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________________ ३५% जैनहितैषी। [भाग १५ से यह कहूगा कि.......' तमाम जैन कौमपर ही नहीं उपयोगी पुस्तक..."हर एक स्त्री-पुरुषको अवश्य मँगा बल्कि तमाम हिन्दुस्तान भरपर एक महान् उपकार किया लेनी चाहिए । इसकी पद्यरचना और उसके भाव मनुष्यहैं। यह कीमती किताब एक ऐसी पुस्तक है जिसको को सुमार्ग पर ले जानेवाले हैं।"-दिगम्बर जैन । सुबह सबेरे उठकर सच्चे दिलसे पढ़ना चाहिए। बाबू २३-श्रीयुत स्व. कुमार देवेन्द्रज्योतिप्रसाद साहबने मुझे चार अदद भेजी थी मगर दफ्तर में ही हाथों हाथ बाँटो गई। अब मण्डल हाजाके प्रसादजी जैन, प्रारा। प्रेसिडेन्ट और वाइस प्रेसिडेन्ट साहबानके अलावा सब [भापके कितने ही पत्र इस विषयमें मेम्बर ऐसी किताब लेनेके ख्वाहिशमन्द (इच्छुक) हैं। हमारे पास आये हैं। उनमेंसे तीन पत्रोंका कमजकम यकसद (सौ) पुस्तक हों तो काम चल सकता कळ अंश नीचे दिया जाता है जिससे है। नीज़ (इसके अतिरिक्त) मेरी यह बड़ी ख्वाहिश है कि इसी साइजमें 'मेरी भावना' उर्दू में छपाई जावे और पाठक यह समझ सकेंगे कि देवेन्द्रप्रसादमुशकिल अल्फाफ (शब्दों) के मानी Foot note (फुट जीके पास, जो कि इस भावनाके कई नोट) में आ जावें। फिलहाल एक हजार किताब मैं अपनी संस्करणोंके प्रकाशक थे, जनताके कितने तरफ़से छपवाना चाहता हूँ।" पत्र पाये होंगे और उनमें लोगोंने अपने ___१६--श्रीयुत मिस्टर चम्पैतरायजी, कैसे हार्दिक भाव प्रकट किये होंगे।] बैरिस्टर, हरदोई। "I am pressed from all sides for ___ "आपकी 'मेरी भावना' नामी पुस्तकको मैंने अपनी free copies of मेरी भावना. I am sending एक नई किताबमें जो अब अंग्रेजीमें तैयार हो रही है। copies everywhere as far as possible. शामिल कर लिया है और इसका अंग्रेजी तर्जुमा (अनु तजुमा (अनु. People want 100 and 200 copies, वाद) भी उसमें दे दिया है। मैं उम्मीद करता हूँ कि रता कि even for cost They send wire for the । मामले ऐसा करने की इजाजत देवेगे; क्योंकि मुझको hook. Let me know how to handle the इस किसमका दूसरा मजमून मिलना बहुत मुशकिल होगा।" situation." 28-8-19 २०--श्रीयुत पं० फौंदीलाल शाह, दालाल शाह, “The enclosure will speak for महकमा निजामत, भरतपुर । itself. Your lofty thoughts (मेरी भावना) ता०२०-१०-२१ is being universally recognised as a . "आपने जो पुस्तक 'मेरी भावना' की बनाई है वह precious elixir. The gentleman wants अत्यन्त प्यारी माधुरी भाषा (में है) और सदुपयोगी है। to publish 1000 Urdu edition." इसमें मनुष्यके कर्म क्रमसे लिखे गये हैं। ऐसी पुस्तककी 18-12-19 हमारी पार्टी यानी तमाम अर्जीनवीसान तथा मुख्तारान "I am getting every day orders पसन्द करते है और कहते हैं कि एक एक पुस्तक और for मेरी भावना, Hindi edition. Have you हमको चाहिए क्योंकि हम सबों पर एक ही किताब है। or Bombay got more copies ? kindly कृपाकर १५ प्रति किताब भेज दो". supply me a lot of 2000 copies." .. २१-श्रीयुत बा. भैयालालजी जैन, 2-6-20 सेक्रेटरी कांग्रेस कमेटी, कटनी। अर्थात्-"मेरी भावनाकी" को कापि____ "मेरा अनुभव है कि 'मेरी भावना का पाठ करनेसे मोके लिए मैं चारों ओरसे मजबूर किया प्रत्येक धर्म के लोगोंमें पवित्र विचारोंका संचार होने जाता हूँ। मैं हर एक जगह जहाँ तक हो लगता है।" ता०२०-१०-२१ २२-श्रीयुत ला० मूलचन्द किसन- सकता है कापियाँ भेजता हूँ। परन्तु लोग दासजी कापडिया, सम्पादक 'दिगम्बर - सौ सौ और दो दो सौ कापियाँ मांगते हैं, यहाँ तक कि कीमतसे भेजने को जैन', सूरत। "यह छोटी सी परन्तु सुन्दर और प्रति दिन के लिए लिखते हैं । वे पुस्तकके लिए तार भेजते • यहाँ अमुकने बनाकर, अमुकने छपवाकर और हैं। मुझे बतलाइए कि मैं इस खितिसे अमुकने प्रकाशित करके, ऐसा लिखा है। कैसे पार पाऊँ।" Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522893
Book TitleJain Hiteshi 1921 Ank 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1921
Total Pages40
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size6 MB
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