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५ कुमरजी...
६ कुमरजी...
७ कुमरजी...
८ कुमरजी...
९ कुमरजी...
पूरवलउ भव सांभरई रे, तीणई न करइ मनि रोस, कृतकर्म झूरइ आपणउ रे, कुणनइ देइ नवि दोस... जण-जणनइ मुखि सांभल्यउ रे, कुमर तणउ अन्याय, मनि रीसाणउ अतिघणउ रे, रोस न मेल्हई राय... कुमर शूली आरोपिवा रे, ततखिणि देइ आदेश, पुत्र भणी दाखि न तिहा रे, नवि कीधउ लवलेश... कीर्तिमती राणी कहइ रे, करजोडीनइं नाह, ए अपराध तुम्हे खमउ रे, पाछइ होसी दाह... कोपि चडिउ राणी तणउ रे, किमइ न मानइ बोल, राजलोक सवि अवगिण्या रे, नीठुर हुओ निटोल... खर उपरि चडाविउ रे, गली करणनी माल, आगलि वाजइ काहली रे, जोवइ बाल गोपाल... वध्य भूमिका आणिउ रे, कुणही किंपि न होइ, महतउ बल भेदइ तिसइ रे, छानउ राखइ सोइ... कोठामांहि छानउ रहइ रे, मंत्री दियइ प्रतिबोध, उपशमरसि मन वसि करी रे, छंडि नयर विरोध... माय-बाप बंधव तणउ रे, सगपण जोई असार, एक जिनधर्म रुवडउ रे, न लहइ भेद अपार... आप सवारथ जगि मिलिउ रे, कृत्रिम धरइ सनेह, तडकइ लागइ प्रेम जिउ रे, झटकिं दिखडइ छेह...
१० कुमरजी...
११ कुमरजी...
१२ कुमरजी...
१३ कुमरजी...
१४ कुमरजी...
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