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क्षण एक साहमी थापिनई, विस्मित चिंतई सोय, सीस चरण करि कोटिनो, किहां नो भूषण होय ...
स्युं ए बांधी जई लगि, कहि पहरिजि पाय, स्युं बांहि बांधी, न मलई कोई उपाय...
ढाल- ६
देशी - विधीयानी
साहमउं निरखी निरखी कहि, दीठउं छई एहवुं क्यांहि रे, इम वारंवार सांभरता, तव जातीसमरण त्यांहि रे....
तेह आर्द्रकुमरनइ उपनइ, करुणानिधि किरतार रे, एतउ एकमना आराधतां, परमारथ पंथ दातार रे.....
तरणतारण त्रिभुवनधणी, जे छेदई मोहनी जाल रे, ए भयभंजन भगवंतजी, भेटीया भलई देवदयाल रे,... सामायिकनो भव सांभरिओ, चारितमां विषयविकार रे, चिंतिउ चित्त आलोयउ नहीं, तिण हुं लहिउ म्लेच्छावतार रे... अहो भावशल्य भारे घणुं, दुःखदायक थयुं एम रे, अमृतमांहि विष नीपनुं, ते टाली सकस्युं केम रे...
जिहां जीवतणइ घातइ करी, रुधिरइं भीनां रहइं हाथ रे, farar मदन तुम्हं होज्यो, तई तो दीधी छे बाउल बाथ रे...
अवतर्यो देश अनारजिं, जिहां नहि ध्यानी ख्याति रे, जिहां अभक्षनुं भक्ष करिस, हुं अपेय पीइ दिनराति रे...
एकइं अक्षर जिहां धरमनउं, कहीइं नवि सुणवो कानि रे, तो पोसह पडिकमणउं किहां, किहां मेल्हिजि धर्मध्यानि रे... जउं मनना दुश्चिंत थकी, पामिउं कडूआं फल जोर रे, तउं त्रिधा योग पातकतणां, फल भोगवसिउं किम घोर रे... पामीउ प्रतिमादरिसण थकी, संवेग घणउ सुखकार रे, चिंतइ आरयदेसइ जई, संवर आराधउं सार रे...
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