SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 111
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विद्यार्थीक जीवनका उद्देश्य-एक छोटासा वीर प्रसादजी द्विवेदी । इसके साथ ६० फेजकी मिलकी निबन्ध है । एक नामी विद्वान् के उर्दू निबन्धका अनु- जीवनी और दो चित्र भी हैं । मूल्य दो रुपया। वाद है । विद्यार्थीमात्रको पढ़ना चाहिए। पूल्य एक सूमके घर धूम-यह एक छोटासा नाटक या आना। प्रहसन है । इसमें एक सूम-मक्खीचूसकी दुर्दशा पढ़' व्यापार-शिक्षा व्यापारप्रधान जैन जाति के लिए कर आप लोटपोट हो जायँगे । हँसते हँसते पेट फूल यह पुस्तक बहुत ही अच्छी और अपूर्व है। प्रत्येक जायगा । स्टेजपर अच्छी तरह खेला जासकता है। जैनपाठशालामें पढ़ाये जाने योग्य है । इसमें व्यापा- मूल्य तीन आने । रका महत्त्व, धंदा, पूँजी, सिक्का, वेंक, हुंछी, बही- स्वदेश-डॉ. रवीन्द्रनाथ ठाकुरके आठ निबंखाता, साख, व्यापारी के गुण, लाभ-हानिके कारण, धोंका संग्रह । मनन करने योग्य विषय । मूल =) ग्राहकी, विज्ञापन, साँझा, तेजी-मंदी, उधारका सन्तान कल्पद्रम-बुद्धिमान्, बलवान्, रूपव्यापार, बीमा, जकात, अर्थशास्त्र आदि विषयोंके वान् , निरोगी, सद्गुणी सन्तान उत्पन्न करनेके विषयमें बहुत ही सरल और उपयोगी पाठ हैं। जिन्हें पढ़कर देशी और विदेशी विद्वानों के सिद्धांत और अनुभव लोग व्यापारके नवीन और प्राचीन तत्वोंको अच्छी इस पुस्तकमें लिखे गये हैं। इसमें बतलाया गया है तरह समझ सकते हैं। हिन्दीमें अपने ढंगकी यह कि लड़का या लड़को उत्पन्न करना, बुरी या भली पहली पुस्तक है । मूल्य आठ आना। शान्तिवैभव-यह पुस्तक विलियम जार्ज गार्ड- सन्तान पैदा करना, माता-पिताके हाथमे है और नका 'मजष्टी आफ कामनेस' नामक अंग्रेजी पुस्तकके देशका उद्धार अच्छी सन्तानसे हो सकता है। मल्य आधारसे लिखी गई है। इसमें इतने विषय हैं-१ कपड़ेकी जिल्दका एक रुपया और सादीका बारह शान्ति, २ उतावली नाशका कारण है, ३ असफलतामें आने। सफलता, ४ सदा उद्योग करी, ५ आनन्दका मार्ग चम्पा- श्रीयुत बाबू कृष्णलालजी वर्मा इसके और ६ सुख और शान्ति । पुस्तक वहत ही अच्छी लेखक है । इसमें नायिकाकी सच्चरित्रता, सहिष्णुता, और विशेषकर विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी है। और मातृ पितृ भक्तिका अच्छा चित्र खींचा गया है। मूल्य चार आने । मूत्य सात आने। विवाहका उद्देश्य-बाबू जुगलकिशोर मुख्तार बाल विवाहका एक हृदयद्रावक दृश्यलिखित । इस पुस्तकमें विवाहका बहुत ही मार्मिक यह ट्रेक्ट है । विषय नामहीसे प्रगट है। लेखकने और तात्त्विक वर्णन लिखा है । मूल्य) इसे विशेषकर विद्यार्थियों के लिए लिखा है। मूल्य एक सदाचारी बालक-यह एक छोटीसी सुन्दर आना। गल्प है। बालकों विद्यार्थियों के कामकी है । मूल्य जननीजीवन-आज कलकी स्त्रियाँ माता तो दो आने । बन जाती हैं, पर यह नहीं जानती कि माताके क्या __ सफलता और उसकी साधनाके उपाय- कर्तव्य हैं और सन्तानका पालनपोषण किस तरह संसारके सभी कार्यों में सब लोग सफलता चाहते हैं। किया जाता है. बीमारियोंसे, सर्दी गर्मीसे उनकी कैसे सफलताकी इच्छा रखनेवालोंको अवश्य पढ़ना चाहिए। सभा की जाती है, उनका स्वभाव कैसे सुधारा जा, मूल्य ॥) सादीका =) र सकता है, वे पढ़ाये लिखाये कैसे जा सकते हैं, और: स्वावलम्बन-(सेल्फ हेल्प ) अपने पैरों खड़े होने और अपनी बुद्धिसे काम करनेकी शिक्षा इससे स्वयं अपने शरीरकी सावधानी किस तरह रखनी मिलती है । इसमें सैकड़ों देशी विदेशी उदाहरण भी चाहिए। प्रत्येक माता या माता बननेवाली जननीको दिये गये हैं। मू० १॥). सादीका ११) यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए । मूल्य नौ आने। __ स्वाधीनता-जान स्टुअर्ट मिलकी लिवर्टीका शारदा-इस पुस्तककी नायिको एक आदर्श स्त्री अनुवाद । अनुवादक, सरस्वतीसम्पादक पं० महा- है। उसके चरितसे दिखाया गया है कि पढ़ी लीखी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522830
Book TitleJain Hiteshi 1917 Ank 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1917
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy