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________________ विक्रम पादन किया गया है। महावीर ने जिस वर्ग-विहीन और शोषणमुक्त समाज की कल्पना दी, उसकी पहली शर्त है इकाई का निर्माण हो गया तो व्यक्तियों के समूह से बने समाज का निर्माण तो सुनिश्चित है। व्यक्ति के निर्माण की पहली सीढ़ी है--सम्यग्दृष्टि । दृष्टि की निर्मलता के बिना आगे कदम रखना मुश्किल है। आँख में पीलिया होगा तो सब कुछ पीला दिखेगा। कांच कामल आदि होंगे तो एक चाँद की जगह दो दो चाँद दिखेंगे। सम्यग्दृष्टि होने पर ही ज्ञान सच्चा होगा। सम्यग्ज्ञान होने पर व्यक्ति की कार्य प्रवृनि सही हुए बिना नहीं रह सकती। रेलगाड़ी यदि पटरी पर चढ़ी है तो रास्ता कितना ही घूम-घुमाव वाला हो वह सही रास्ते ही जायेगी। जैन प्राचार्यों ने निःश्रयस की उपलब्धि के लिए इन तीनों की एक साथ उपयोगिता और अनिवार्यता बताई। भट अकलंक ने एक उदाहरण दिया है कि जलते हुए जंगल में से अन्धा व्यक्ति पैर होते हुए भी भाग-भाग कर बच नहीं पाता और आँखों वाला लंगड़ा देख-देख कर भी भाग नहीं सकता। दोनों दावाग्नि में जल जाते हैं। यदि आँखों वाला पैर वाले अन्धे के कन्धों पर बैठ जाए और सही रास्ता बताता चले तो दोनों बचकर बाहर निकल सकते हैं। यह सम्यक् आचरण ही व्यक्ति को एक अच्छी सामाजिक इकाई बनाता है। इसके लिए सावयधम्म में आठमूल गुण और बारह व्रत बताए हैं। ये प्रमुख नियम हैं। बारह व्रतों में प्रत्येक की पांच-पांच उपधाराएँ हैं, जिन्हें अतिचार कहा गया है। प्राचार्य कुन्दकुन्द (१ ली शती) ने चारित्रपाहुड़ में बारह व्रतों का वर्णन इस प्रकार किया है पचेवणुव्वयाइं गुणव्वयाइं हवंति तह तिणि । सिक्खावय चतारिय संजमचरणं च सायारं ॥२३॥ थूले तसकायवहे थूले मोसे अदत्तथूले य । परिहारों परमहिला परिग्गहारंभपरिमाणं ॥२४॥ दिसिविदिसमाण पढम अणत्थदंडास वजणं विदियं ! भोगोपभोगपरिमा इयमेव गुण व्वया तिणि ॥२५॥ सामाइयं च पढमं विदियं च तहेव पोसहं भणियं । तइयं च अतिहिपुज्ज चउत्थ सल्लेहणा अंते ।२६॥ पाँच प्रणुव्रत (१) स्थूल त्रस काय बध परिहार । (२) स्थूल मृषा परिहार । (३) स्थूल अदत्त परिहार । (४) परस्त्री परिहार । (५) परिग्रह और प्रारम्भ का परिमाण । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.523101
Book TitleVikram Journal 1974 05 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRammurti Tripathi
PublisherVikram University Ujjain
Publication Year1974
Total Pages200
LanguageHindi, English
ClassificationMagazine, India_Vikram Journal, & India
File Size11 MB
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