े है और हम मांसाहारी नहीं है जन्म से कोई मांसाहारी नहीं होता। जन्म से तो सभी मनुष्य शाकाहारी ही होते हैं में यह बात मानती हूँ कि दूध जानवरों के शरीर में बनता है । यह पशु निर्मित पदार्थ हैं फिर भी उसमें कोशिका जैसी कोई संरचना नहीं होती है। नाभिक या जीन्स इत्यादि जीवित तथ्यों का अभाव होता है। विभिन्न जैविक क्रियाएँ जैसे कि उत्सर्जन, श्वसन, निषेचन आदि भी दूध में नहीं होती हैं। दूध तो एक तरल द्रव्य है। जो कि स्वयं ही शिशुओं के पोषण हेतु उत्पन्न होता है। दूध में मुख्य रूप से जल, प्रोटीन, वसा कार्बोहाईड्रेट्स एवं कई खनिज तत्त्व होते हैं। हल्का सफेद-पीला रंग दूध में उपस्थित वसा कणों के कारण होता है। प्राचीनकाल से दूध मनुष्य का प्रिय पेय www.jainelibrary.org
SR No.524255
Book TitleJinabhashita 2001 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2001
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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