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________________ 18 आ. कैलाससागरसूरिजी ज्ञान भंडार, कोबा (प्रथम पृष्ठ ) 2 सजनवित्तव एणार्डनमः॥विशेषज्ञ मिंग सह तस्य नलासिकरोम्यह। ताव दस्पसजन विज्ञवलनं कर्व: करवतामाद एकस्मिन्नगराल्या से वने सैक शिष्य साधु स्तपः कर्धस्तिष्टति किंविशिष्टः सः परमोत्कर्षवैराग्यागात्संसारावस्वान थावस्थित जरामृत्पुरो गवियोग: स्वकेशार्त्ति सर्व नवस्तितिविना वदन्तास्ते जैनेश्वरमार्गसत्य तयामन्वान स्तिष्ठति त दातन्लगरवासीशत) श्वेतास्तंमुनिसि का कालांतरे राजा मुनितिसम्म गेज लिंक त्वाजगाद स्वामिन् ममोपरिपवनगरांतरेमदाम निर्वद्य चित्रशालो पाश्रयेश्माता स था मदी मासे वासनातानपादयो नवजवेनसोन्नति तदामुना दोन तं साध्वीवन वासिन अनमाः नगरीशेनोक्तं श्रीमतानगरमेववनं सादे किया नगरांतरे राज्ञो ती स्वानेस साधु राजगाम तत्रापिकिदा का लं पूर्ववदनाम१स्तपमानः मां कर्माणः परगृहेऽनियताहारव ऊर्धस्वस्त ततश्विर क) जोषितचेनराजात खारट दारिका जन सेव्यमानाने कमाननी मनोज्ञसौदर्य रूप जावएएक ना कौशल्याने परिधाननाना विष्णयेनमृगमदचंदे ऽयु विलेपन तिनका दियुक्त स्त्री जनसंसर्गलेन गुरोश्चेत स्मरति तयासगिरिशिष On Achays The Kandr
SR No.523351
Book TitleAho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal S Shah
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages132
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationMagazine, India_Aho Shrutgyanam, & India
File Size3 MB
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