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________________ सुपनइं शीलनइं भंगि, जेह मुनिवर करइं हो लाल, जे. कुसुमणा मनि रंग, काउसग तिण परई हो लाल, का... वली इरियावही जास, स्त्री संघट्टि उपजई हो लाल...स्त्री ते किम रही घरवास, गृहस्थ किम नीपजइ हो लाल... गृ... कहउ हवइ मिलसि क्यांहि, तेह पुरि पुरि फरइं हो लाल ते.... रहई वनटवीमांहि, जेह गिरिकंदरई हो लाल... जे जो कदि भावी भोगि, ते फिरतउ वसि हो, लाल ते... ओलखशो किण जोगि, सि हुकमति फावसि, हो लाल सि... पगतलि पदम छई तास, तातजी सांभळो हो लाल, ता... ओळखशो छई आस, छोडि दिउ आमलउ हो लाल, छो... सुणि वत्स जो तई एम, प्रतिज्ञा ए करी, हो लाल प्र. तउ हवई ते मिलइ जेम, करउ जे परखसी, हो लाल... मांडउ शत्रुकार, दान देवउ सदा हो लाल... दा. श्रमण माहण तिण ठार, आवेसि सरवदा हो लाल... आ. मांडइ कुमरी तेह, दानशाळा भणी, हो लाल दा. भिक्षा वरसवि गेह, आवई तिणि मसिवली हो लाल... देता इणिपरि दान, बार वरसा तरइ हो लाल, बा... फिरतउ थानोथान, तेहनइ मंदिरइ हो लाल ते... किम आविउ ऋषिराज, तेह कहिस्युं हवई हो लाल, ते. न्यानसागर शुभ काज, ढाल दसमी कहई हो लाल... ढा... धनवतीनो निर्णय हवे धनवती वरवा योग्य थवाथी तेने वरवाने घणा वर तैयार थईने आव्या एटले तेना पिताए तेने कां के आमाथी योग्य वर अंगीकार कर. ते सांभळी धनवतीए पिताने कयुं के, “हे तात ! पूर्वे मे जेने वरेल छे. अने भय पामेली हुं जेने शरणे गई छं. वरवाना द्रव्यने ग्रहण करता एवा तमे पण जेने माटे मने आपी छे, ते ज मुनीश्वर महारो पति थाओ. तमे शा माटे वृथा खेद करो छो ? ते महर्षिने हुं मारी रुचिथी वरी 75
SR No.523351
Book TitleAho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal S Shah
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages132
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationMagazine, India_Aho Shrutgyanam, & India
File Size3 MB
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