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________________ हमारे छपाये हुए नये ग्रन्थ । ___ वृन्दावन कृत चौवीसी पाठ । यह ग्रन्थ बम्बईके सुन्दर टाइपमें अच्छे कागजों पर फिरसे छपाया गया है। छपा भी शुद्धतापूर्वक है । जिन्हें और कहींकी छपाई पसन्द नहीं उन्हें अब इस वम्बईके छपे हुए विधानको या पूजा पाठको अवश्य मँगा लेना चाहिए । मूल्य १०) जैनपदसंग्रह । कविवर दौलतराम कृत पहला भाग और भागचन्दजी कृत दूसरा भाग पदसंग्रह फिरसे छपाये गये हैं । बहुत दिनोंसे ये मिलते नहीं थे । मूल्य पहले । भागका ।) दूसरेका ।)। ___ बुधजन सतसई । अर्थात् बुधजनजीके उपदेश, नीति, सुभाषित आदि सम्बन्धी ७०० दोहे। यह पुस्तक दुबारा छपाई गई है । मूल्य छह आने । जैनबालबोधकके दोनों भाग। श्रीयुत पं० पन्नालाल जीके ये दोनों भाग जैनपाठशालाओंमें बहुत ही प्रचलित रहे हैं। बहुत दिनोंसे समाप्त हो गये थे, अब फिरसे छपाये गये हैं। पहले भामस असंयुक्त और संयुक्त अक्षरोंके शब्दोंका शुद्ध शुद्ध लिखना पढ़ना अच्छी तरह आ जाता है । दूसरे भागमें धार्मिक कथाओंके और धर्मतत्त्वोंके अच्छे अच्छे पाठ हैं । मूल्य पहले भागका ।) और दूसरे भागका ॥ । मनोरंजन कहानियाँ । इसमें छोटे छोटे बच्चों को हँसाने और खुश करनेवाली १३ कहानियों का संग्रह है । जो बच्चा पढ़ेगा या सुनेगा वही खुश होगा। किसी किसी कहानीको सुनकर तो बच्चे लोटपोट हो जाते हैं। मूल्य ) रत्नकरण्डश्रावकाचार पद्यानुवाद । पं० गिरिधर शर्माकृत । खड़ी बोलीके सुन्दर पद्योंमें रत्नकरण्डका सुन्दर सरल अनुवाद । जैनपाठशालाओंमें पढ़ाये जाने योग्य । मूल्य =) माणिकचन्द ग्रन्थमालाके ग्रन्थ । सब ग्रन्थ ठीक लागनके मूल्य पर बेचे जाते हैं। सबसे सस्ते हैं । प्रत्येक मंदिरमें इनकी एक एक प्रति अवश्य रखना चाहिए और संस्कृतके पण्डितोंको वितरण करना चाहिए: Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522836
Book TitleJain Hiteshi 1917 Ank 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1917
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size12 MB
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