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________________ ॥श्री चिंतामणी पार्श्वनाथाय नमः। ॥श्री पद्म-जीत-हीर-कनक-देवेन्द्र-कलापूर्ण-कलाप्रभसूरि- सद्गुरुभ्यो नमः॥ श्री आर्द्रकुमार रास दुहा सकल सुरासुर जेहना, पूजइं भावइं पाय, ऋषभादिक चउवीश हुं, ते प्रणमुं जिनराय... वली प्रणमुं श्रुतदेवता, वागेसिरी विख्यात, आर्द्रकुमारऋषि गावतां, मुज मुखि वसज्यो मात... माणिक्यसागर मुनिवरु, मुज गुरु मननइ कोडि, सांनिधि कर ज्यो शिष्यनी, कहुं छउं बेइ करजोडि... श्री सोहमसामि कहिउं, जंबू आगलि सार, आर्द्रकुमरऋषिनउं भलउं, सूयगडांगइ अधिकार... ते हुं आणीश तिहां थकी, वृत्ति थकी सुविशेषि, उपदेशचिंतामणी प्रमुख, ग्रंथचरित्र सब देखि... चारित लेइनइं चतुर, मनथी शल्यविकार, मूकीनई पालो भविक, संयम निरतिचार... भावसल्य पहिलइं भवई, आर्द्रकुमारनइं जीव, जउ राखीओ तुं तउ थयोउ, म्लेच्छ समुद्रमध्यदीवि... जिनप्रतिमा दरिसण थकी, जातीसमरणि जाणि, प्रतिबुधउ चारित्र लीओ, अरथ सरिउं निरवाणि... तास चरित्र सुणिज्यो भविक, एकचित्ति अभिराम, पहिलउं पूरवभव थकी, मांडी कहुं शुभकामि... मंगलाचरण दुहानी आ नव कडीमां कवि मंगलाचरण करतां कहे छे के, “सकल सुरेन्द्र, असुरेन्द्र, नरेन्द्र, देवेन्द्र चक्रवर्ती जेमना चरणोने निरंतर भावथी पूजा करे छे, एवा आ 49
SR No.523351
Book TitleAho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal S Shah
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages132
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationMagazine, India_Aho Shrutgyanam, & India
File Size3 MB
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