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सकते हैं।
व्यसन-मुक्त समाज की परिकल्पना को साकार संस्कृत-प्राकृत विभागों में सेमीनार संयोजित | 'ग्रुप-डिसकशन' समायोजित किये जावे जो करने हेतु पोस्टर बनवाकर उनकी प्रदर्शनी किये जाएँ जिनमें निम्नांकित संदर्भो को उठाया। मूलतः अहिंसा और नैतिक मूल्य परक हों। समायोजित हो और व्यसनों की बुराइयों का जाये और जनसामान्य के लिये उनके निष्कर्ष
४. प्रतिभाशाली चरित्रवान परंतु गरीब साधनहीन चित्रांकन के माध्यम से दिग्दर्शन कराया जावे। प्रकाशित किये जायें।
छात्रों के भावी उच्च अध्ययन के लिए मद्यपान, धूम्रपान, गुटखा, पान, गांजा, अ.पर्यावरण-सुधार में जैन धर्म के सिद्धांतों का | छात्रवृत्तियों का प्रावधान सुनिश्चित किया जावे। ब्राउन शुगर जैसे नशीले पदार्थों के बहिष्कार का | योगदान
इसके लिए स्थानीय जैन समुदाय द्वारा फण्ड माहौल बनाया जावे। ब. जन-संरक्षण, स्वास्थ्य और शिक्षा में नैतिक
का निर्माण कर एक सहायता राशि विद्यालयों ३. एक अंतर्राष्ट्रीय “विश्व-धर्म- मूल्यों का समावेश आदि पर कार्य-शालाएं
को दी जावे। सम्मेलन" का आयोजन दिल्ली में सुनिश्चित किया आयोजित हों।
५. गरीब-रोगियों के असाध्य रोगों के इलाज के जावे जिसमें जैनधर्म/दर्शन पर विशेष व्याख्यान स. जैनधर्म की वैज्ञानिकता को मुखर करने वाले
लिए "जीवनदान-अनुदान' के रूप में आयोजित हों। शोधालेखों का वाचना
सहायता मुहैय्या करायी जावे। ४. मांस निर्यात नीति के संबंध में संसद में द. भोगवादी संस्कृति के बढ़ते परिवेश को नियंत्रित
(४) लोक कल्याण एवं पर्यावरण सुधार के पुनर्विचार किया जावे और इस पर प्रतिबंध लगाने
___ करने में साधु व श्रावक-चर्या की अहम लिये कार्ययोजनाएकी कार्यवाही सुनिश्चित की जावे ताकि मूक भूमिकाएँ।
१. गो सदनों/गो-शालाओं का निर्माण किया पशुओं का वीभत्स-कत्ल बंद हो सके और
| इ .अहिंसा और अणुव्रतों के अनुशीलन में जावे, जो जीव दया के सिद्धांत को प्रचारित "जीव-दया" की मूल अवधारणा को बल मिले।
श्रावकत्व, धर्म और चर्या आदि विषय हो करें। इसमें राज्य सरकार और समस्त हिन्दू, ५. एन.सी.ई.आर.टी. के माध्यम से
सिख,मुस्लिम,पारसी,ईसाईजनों से सहयोग भगवान महावीर के जीवन एवं उपदेश के संबंध में ई. जैनतीर्थों का पर्यटन केन्द्रों के रूप में विकास
माँगा जावे ताकि उनमें भगवान महावीर की एक मानक कृति का प्रणयन-हिंदी/अंग्रेजी भाषा
किया जावे। उनके चारों ओर की भूमि में करुणा/प्रेम की मूल अवधारणा का विकास में किया जाकर उसका प्रकाशन हो और विदेशों
औषधि, वनस्पतियाँ और उद्यान विकसित में केन्द्रीय सरकार के माध्यम से वह पुस्तक भेजी
किये जावें तथा जैन पुरातत्व से विदेशी पर्यटकों
२. वृक्षारोपण किया जावे। प्रत्येक नवनिर्मित मंदिर को अवगत कराया जावे।
के साथ उद्यान/बगीचों के निर्माण का प्रावधान इस संबंध में एनसीईआरटी के डायरेक्टर डॉ. राजपूत एवं शिक्षा-दर्शन विभाग के समन्वयक
(3)भगवान वर्द्धमान महावीर के जीवन प्रसंगों की सुनिश्चित किया जावे। डॉ.एम.सी.जैन को लिखा जावे, जिनके संयुक्त
सशक्त अभिव्यक्ति के लिए नुक्कड़ | ३. पशु-पक्षियों के लिये चिकित्सालयों की
नाटकों/एकाकियों का मंचन किया जावे। सहयोग से यह कार्य-योजना प्रभावी रूप से
।
शुरुआत हो। क्रियान्वित हो सकती है।
३.शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी कार्ययोजनाएं ४. अपंग लोगों को अंग-उपकरण और व्यवसाय २. प्रकाशन एवं प्रभावना संबंधी कार्य
के लिए साधन प्रदत्त किए जावें। योजनाएँ
पाठ्यक्रम तैयार किया जाकर उन्हें राज्य के ५. प्रत्येक शहर में "जैन-श्रावक-आहार केन्द्र"
समस्त विद्यालयों में लागू करने के लिए राज्य १.रेडियो एवं टेलीविजन कार्यक्रमों के माध्यम से
लाभ-हानि रहित सिद्धांत पर खोले जावें जहाँ भगवान महावीर के जीवन दर्शन और जैनदर्शन के माध्यमिक परीक्षा-बोर्ड एवं राज्य सरकारों
शुद्ध आहार की व्यवस्था हो। को रूपायित/व्याख्यापित किया जावे तथा जैन - को भेजा जावे।
(५) अन्य विविध महत्वपूर्ण योजनाएँ धर्म को मानव-जीव-कल्याण, विश्वशांति और | २. पं. जुगल किशोर मुख्तार रचित "मेरी भावना"
१. अध्यात्मिक-योग-ध्यान-केन्द्रों का शुभारंभ अहिंसा के संदर्भ में उल्लेखित किया जावे। को विद्यालयों की सर्वधर्म प्रार्थना में समाहित
बड़े नगरों/शहरों में किया जावे। जहाँ आज २. विदेशों में जैन धर्म/ भगवान महावीर के उपदेशों करने के लिए शिक्षा-सचिव/राज्य सरकारों को
की गंभीर ज्वलंत समस्या-मानसिक तनाव का के प्रचार-प्रसार के लिए जैन विद्वानों का चयन लिखा जावे।
सकारात्मक समाधान मिल सकता है। प्रत्येक कर विदेशों में भेजा जाये। इसके लिए एक चयन ३. प्रत्येक विद्यालय में- “अहिंसा और मैत्री" तीर्थ स्थलों पर योग-ध्यान-केन्द्रों का निर्माण समिति गठित की जाये।
क्लब की स्थापना की जावे। महाविद्यालयीन और विकास किया जावे। जम्बूद्वीप शोध ३. विश्वविद्यालयों के दर्शन/ समाजशास्त्र/
स्तर पर-संगोष्ठियां, भाषण प्रतियोगिता और संस्थान हस्तिनापुर और श्री महावीर जी में ऐसे
जावे।
अप्रैल 2001 जिनभाषित ।।
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