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जिनभाषित
अप्रैल 2001
अन्तस्तत्त्व
सम्पादक प्रो. रतनचन्द्र जैन
कार्यालय 137, आराधना नगर, भोपाल-462003 (म.प्र.) फोन : 0755-776666
सहयोगी सम्पादक पं. मूलचन्द लुहाड़िया पं. रतनलाल वैनाड़ा डॉ. शीतल चन्द्र जैन डॉ.श्रेयांस कुमार जैन डॉ.वृषभप्रसाद जैन
1. सम्पादकीय 2. नवनीत : भगवती आराधना में मनोविज्ञान | 3. बोधकथा : सौ सगे, सौ दुःख
4. अन्तिम तीर्थंकर भगवान महावीर 5. बोधकथा : अतिनिन्दनीय और अतिप्रशंसनीय 6. महावीर -प्रणीत जीवनपद्धति की प्रासंगिकता 7. कविता : गुरुस्तवन
भगवान महावीर का २६००वाँ
जन्मकल्याणक महोत्सव 9. उर्दू शायरी में अध्यात्म 10. शलाका पुरुष : पूज्य पंडित गणेश प्रसाद जी
'वर्णी और उनकी साहित्यसेवा 11. कुन्दकुन्द की दृष्टि में शुभोपयोग
परम्परया मोक्ष का हेतु 12. नारीलोक : गर्भपात : हमारी शुन्य होती संवेदनाए 16 13. कविताएँ : -टंच कसती है कसोट
-मंजिल की पहुँच 14. हास्य व्यंग्य : नमस्कार सुख 15. बालवार्ता : बुद्धि चातुर्य की कथाएँ 16. अल्पसंख्यक मान्यता से जैन समाज को लाभ 17. बड़े बाबा की शरण में आकर नास्तिक भी
आस्तिक बनकर जाते है 18. गुरु-समागम 19. कुण्डलपुर : एक रिपोर्ट 20. कुण्डलपुर महोत्सव पर विशेष आवरण
एवं मुहर जारी 21. कुण्डलपुर की भूवैज्ञानिक परिस्थितियों
का विवेचन 22. बोधकथा : माता चिरोंजाबाई की नि:स्पृहता 23. भूकम्प और गुरुकृपा का प्रसाद 24. तीर्थ सुरक्षा हेतु सार्थक पहल 25. विद्यासागराष्टकम्
आवरणपृष्ठ-3
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