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________________ 'भगवान महावीर का २६०० वा गन्म कल्याणक महोत्सव' कैसे मनाएँ: कार्य-योजनाएँ प्राचार्य निहालचंद जैन १ अप्रेल २००१ से ३० अप्रेल २००२ | अध्यक्षता में राज्य समिति का गठन करके, पहल | के विकास और उत्कर्ष में आगे बढ़कर, अपनी तक वर्ष भर भारतीय सांस्कृतिक परंपरा के | की शुरुआत की। कार्यकुशलता से भारत सरकार और कालजयी महापुरुष भगवान वर्द्धमान महावीर का भगवान महावीर की मानवता के । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के माध्यम से इसे २६००वाँ जन्म जयंती महोत्सव, राष्ट्रीय एवं उत्थान/उत्कर्ष के लिये, सबसे बड़ी देन | जीवन्त बनाए रखें। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 'अहिंसा वर्ष' के रूप में मनाया 'अहिंसा, अनेकान्त और अपरिग्रह' के __ अभी हाल में डॉ.कमलचंद जी सोगानी जा रहा है। अनुशीलन करने की रही। जैन धर्म का मुख्य चिंतन | अध्यक्ष जैन विद्या संस्थान महावीर जी ने लेखक सन १९७४ में मानवता के मसीहा भगवान 'अहिंसा का परिपूर्ण पालन' रहा। और “जियो को अवगत कराया कि जयपुर में (राजस्थान)में महावीर का २५००वाँ परिनिर्वाण महोत्सव भी एक संस्कृत विश्वविद्यालय का शुभारंभ होने जा राष्ट्रीय स्तर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा | का केन्द्र बिन्दु बना। रहा है। चर्चा के दौरान उनकी भावना दिखी कि वे गांधी की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय समिति द्वारा इसे "भगवान महावीर संस्कृत प्राकृत अतः इस शुभावसर पर यह प्रयत्न पूरी मनाया गया था और विदेशों तक इसकी हलचल विश्वविद्यालय" नाम देने के लिये संकल्पित हैं। ताकत से किया जाना चाहिए कि अहिंसा की इस रही। जैन धर्म को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर स्थापित किया सार्वभौमिक भावना का राष्ट्रीय स्तर पर समादर जैन समाज के श्रीमानों और सुधी विद्वानों को गया। दिगम्बर और श्वेताम्बर परंपरा में एक हो। इस वर्ष भगवान महावीर का जन्म कल्याणक एकजुट होकर यह नेक काम साकार करवाना समन्वय की दिशा में सर्वमान्य समण-सुत्तं' ग्रन्थ महोत्सव एक व्यापक दृष्टिकोण के परिप्रेक्ष्य में चाहिए और कहीं भी आर्थिक पहलू के कारण यह प्रणयन किया जाकर आचार्य विनोबा भावे की मनाया जावे।उनके जीवनदर्शन और उपदेशों का अवसर नहीं चूकना चाहिए भले ही जैन समाज भावना को मूर्तवन्त किया गया था। इसका प्रचार-प्रसार भी, इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम को १ या २ करोड़ धनराशि अनुदान स्वरूप देना पद्यानुवाद "जैन गीता" के नाम से आचार्य श्री से सर्वव्यापकरूप से किया जावे। पड़े। विद्यासागर जी महाराज ने करके इसकी व्यापकता यहां कुछ कार्य-योजनाओं की रूपरेखा को नया आयाम दिया। नई दिल्ली के महरौली क्षेत्र मेरा विचार है कि उनके दिव्य-संदेशों की प्रस्तुत है, जिनके क्रियान्वयन के लिए समाजसेवी में अहिंसा स्थली के रूप में भगवान महावीर स्वामी गूंज के साथ ही पर्यावरण, सामाजिक शांति और संस्थाओं, समाज के नेताओं, संस्थाओं की विशाल/ मनोज्ञ प्रतिमा प्रतिष्ठित की जाकर सद्भाव, स्वास्थ्य और शिक्षा तथा लोकसेवा के (प्रकाशन) और राज्य सरकारों को यथोचित उसे पर्यटन केन्द्र के रूप में भारत सरकार के सहयोग क्षेत्र में जनकल्याणकारी कार्यक्रम समादित किए सहयोग करना चाहिए। से विकसित किया जा रहा है। महानगरों/ कस्बों जावें, जिसमें भगवान महावीर प्रतिबिम्बित हो सकें। ___इनमें से बहुत सारी कार्य-योजनाएं में "जय-स्तम्भों' का निर्माण किया जाकर उन कुछ बिन्दु/कार्य-योजनाएं (Projects) महासमिति द्वारा भी प्रस्तावित की गयी हैं। अस्तु पर भगवान महावार के दिव्य-सदश उत्काण किए प्रस्तावित हैं, जिनके लिए सर्वप्रथम पूज्य इन पर स्वीकृति की मुहर लगनी चाहिए। गए। आचार्यों/संतों/मुनिवरों का आशीर्वाद चाहिए। १. भारत सरकार द्वारा निम्नांकित योजनाएं इसी प्रकार समग्र जैन समाज के केन्द्रीय संत हमारे राष्ट्र की चारित्र-रीढ़ हैं। आचार्य भगवन्तों साकार की जावेंसंगठन के रूप में भगवान महावीर २६०० वाँ जन्म का जैन समाज में सर्वोपरि पूज्य-भाव है। इन कल्याणक महोत्सव महासमिति का गठन किया संयमी-पुरुषों का आशीष और वरदहस्त इसकी १. भगवान महावीर के चित्र सहित सिक्कों और गया तथा राष्ट्रीय स्तर पर माननीय प्रधानमंत्री श्री पवित्रता को अक्षुण्ण रखेगा। इसके साथ भारतवर्ष ___ डाक-टिकटों का लोकार्पण, राष्ट्र के नागरिकों अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय की समस्त जैन संगठन, संस्थाएं, कुन्दकुन्द भारती के लिये किया जावे। समिति का भी गठन कर लिया गया है। इसी प्रकार नई दिल्ली, कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ इंदौर, जैन विश्व २. एक चलित रेलगाड़ी का शुभारंभ किया जावे प्रायः सभी राज्यों में राज्य स्तरीय समितियों का भारती लाडनू, त्रिलोक शोध संस्थान हस्तिनापुर, जिसमें भगवान महावीर के जीवन दर्शन की गठन भी प्रस्तावित है और इस दिशा में सर्वप्रथम जैन विद्या संस्थान महावीर जी आदि जैसी जागरूक झांकियाँ, उनके पूर्व ९० भवों का चित्रांकन, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने अपनी संस्थाएं संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं प्रमुख-उपदेशों का लेखन/सूचना-पट्ट हो। A 10 अप्रैल 2001 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524251
Book TitleJinabhashita 2001 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2001
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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