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________________ अङ्क ३-४ सूत कातनेका कर्तव्य। सम्पत्तिमें समझे जाते थे; परन्तु अब इस इस समय इस सूतका जो दाम मिलता प्रकारके चलते फिरते मकानोंके प्रावि- है वह औसत हिसाबसे ४० तोले या कारसे वे जंगम सम्पत्तिमें भी परिगणित प्राधा सेर सूतके पीछे चार आना है, होने लगेंगे! अर्थात् एक घण्टेका एक पैसा पड़ा। इसलिए हर चरखेसे रोज तीन पाना . १२-सूत कातनेका कर्तव्य । मिलना चाहिए । मजबूत चरखा ७ रुपये में मिलता है। इस तरह १२ घण्टे रोज [ लेखक-महात्मा गान्धी।] काम करनेसे ३५ दिनसे कम ही समय में (“यंग इंडिया). इसका दाम निकल पाता है । इस हिसाबको ध्यानमें रखकर कोई भी अपने "स्वराज्यकी कुञ्जी" शीर्षक लेखमें मैंने कामका हिसाब बैठा सकता है। इस यह दिखलानेकी चेष्टा की है कि घर घर हिसाब पर कोई हिसाब लगाता जाय सूत कातनेका प्रचार करनेसे देशका कितना तो परिणाम देखकर उसके आश्चर्यका बड़ा लाभ है। भविष्यत्के किसी भी पारावार न रहेगा। शिक्षाक्रममें, सूत कातना एक आवश्यक यदि प्रत्येक स्कूलमें सूत कातना विषय होना चाहिए । जैसे हम लोग बिना साँस लिये, बिना भोजन किये जी सिखलाया जाय तो शिक्षाका व्यय चलानेनहीं सकते, वैसे ही घरमें सूत कातनेकी के सम्बन्धमें आज जो हमारे विचार हैं, प्रथाका जीर्णोद्धार किये बिना हमारा वे एकदम बदल जायँ। हम दिनमें छः आर्थिक स्वराज्य प्राप्त करना और इस घण्टेका स्कूल रख सकते हैं और लड़को. प्राचीन भूमिसे दरिद्रताको भगा देना को मुक्त शिक्षा दे सकते हैं। मान लीजिए असम्भव है। मेरा यह मत है कि प्रत्येक कि एक लड़का नित्य प्रति ४ घण्टे चरखा घरके लिए चरखा उतना ही आवश्यक चलाता है तो वह रोज १० तोले सूत है जितना कि रसोईघरमें चूल्हा । इसके निकालेगा और इस तरह स्कूल के लिए सिवा और कोई दूसरा उपाय नहीं है वह रोज एक आना कमावेगा । मान • जिससे इस देशकी दिन दिन बढ़ती हुई लीजिए कि पहले महीने में उससे काफी दरिद्रताका प्रश्न हल हो सके। सूत न निकला और २६ दिनका स्कूल तब घर घरमें चरखेका प्रवेश कैसे रहा। पहले महीनेके बादसे वह १॥ हो ? मैंने तो पहलेसे ही कह रखा है कि महीना कमा लेगा। इसी हिसाबसे जिस प्रत्येक राष्ट्रीय विद्यालयमें चरखा चलाना श्रेणीमें ३० बालक हैं उस श्रेणीको पहले और सूत निकालना सिखाया जाना मह महीनेके बादसे ४८) महीनेकी श्रामचाहिए। जहाँ एक बार हमारे लडके- दनी हो जायगी। लड़लियोंने यह कला सीख ली तहाँ वे मैंने साहित्यकी शिक्षाके सम्बन्धमें उसे आसानीसे अपने घर ले जा सकते हैं। कुछ नहीं कहा है । यह शिक्षा ६ घंटोमेसे .. पर इसके लिए संगठनकी आवश्य- बाकीके दो घण्टोंमें दी जा सकेगी। कता है। चरखा प्रति दिन १२ घण्टे इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि हर एक चलाना चाहिए। अभ्यस्त मनुष्य एक स्कूल बिना विशेष परिश्रमके अपना घण्टेमें ढाई तोला सूत कात सकता है। खर्च आप चला सकता है और देश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522887
Book TitleJain Hiteshi 1921 Ank 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1921
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size9 MB
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