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आयोग को आवंटित राशि
(ग) राज्य सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के हितों की संरक्षा के लिये रक्षोपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये सिफारिशें करना, (घ) अल्पसंख्यकों को उनके अधिकारों और रक्षोपायों से वंचित करने के बारे में विनिर्दिष्ट शिकायतों की जाँच पड़ताल करने और ऐसे मामलों को राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन समुचित प्राधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करना,
मध्यप्रदेश सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से संबंधित व्यय के लिये वर्ष 2001-2002 में मांग संख्या 63 और लेखा शीर्ष 2225 के अंतर्गत बजट की पुस्तिका क्र. 37 में रु. 245 लाख का प्रावधान किया है। इस राशि में से अल्पसंख्यक कल्याण संचालनालय, अल्प संख्यक आयोग एवं वक्फ कमिश्नर के कार्यालय,
(ङ) अल्पसंख्यकों के विरुद्ध किसी विभेद के कारण उत्पन्न होने उर्दू अकादमी को अनुदान, मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड को सहायक
वाली समस्याओं का अध्ययन करवाना और उनको दूर करने के लिये अभ्युपायों की सिफारिश करना,
(च) अल्पसंख्यकों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक विकास से संबंधित विषयों का अध्ययन, अनुसंधान और विश्लेषण करना, (छ) किसी अल्पसंख्यक समुदाय के संबंध में ऐसे समुचित अध्युपाय का सुझाव देना जो राज्य सरकार द्वारा किये जाने चाहिए,
अनुदान, वक्फ न्यायाधिकरण मसजिद कमेटी को सहायक अनुदान, मध्यप्रदेश हज कमेटी को सहायक अनुदान तथा चर्च एवं दरगाह को अनुदान आदि शीर्षों पर व्यय किया जाता है। अल्पसंख्यक समुदाय को वित्तीय सहयोग
(ज) अल्पसंख्यकों से संबंधित किसी विषय पर और विशिष्टतया उन कठिनाइयों पर जिनका उन्हें सामना करना पड़ता है राज्य सरकार को नियतकालिक या विशेष रिपोर्ट देना और
(झ) कोई अन्य विषय जो राज्य सरकार द्वारा उसे निर्दिष्ट किया जाय, परन्तु यदि आयोग द्वारा की गई कोई सिफारिश राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा मध्यप्रेदश राज्य से संबंधित किसी मामले पर की गई सिफारिश के विरुद्ध है तो उस दशा में राज्य आयोग द्वारा की गई सिफारिश अप्रभावी होगी।
आयोग को जाँच हेतु प्रदत्त अधिकार
आयोग द्वारा संविधान में और संसद तथा राज्य विधान मंडल द्वारा अधिनियमित विधियों में उपबंधित रक्षोपायों के कार्य को मानीटर करने एवं अल्पसंख्यकों को उनके अधिकारों और रक्षोपायों से वंचित करने के बारे में विनिर्दिष्ट शिकायतों की जाँच पड़ताल करने और ऐसे मामलों को राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन समुचित प्राधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करने संबंधी कृत्यों का पालन करने के लिये आयोग को व्यवहार न्यायालय की निम्नांकित शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। (क) राज्य के किसी भी भाग से किसी व्यक्ति को समन करना और हाजिर कराना तथा शपथ पर उसकी परीक्षा करना,
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(ख) किसी दस्तावेज को प्रकट और पेश करने की अपेक्षा करना, (ग) शपथपत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना,
(घ) किसी कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रतिलिपि की अध्यपेक्षा करना,
(ङ) साक्षियों और दस्तावेजों की परीक्षा के लिये कमीशन निकालना
और
(च) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाए। आयोग के अध्यक्ष
राज्य शासन के पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने अपने आदेश क्र. 1102/985/54-2/96 दिनांक 23.10.96 द्वारा मध्यप्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग का गठन 23 अक्टूबर 1996 से किया है और इसके अध्यक्ष के पद पर श्री इब्राहीम कुरैशी को नियुक्त किया है।
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मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम भोपाल द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को स्वरोजगार स्थापित करने की दृष्टि से 95 प्रतिशत ऋण सस्ती ब्याज दरों पर प्रदान किया जाता है। हितग्राही को अपनी ओर से 5 प्रतिशत अंश जमा करना होता है। वित्तीय सहयोग निगम द्वारा स्वीकृत निम्नांकित योजनाओं को प्रदान किया जाता है
(1) डेयरी
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बेकरी
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होटल / ढाबा
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(8)
पान दुकान
रेडीमेड गारमेंट
किराना दुकान
आटो स्पेयर पार्ट्स
आटो रिपेयर
(9) विद्युत मोटर रिवाइंडिंग (10) प्रिंटिंग प्रेस एवं
(11) कार वर्कशाप आदि
इन योजनाओं का लाभ अब जैन समुदाय भी उठा सकता है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम द्वारा वर्ष 19992000 हेतु मध्यप्रदेश के निगम को रु. 204 लाख का प्रावधान किया गया था।
जिले स्तर पर इस योजना का कार्यान्वयन महाप्रबंधक, जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र द्वारा किया जाता है। प्रायः प्रतिवर्ष मई माह में आवेदन पत्र प्राप्त किये जाते है। इच्छुक व्यक्ति महाप्रबंधक, जिला एवं व्यापार उद्योग केन्द्र से सम्पर्क करें।
अल्पसंख्यक समुदाय के उन हितग्राहियों को जिनकी पारिवारिक वार्षिक आय गरीबी रेखा के नीचे शहरी क्षेत्रों में 21,206 तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 15,976 एवं दोहरी गरीबी रेखा के नीचे शहरी क्षेत्रों में रु. 42, 412 तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रु. 31,952 से कम हो एवं उनकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक हो, उन्हें ऋण लेने की पात्रता होगी।
राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम द्वारा अशासकीय संस्थाओं के माध्यम से भी प्रति व्यक्ति रु. 10,000/- तक ऋण दिया जाता है।
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'जून 2001 जिनभाषित 20
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