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» श्री रायपसेणियसुत्तं-भिन्न हस्तप्रतों परसे पाठभेद के साथ में संशोधित करके प्रकाशित ।
कर्ता - स्थविरभगवंत टीकाकार - आचार्य प्रवर श्री मलयगिरिसूरिजी वृत्ति संपादन - पू. आ. श्री मुनिचन्द्रसूरिजी प्रकाशक - श्री महावीर विद्यालय, मुंबई.
प्राप्तिस्थान - आ. ॐकारसूरिजी ज्ञानमंदिर, सुभाष चौक, गोपीपुरा, सुरत. » श्री चंद्रप्रज्ञप्तिसुत्तम्- भिन्न हस्तप्रतों परसे पाठभेद के साथ में संशोधित करके प्रकाशित ।
कर्ता - पू. सुधर्मास्वामी टीकाकार - पू. मलयगिरिजी संपादन-प्राचीनश्रुतोद्धारक पू. आ. श्रीमद्विजयहेमचन्द्रसूरिजी के शिष्य रत्नबोधिविजयजी प्रकाशक - श्री महावीर विद्यालय, मुंबई. प्राप्तिस्थान - श्री जिनशासन आराधना ट्रस्ट, ६-ए, बद्रीकेश्वर सोसायटी,
मरीन ड्राइव, ई-रोड, मुंबई. आख्यानकमणिकोश भाग-१ थी ४ उपदेश कथाओंका यह मूल प्राकृत ग्रंथ के उपर संस्कृत वृत्ति की रचना हुई है और यह ग्रंथ पुण्यविजयजी म.सा. ने पहले संपादित किया था। अब पुरे ग्रंथ को संस्कृत छाया के साथ पुनः संपादित करके प्रकाशित किया है। कर्ता - आ. नेमिचन्द्रसूरिजी टीकाकार - श्रीमद् आम्रदैवसूरि वृत्ति संपादन - श्री पार्श्वचंद्रसागरजी म.सा. प्रकाशक - आ. ॐकारसूरिजी ज्ञानमंदिर प्राप्तिस्थान - आ. ॐकारसूरिजी ज्ञानमंदिर, सुभाष चौक, गोपीपुरा, सुरत. पंचाशकप्रकरण अद्यावधि अप्रगट टीका को मूलग्रंथ व संस्कृत टीका के साथ प्रकाशित किया है। कर्ता- आ. हरिभद्रसूरिजी म.सा. टीकाकार- आ. यशोभद्रसूरिजी म.सा. संपादन- आ. बोधिरत्नसूरिजी के शिष्य श्री धर्मरत्नविजयजी म.सा., प्रकाशक- मानव कल्याण संस्थान प्राप्तिस्थान- विजयभाई सी. शाह- कांदीवली (वेस्ट) मुंबई. फोन-९८२१२८७०६८
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