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________________ ( ९ ) सिद्धान्तसागरको एक अत्यन्त छोटेसे तत्त्वार्थरूपी घटमें भरदेना यह कार्य अनुपम सामर्थ्य वाले इसके रचयिताका ही था । तत्वार्थके छोटे २ सूत्रों के अर्थगांभी को देखकर विद्वानोंको विस्मित होना पड़ता है । मूल्य २ ) । स्याद्वादमंजरी संस्कृत और भाषाटीका - इसमें छहों मर्तोंका विवेचन करके टीकाकर्ता विद्वद्वर्य श्रीमलिषेणसूरिने स्याद्वादको पूर्णरूप से सिद्ध किया है । मूल्य ४) । समयसार नाटक - बनारसीदासजीका प्रसिद्ध अन्य भाषा वचनिका सहित । खुले पत्रोंपर छपा है । मूल्य २॥) । समयसार नाटक - कवित्त सवैयों में । मूल्य छह आने । समयसार—प्रसिद्ध अध्यात्मका ग्रन्थ । संस्कृत आत्मख्याति टीकाकी पं० जयचन्दजी कृत वचनिका । इसमें शुद्ध निश्चयनयका वर्णन है । मूल्य चार रुपये । समयसार नाटक - ( बालबोध आत्मख्याति ) स्वामी कुन्दकुन्दाचार्य के ग्रन्थका अनुवाद | मूल्य १ | सप्तभंगीतरंगिणी भाषाटीका - यह न्यायका अपूर्व ग्रन्थ है । इसमें ग्रन्थकर्ता श्रीविमलदासजीने स्यादस्ति, स्यान्नास्ति आदि सप्तभंगी नयका विवेचन नव्यन्यायकी रीतिसे किया है । स्याद्वादमत क्या है यह जानने के लिए यह ग्रन्थ अवश्य पढ़ना चाहिए । मूल्य एक रु० । सत्यार्थयज्ञ – मनरंगलालजी कृत चौवीस तीर्थ करोंकी पूजा | मूल्य ॥)। सम्मेदशिखर पूजा - मूल्य चार आने । सागारधर्मामृत पूर्वार्ध - हिन्दी भाषाटीका सहित। श्रावकाचारका बहुत प्रसिद्ध ग्रन्थ है । पण्डितप्रवर आशाधरका बनाया हुआ है । भाषा सरल है मूल्य १ ॥ ) । । श्रीसिद्धक्षेत्र पूजासंग्रह - इस संग्रह में श्रीसम्मेदशिखर विधान, पावापुरपूजा, चंपापुर पूजा, पटना पूजा जंबूस्वामी पूजा, सोनागिरि, नयनागिरि, द्रोणागिरि, मुक्तागिरि, सिद्धवरकूट, चूलगिरि, बड़वानी, गिरनार, शत्रुंजय, पावागढ़, तारंगा, गजपंथ, मांगीतुंगी, कन्थल गिरि, गोम्मट्टस्वामीकी पूजा, और चतुर्विंशति Jain Education International निर्वाणक्षेत्र पूजा है । मोटे अक्षरों में सुन्दरता पूर्वक छपा है । तीर्थयात्राके समय यह पुस्तक बड़े काम की है। मूल्य आठ आने । सीताचरित - बाबू दयाचन्द गोयलीय लिखित | मूल्य तीन आने । जरूरत नहीं । दूसरी बार सुन्दरतासे छपा है । इसमें सुशीला उपन्यास - इस उपन्यासकी प्रशंसाकी मनोरंजन के साथ जैनधर्मका सार भर दिया गया है। पक्की कपड़ेकी जिल्द | मू० १| ) | सुकुमालचरितसार - सुकुमाल कुँवरका चरित बड़ा ही सुन्दर है, यह चरित पहले दो बार छपकर बिक चुका । सर्वसाधारणको यह चरित सुलभता से पढ़ने को मिल सके इस लिये स्व० ब्रह्मचारी नेमिदत्त के सुकुमाल चरितसारका यह नया अनुवाद है । मूल्य डेढ़ आना । सुखानंद मनोरमा नाटक - - शीलकथाके आधार पर इस नाटककी रचना की गई है । स्टेजपर खेलने लायक है । मूल्य ॥ ॥ ) । सोमासती नाटक - बाबू जैनेन्द्रकिशोर कृत मूल्य - ) ॥ संशय तिमिरप्रदीप तेरह पैंथका खंडन और वीस पंथका मंडन । मूल्य बारह आने । हिन्दी कल्याणमन्दिर – पं० गिरिधर शर्मा कृत खड़ी हिन्दीकी कवितामें मूल्य एक आना । हिन्दी भक्तामर -- पं० गिरिधर शर्मा कृत खड़ी हिन्दी कविता | मू० ) 1 हनुमानचरित - सुखचंद पद्मशाह पोरवाड़ लिखित । मूल्य ।-) त्रैवर्णिकाचार -- सोमसेनाचार्य कृत मूल और मराठी टीकासहित । मू० ३) ज्ञानार्णव भाषा टीका सहित -इसके कर्ता श्रीशुभचन्द्रस्वामीने ध्यानका वर्णन बहुत ही उत्तमतासे किया है । प्रकरणवश ब्रह्मचर्यव्रतका वर्णन भी बहुत दिखलाया है । यह एकबार छपकर बिक गया था । अब द्वितीयबार संशोधन कराके छपाया गया है । मूल्य चार रु० । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522830
Book TitleJain Hiteshi 1917 Ank 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1917
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size13 MB
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