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जैनभ्रातृ- समाज कार्य्यालय,
इटावा |
श्रीमान् ! जुहारु ।
अब आपको इस बातके बतानेकी आवश्यकता नहीं रही है। कि जैनशास्त्रोंके अनुसार जैनोंकी सब जातियोंमें पारस्पारिक रोटी बेटीका व्यवहार होना जैनसमाजकी उन्नतिका इस समय एक मुख्य कारण है। इसमें जैनसमाजके सब नेता और विद्वान् सहमत समाज में अब हमको इसकी आवश्यकता भी प्रतीत होती है । बिना इसके हैं। जैन अब हमारे समाजकी रक्षा होना असम्भव है । अतः इसके प्रचारार्थ " जैन भ्रातृसमाज " नामकी एक संस्था स्थापित की गई है। और इसमें सबसे प्रथम आप लोगों की सम्मति एकत्रित करना निश्चित हुआ है। अतः आपकी सेवामें इस पत्र के साथ जो कागज्रका अंश है उसको भर कर हमारे पास भेजने की कृपा कीजिये । आशा है कि आप शीघ्र ही इस कार्य्यको करके इस समाजोत्थानकार्य में सहायक होकर पुण्यके भागी होंगे।
प्रार्थी
चन्द्रसेन जैन वैद्य, मंत्री जैनभ्रातृसमाज—चन्द्राश्रम, इटावा
आपका पत्र आया । मैं आपके उद्देश्य से सर्वथा सहमत हूं । और सहर्ष सम्मति देता हूं कि जैनों में पारस्परिक रोटी बेटीका व्यवहार अवश्य होना चाहिये !
नाम
जाति
( इतने अंशको फाड़कर और अपने नाम आदि मरकर भेज दीजिए । )
श्रीयुत मंत्री जैन भ्रातृसमाज, जुहारु ।
पोष्ट
तारीख
हस्ताक्षर
ग्राम...
" जिला
। १९१
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