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________________ 15 जून 2001 को प्रातः 8 बजे | सागर, श्रीमती सुमनलता जैन, शाहपुर, डॉ. | बासौदा, डॉ. विमलकुमार जैन, जयपुर, पं. ध्वजारोहण के साथ कार्य प्रारंभ हुआ। | शोभालाल जैन, जयपुर, डॉ. पुष्पराज जैन, | सनतकुमार जैन, खिमलासा, पं. माणिकध्वजारोहण क्षेत्र कमेटी के मंत्री श्री सुभाषचन्द्र | ग्वालियर, डॉ. कस्तूरचन्द्र सुमन, श्री | चन्द जैन, बांसातारखेड़ा, श्रीमती सरोज जी जैन ने किया। तदुपरान्त प्रथम सत्र '20 | महावीर जी, श्री पद्मचन्द शास्त्री, पानीपत, | जैन, बीना, पं. ज्योतिबाबू जैन, जयपुर, डॉ. वीं शताब्दी की दिगम्बर जैन विद्वत् परम्परा | पं. विजयकुमार शास्त्री, श्री महावीर जी ने | सनतकुमार जैन, जयपुर, श्री सुरेशचन्द जैन, का अवदान' विषय पर पूज्य उपाध्याय जी आलेख प्रस्तुत किये। इस सत्र की अध्यक्षता मारौरा, पं. राजकुमार जैन, जयपुर, पं. महाराज के ससंघ सान्निध्य एवं डॉ. | कर रहे पं. रतनलाल जी शास्त्री ने कहा कि हेमचन्द जैन, रेवाड़ी, प्रो. के.के. जैन, बीना। भागचन्द जी भास्कर की अध्यक्षता में प्रारंभ पूज्य उपाध्याय श्री की प्रेरणा से 20वीं | सत्र की अध्यक्षता कर रहे पं. आदित्यजी ने हुआ। संगोष्ठी का मंगल कलश स्थापन क्षेत्र शताब्दी के विद्वानों के अवदान को स्मरण कर | उद्बोधन में कहा कि विद्वत्परिषद् के कमेटी के निर्माण मंत्री पदमसेन जैन ने किया | विद्वत् परिषद् ने सराहनीय एवं प्रशंसनीय | स्वर्णजयन्ती समापन समारोह के अवसर पर एवं दीप प्रज्वलन पं. रतनलाल जी जैन | कार्य किया है। विद्वानों ने जो आलेख प्रस्तुत | 56 वर्ष के इतिहास में इस संगोष्ठी का (इंदौर) ने किया। सत्र में डॉ. श्रेयांसकुमार | | किये वे शोधपूर्ण थे। इन आलेखों के छपने | आयोजन महत्त्वपूर्ण कार्य है। इस संगोष्ठी से जैन, बड़ौत, डॉ. फूलचन्द्र 'प्रेमी', वारा- से नई पीढ़ी के विद्वानों को लेखन की प्रेरणा विस्मृत विद्वानों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की णसी, डॉ. नेमीचन्द्र जैन, 'प्राचार्य' खुरई, | मिलेगी। गई है। संगोष्ठी से अनेक विद्वानों पर पं. निर्मल कुमार जैन सतना, ने महत्त्वपूर्ण | 15 जून, 2001 रात्रि 8 बजे संगोष्ठी महत्त्वपूर्ण आलेख प्रस्तुत हुए हैं। इस पत्रवाचन किये। इस सत्र के अध्यक्ष डॉ. | तृतीय सत्र प्रारंभ हुआ। इसकी अध्यक्षता पं. महत्त्वपूर्ण उपलब्धि का श्रेय पूज्य उपाध्याय भागचन्द जी भास्कर ने अध्यक्षीय उद्बोधन | सुमतिचन्द शास्त्री मुरैना ने की। इस सत्र में | ज्ञानसागर जी महाराज को है। में कहा कि पंचकल्याणक हों, किन्तु 10 | निम्नलिखित विद्वानों ने आलेख प्रस्तुत 16 जून 2001 को दोपहर 1 बजे से प्रतिशत व्यय साहित्य सृजन एवं विद्यार्थियों |किये: विद्वत् परिषद् की साधारण सभा का के अध्ययन अध्यापन हेतु प्रयोग हो, ऐसी | पं. गजेन्द्र जैन, फर्रूखनगर, पं. | अधिवेशन हुआ। व्यवस्था में उपाध्याय श्री का आशीर्वाद एवं पूर्णचन्द्र सुमन, दुर्ग, पं. निर्मल कुमार 16 जून 2001 रात्रि 8 बजे पं. प्रेरणा प्राप्त हो। सत्यार्थी, जयपुर, श्रीमती प्रभा जैन, श्रेयांस निहालचन्द जी प्राचार्य, बीना की अध्यक्षता ___ पूज्य उपाध्याय श्री ने प्रथम सत्र के | कुमार शास्त्री, किरतपुर, प्रेमचन्द्र जी दिवाकर में निम्नलिखित विद्वानों ने महत्त्वपूर्ण आलेख पत्रवाचकों के आलेखों की गहन एवं | डीमापुर, डॉ. कैलाशकमल ग्वालियर, पं. प्रस्तुत किये। डॉ. ज्योति जैन, खतौली, डॉ. महत्त्वपूर्ण समीक्षा करते हुए कहा कि 20 वीं | सरमनलाल दिवाकर हस्तिनापुर, पं. भाग- शिवदर्शन तिवारी, दमोह, कु. समता जैन, सदी में विद्वानों ने अनेक कष्टों के बीच कार्य | चन्द इन्दु गुलगंज, डॉ. विमला जैन, शिवपुरी, डॉ. जी.