________________
अङ्क ९.)
विविध-प्रसङ्क।
२७१
अनेक ऐसे प्रसंगोंकी कल्पना कर सकता हूँ ५ नागपुरमें ३०-३१ मईको कोल्हापुर जब कि विलायत न जाना अपराध गिना महाराजके सभापतित्वमें 'आल इंडिया कांग्रेस जायगा।" दूसरे शब्दोंमें यों कहना चाहिये आफू डिप्रेस क्लास' (नीच समझी जानेवाली कि विलायतयात्रासे यदि किसी भारी लाभकी जातियोंकी सभा ) का जो जल्सा हुआ है उसमें संभावना हो तो उसके लिये जरूर प्रस्तुत होना अछूत जातियोंके साथ किये जानेवाले सामाचाहिए । अन्यथा, केवल सैर-सपाटेके लिये नहीं। जिक और राजनैतिक अन्यायोंकी बड़ी निन्दा इसीसे महात्माजीने खिलाफत मामलेमें विलायत की गई और उसे देशके लिये घातक बतजाना स्वीकार किया था और अपने भेजे या न लाया गया। भेजे जानेका अन्तिम निर्णय मुसलमान भाईयोंके ६ मि० बी० बोसने कहा है कि नई कौंसिऊपर छोड़ा था।
लोंका सबसे पहला कार्य यह होना चाहिये कि ५-अछूत तथा नीच जाति- वह उन संपूर्ण अन्यायोंको दूर करनेका उद्योग योंका सौभाग्य । ..
करे जो नीचोंके साथ किये जाते हैं । सहयोगी 'भविष्य' आदि पत्रोंसे मालूम
___ ७ कोचीनके दीवानने कुछ छोटी जातियोंके होता है कि आजकल अछूत तथा नीच जाति
मंदिरमें जानेके अधिकारको स्वीकार कर योंके उत्थानका अनेक स्थानोंपर अच्छा प्रयत्न
लिया है। जारी है, जिसके कुछ उदाहरण इस प्रकार है:--
ये सब बातें अछूत तथा नीच जातियों के १ थैया सम्प्रदायके धर्मगुरु श्रीनारायण
सौभाग्योदयको सूचित करती हैं । इन जातियों गुरु स्वामीने, जिनके शिष्योंकी संख्या १७
पर पिछले जमानेमें बहुत कुछ अन्याय और लाख है; मंदिरोंमें परिया और दूसरी अछूत
अत्याचार हुए हैं। जान पड़ता है अब इनके जातिवालोंको घुसनेकी आज्ञा दे दी है। परि
भी कुछ दिन फिरे हैं और इनके सौभाग्यका या जाति मद्रास प्रांतमें एक बहुत नीची कौम
सितारा भी चमकेगा। महात्मा गाँधी जैसे देशसमझी जाती है।
": नेता भी इनके उद्धारमें लगे हुए हैं। इस विषयमें . . २ कालीकटके जमोरिन कालिजमें अभीतक उनके विचारोंको हमने अन्यत्र प्रगट किया हैं। सिर्फ ऊँची जातिके लड़के ही दाखिल हो सकते ६-विना नामके लेख-पत्र । थे परंतु अब अछूत लड़के भी दाखिल हो सकेंगे। 'नवजीवन में एक विना नामके लेखको उद्
३ कोचीनकी 'कांग्रेस' नामकी सभाने धृत करके उस पर टीका करते हुए, महात्मा प्रस्ताव पास किया है कि अछूत जातियोंको गाँधी लिखते हैं किवर्तमान दशाके अनुसार उचित' अधिकार दिये “मैं अनेक बार लिख गया हूँ कि जवाबजाने चाहिये।
दारी (जिम्मेदारी ) वाले लेख किसीको भी ४ मैसूर राज्यमें अछूत जातियोंके उद्धारके विना नामके नहीं लिखने चाहिये । विना नामके लिये कई वर्षसे प्रयत्न जारी है। वहाँ उन्हें लेखपत्र लिखनेकी हमारी आदत दूसरे देशोंकी आरंभिक शिक्षा मुफ्त दी जाती है। इस वर्ष अपेक्षा मुझे बढ़ी हुई मालूम होती है । हमें अपने राजसभामें उच्च शिक्षाको भी मुफ्त किये विचारोंको प्रकट करते हुए क्यों डरना चाहिये ? जानेका प्रस्ताव हुआ है। .
- शरमाना चाहिये ? सच्चे विचारोंको प्रकट कर
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org