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________________ दयोदय पशु संवर्धन एवं पर्यावरण केन्द्र (गौशाला) तिलवाराघाट, जबलपुर सुबोध जैन उपसंयोजक-प्रचार प्रसार चातुर्मास कमेटा एक परिचय भगवान महावीर के 2600वें जयन्ती | वर्तमान में प्रगतिशील है जो इस प्रकार है- चारा मशीन, चिकित्सा एवं अनुसंधान वर्ष को भारतवर्ष में 'अहिंसा वर्ष' के रूप | (अ) भूमि एवं विकास- (1) | उपकरण, गोबर गैस प्लांट, गेसोलिन विद्युत में मनाया जा रहा है। 'अहिंसा परमोधर्म' के | बाईस एकड़ भूमि क्रय की गई। (2) संयंत्र की स्थापना, वृद्धाश्रम में चिकित्सा पोषक एवं श्रमण संस्कृति के सिरमौर चहारदीवार एवं प्रवेश द्वार निर्माण प्रगति पर व्यवस्था आदि की उपलब्धता शेष है। दिगम्बराचार्य परमपूज्य 108 श्री विद्यासागर है। (3) आंतरिक सड़कों पर निर्माण कार्य उपर्युक्त सभी प्रयोजन के संधारण हेतु जी महाराज की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से प्रगति पर है। (4) आंतरिक प्रकाश व्यवस्था व्यवस्थित योग्य एवं कुशल कार्यवाहकों की कृतार्थ जबलपुर के कुछ युवकों में प्राणि मात्र । सुव्यवस्थित रूप ले रही है। (5) जल प्रदाय नियुक्ति वांछित है। पर दया के भाव उदित हुये। विदुषी परमपूज्य हेतु कुँआ एवं दो नलकूपों का खनन किया अहिंसा के पुजारी आचार्य श्री ससंघ 105 आर्यिका श्री दृढमति माता ने उन्हें गया है। (6) जल वितरण व्यवस्था प्रगति शीतकालीन प्रवास में संस्था के परिसर को दिशाबोध दिया, फलस्वरूप इन युवकों ने पर है। उपकृत कर पुनः 'अहिंसा वर्ष दो हजार एक' एक अभिनव योजना को मूर्तरूप देना प्रारंभ (ब) निर्माण कार्य- (1) आठ सौ की भावना के पोषक प्रणेता नायक बनकर किया। वर्गफुट का अस्थायी कार्यालय एवं भण्डार चातुर्मास (वर्षायोग) गौशाला परिसर, सलिला 'दयोदय पशु संवर्धन एवं पर्यावरण निर्मित किया गया है। (2) सात हजार दो सौ नर्मदा के सान्निध्य में वर्षावेग से प्रीति बढ़ा, केन्द्र' नामक संस्था एक यथार्थ रूप लेकर वर्गफुट के दूसरे भण्डारगृह का निर्माण किया धर्म एवं आत्म कल्याण का भाव सलिला तीर्थ क्षेत्र 'पिसनहारी की मढ़िया' से चार गया है। (3) तैंतीस फुट बाई एक सौ आठ प्रवाहित कर रहा है। संस्था इन भावों का किलोमीटर दूर तिलवारा घाट में बाईस एकड़ फुट की सात गौशाला भवनों का निर्माण कार्य अमूल्य संकलन कर पशु संवर्धन, वृद्धा भूखण्ड पर पुण्य सलिला नर्मदा को पार्श्व में प्रगति पर हैं। (4) छत्तीस सौ बीस वर्ग फुट संरक्षण, युवा पीढ़ी के आध्यात्मिक एवं उसे साक्षी रख उसकी मनोरम पृष्ठभूमि पर में पशु चिकित्सालय निर्मित किया गया है। | शैक्षणिक विकास की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं अपने संविधान में संकल्पित उद्देश्यों को (5) दो हजार चार सौ पैंसठ वर्गफुट एवं तेरह को चरणबद्ध शीघ्रातिशीघ्र क्रियान्वित करने साकार करने हेतु कृतसंकल्प हो पूर्ण मनोयोग सौ पैंसठ वर्गफुट में पशु संवर्धन शाला का | हेतु तत्पर है। गौशाला एवं वृद्धाश्रम के से निःस्वार्थ एवं लगनशील शिक्षित युवकों निर्माण किया गया है। (6) छह हजार वर्गफुट सर्वांगीण विकास के साथ-साथ शैशव से के माध्यम से निर्माण कार्य प्रगति पर है। में वृद्धाश्रम निर्माणाधीन हैं। सकल संकायों में स्नातकोत्तर शिक्षा की संस्था के मूल उद्देश्य पशु संरक्षण, (स) गौ संरक्षण कार्य- (D | व्यवस्था हमारी अभिनव योजना है। पशु चिकित्सा, औषधीय एवं पशुओं का वर्तमान में परिसर में सौ गायें हैं। दयोदय ज्ञान तीर्थ के रूप में समाज पर्यावरण संतुलन में प्रमुख योगदान आदि को (द) उपकरण - (1) ट्रेक्टर का क्रय | के अपेक्षाकृत कमजोर वर्ग के प्रतिभावान स्थापित करना है। अहिंसा के उपदेश को किया जाना है। (2) ट्राली का क्रय किया जाना बच्चों को सँवारने का समयोचित एवं मूर्तरूप देने का यह अभिनव प्रयास आचार्य सुनियोजित प्रयास है। एक वृहद् सामाजिक श्री से आशीर्वादित एवं मार्गदर्शित है। इन | उपरोक्त कार्यों को पूर्णता प्रदान करने यज्ञ की समिधा के रूप में आपका सहयोग महान विभूतियों से प्रेरित युवक इस संस्था के अतिरिक्त भूमि के समतलीकरण एवं एवं आपकी उपस्थिति हमारी असीम आवके माध्यम से अन्य जन एवं समाज | अन्य आवश्यक सविधाओं से परिपूर्ण करना | श्यकतां की पूर्ति करने में सहायक होगी। कल्याणकारी योजनाओं को भी प्रारंभ करने है। चार हजार वर्गफुट के कार्यालय एवं कृपया आचार्य श्री एवं समस्त मुनि हेतु संकल्पित है। इनमें प्रमुख वृद्धाश्रम भण्डार चार अन्य गौशाला भवन, पानी की संघ का अपने परिवार एवं इष्ट जनों के साथ संचालन तथा दयोदय ज्ञान तीर्थ की स्थापना टंकी, पशु चिकित्सा संबंधी शोध भवन, पधारकर पावन सानिध्य एवं शुभ-आशीर्वाद औषधी भवन तथा सभा कक्ष निर्माण का कार्य प्राप्त करें एवं अपनी उपस्थिति से संस्था का संस्था में पशु संवर्धन हेतु दो हजार कराया जाना है। गौरव बढ़ावें। दर्शनार्थियों के ठहरने की गायों के रखरखाव की योजना रूपी प्रथम शेष उन्नीस सौ गायों की आमद एवं समुचित व्यवस्था दयोदय तीर्थ परिसर में की चरण कार्यमूर्त रूप प्राप्त कर रहा है। संस्था व्यवस्था के अतिरिक्त ट्रेक्टर, ट्राली, जीप, गई है। 24 सितम्बर 2001 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524255
Book TitleJinabhashita 2001 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2001
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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