पी. स्वर्णकार, डॉ. किया है। पं. पन्नालाल जी साहित्याचार्य, श्री | फिरोजाबाद, डॉ. बारेलाल जैन, रीवा, पं. शीतलचन्द्र जैन, जयपुर, डॉ. अशोक कुमार ए.एन. उपाध्ये, डॉ. हीरालाल जैन ने साहित्य | दयाचंद शास्त्री सतना, पं. कैलाशचन्द्र जैन, लाडनूं, श्रीमती सिन्धुलता जैन, जयसृजन समर्पण भाव से किया है। उन्होंने | मलैया, पं. छोटे लाल जी जैन झांसी, पं. पुर, डॉ. हुकुम चन्द संगवे, डॉ. लालचन्द समाज के मानसम्मान की परवाह नहीं की, | विमल कुमार जैन, जयपुर। जैन, वैशाली, पं. विजयकुमार जैन, लख नऊ, डॉ. हरिश्चन्द्र जैन, मुरैना, पं. कुमार जी, पं. बाबूलाल जमादार आदि | शास्त्री ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि रतनचन्द जैन, रहली, डॉ. सूरज मुखी जैन, विद्वानों ने भी कर्य किये हैं। भगवान महावीर | 20वीं शताब्दी के विद्वानों पर संगोष्ठी करके डॉ. शीतलप्रसाद जैन, मुज्जफरनगर। के 2600वें जन्मकल्याणक महोत्सव पर भी विद्वत् परिषद् के मंत्री डॉ. शीतलचन्द्र जैन साधारण सभा के अधिवेशन के क्रम भगवान महावीर और उनकी 20वीं शताब्दी ने सराहनीय कार्य किया है। आपके नेतृत्व में में अखिल भा.दि. जैन वि.परिषद् द्वारा तैयार की विद्वत्परम्परा पर ग्रन्थ प्रकाशित होना विद्वत्परिषद् का संगठन मजबूत हुआ है और ग्रंथ 'ज्ञानायनी' ग्रंथ का विमोचन पूज्य चाहिए। सत्र का सफल संचालन विद्वत्परिषद् परिषद् में चेतना आयी है। उपाध्याय श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज के के मंत्री डॉ. शीतलचन्द्र जैन ने किया। 16 जून 2001 को प्रातः 8 बजे कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ। ग्रन्थ के 15 जून 2001 दोपहर 1 बजे से | | पूज्य उपाध्याय ज्ञानसागर जी महाराज के प्रकाशन में अर्थसौजन्य श्री भोपाल सिंह संगोष्ठी का द्वितीय सत्र पूज्य उपाध्याय श्री ससंघ सान्निध्य में संगोष्ठी का चतुर्थ सत्र अशोक कुमार जी, शामली श्री ज्ञानचन्द जी के सान्निध्य एवं पं. रतनलाल जी शास्त्री | प्रारंभ हुआ जिसकी अध्यक्षता पं. गुलाबचन्द्र ठोलिया, शामली, शेखचन्द जी पाटोदी, इंदौर की अध्यक्षता में प्रारंभ हुआ। इसमें डॉ. जी आदित्य, भोपाल ने की। इस सत्र में शामली ने प्रदान किया। इस अवसर पर उक्त भागचन्द जी भास्कर नागपुर, डॉ. ऋषभ | निम्नलिखित विद्वानों ने आलेख प्रस्तुत श्रेष्ठियों का स्वागत भी किया गया। चन्द्र जैन फौजदार, वैशाली, डॉ. नरेन्द्र | किये डॉ. शीतलचन्द्र जैन कुमार जैन, सनावद, पं. शीतल चन्द्र जैन, पं. लालचन्द जी जैन राकेश, गंज मंत्री जुलाई-अगस्त 2001 जिनभाषित 27 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524254
Book TitleJinabhashita 2001 07 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2001
Total Pages48
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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