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________________ नियमावली | १ जैनहितैषी का वार्षिक मूल्य ३) तीन रुपया पेशगी है । २ ग्राहक वर्ष के श्रारम्भसे किये जाते हैं और बीच में वं श्रंकसे । श्रधे वर्षका मल्य १॥ } ३ प्रत्येक अंक का मूल्य । चार आने । ४ लेख, बदलेके पत्र, समालोचनार्थ पुस्तक आदि 'बाबू जुगुल किशोरजी मुख्तार सरसावा (सहारनपुर ) " के पास भेजना चाहिए। सिर्फ प्रबन्ध और मूल्य आदि सम्बन्धी पत्रव्यवहार इस पतेसे किया जाय: मैनेजर जैन ग्रंथ - रत्नाकर कार्यालय, हीराबाग, पो० गिरगाँव, बम्बई । राणा प्रतापसिंह | मेवाड़के प्रसिद्ध राणाके चरित्र के आधारपर लिखा हुआ अपूर्व नाटक । मूल लेखक – स्वर्गीय द्विजेन्द्रलाल राय । वीरता, देशभक्ति और अटल प्रतिज्ञाकी जीती जागती तसवीरें । पढ़कर तबियत फड़क उठती है । मू० १॥) जिल्लका २ ) अन्तस्तल । हृदयके भीतरी भावों द्वेष, हिंसा, प्रेम, भय श्रादिके अपूर्वचित्र लेखक, सुकवि पं० चतुरसेन शास्त्री ||= नये नये ग्रन्थ | कालिदास और भवभूति । महाकवि कालिदासके अभिज्ञान शाकुन्तलकी और भवभूतिके उत्तररामचरितकी अपूर्व, अद्भुत और मर्मस्पर्शी समालोचना | मूल लेखक, स्वर्गीय नाटक Jain Education International कार द्विजेन्द्रलाल राय । प्रत्येक *fa साहित्यप्रेमी और संस्कृतज्ञोंको यह ग्रन्थ पढ़ना चाहिए। मूल्य १ ॥ ), सजिल्दका २ ) साहित्य-मीमांसा । पूर्वीय और पाश्चात्य साहित्यकी, काव्यों और नाटकोंकी मार्मिक और तुलनात्मक पद्धतिसे की हुई आलोचना । इसमें श्रार्यसाहित्य की जो महत्ता, उपकारिता और विशेषता दिखलाई गई है, उसे पढ़कर पाठक फड़क उठेंगे। हिन्दी में इस विषयका यह सबसे पहला ग्रन्थ है। मूल्य १ ॥ ) अरबी काव्यदर्शन । अरबी साहित्यका इतिहास, उसकी विशेषतायें और नामी नामी कवियोंकी कविताओंके नमूने । हिन्दी में बिलकुल नई चीज । लेखक, पं० महेशप्रसाद साधु, मौलवी श्रालिम-फाजिल । मू० १1) सुप्रसुखदास- जार्ज ईलियट के सिद्ध उपन्यास 'साइलस मारनर' का हिन्दी रूपान्तर । इस पुस्तकको हिन्दी के लब्ध प्रतिष्ठ उपन्यास-लेखक श्रीयुत् प्रेमचन्दजी ने लिखा है । बढ़िया एण्टिक पेपर पर बड़ी ही सुन्दरतासे छुपाया गया है । उपन्यास बहुत ही अच्छा और भावपूर्ण है । मूल्य ॥ =) स्वाधीनता - जान स्टुअर्ट मिलकी 'लिबर्टी'का अनुवाद | यह ग्रन्थ बहुत दिनों से मिलता नहीं था, इसलिये फिरसे छपाया गया है । स्वाधीनता की इतनी अच्छी तात्विक आलोचना आपको कहीं न मिलेगी । प्रत्येक विचारशीलको यह ग्रन्थ पढ़ना चाहिए। मूल्य २) सजिल्दका २ | For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522890
Book TitleJain Hiteshi 1921 Ank 05 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1921
Total Pages72
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size10 MB
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