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________________ ४८८ SAILIBRAHAMITRALIAMWAITINAR जैनहितैषी ३०-४० वर्षमें खराब होजाती है । इसका यद्यपि भारतललनाओंको हमने विद्या और कारण यह है कि लड़कपनकी शादीसे उनका विज्ञानसे वञ्चित रक्खा है तो भी परमाशरीर क्षीण हो जाता है और फिर जल्द ही त्माकी दयासे, अन्य राष्ट्रकी स्त्रियोंके सम्मुख बालबच्चोंकी चिन्ताका बोझ उनपर आपड़ता उनका सिर ऊँचा ही है-सुशीलता, सुन्दरता है। इससे उनको अत्यन्त मानसिक कष्ट पवित्रता, नम्रता, पातिव्रत और स्वार्थत्याउठाना पड़ता है और उसका नतीजा यह गमें ये अब भी बाजी मारे हैं । शिक्षाप्ते होता है कि उनका स्वास्थ्य खराब हो वञ्चित रक्खे जाने पर भी ऐसे पवित्र विचार! जाता है। गुलामीमें जकड़ी रहने पर भी ऐसा उत्तम जो विद्यार्थी हैं उनको स्कल या काले- ऐसा उच्च स्वभाव ! बाल-माता बनाई. जाने नके भारके ऊपर बालबच्चोंका कठिन भार भी पर भी ऐसा सुन्दर और मनोहर शरीर ! उठाना पड़ता है। इस दोहरे बोझको सँभा- बालविवाहकी कुप्रथा नवीन भारतके लिए लना उनके लिए अत्यन्त कठिन हो जाता अत्यन्त लज्जास्पद है, इसको निर्मूल करना है और उनकी तन्दुरुस्ती बिगड़ जाती है।+ भारतसन्तानका प्रथम और महान् कर्तव्य है। सारांश यह कि बाल-विवाहसे भारत गारत बालविवाहका कारण भारतकी उष्णता नहीं है। हुआ जाता है। यदि अब भी हम सावधान हमारे नये धर्म-शास्त्रोंने भारतवासियोंके न हुए तो हमारी सब आशायें धूलमें मिल हृदयपर ऐसा सिक्का जमा लिया है कि जायेंगी और हमारी जातिका सर्व-नाश होने- आज बीसवीं शताब्दीके उच्च शिक्षित-अनेक वाला है, यह एक निश्चित विषय हो जायगा। एम. ए., बी. ए.-यह मान बैठे हैं कि भार तकी आबोहवामें यह तासीर है कि यहाँ + इतिहासकार टाल बाइस हीलर लिखते हैं कि : लड़कियाँ जल्द सयानी हो जाती हैं। भारत "जबतक भारतवासी छोटी छोटी बालिकाओंका विवाह छोटे छोटे बालकोंसे करते रहेंगे, तबतक उनकी सन्तान छोटे बच्चोंसे आधिक अच्छी दशामें कभी न रह सकेगी । स्वाधीनता और स्वराज्यके आन्दोलनमें वे निस्तेज और बलहीन हो जायेंगे। राजकीय उन्नतिका उपयोग करनेके लिए वे किसी भी प्रकारकी शिक्षासे समर्थ नहीं हो सकेंगे। इसमें सन्देह है कि यदि सारे भारतमें नहीं तो बङ्गालनहीं कि शिक्षाके प्रभावसे उनकी बुद्धिमें गम्भीरता आ जायगी और वे किसी गम्भीर तथा प्रौढ दस बरसकी लडकियोंको विवाहके लिए मनष्यके समान बातें करने लगेंगे; परंतु सब कुछ होते हुए भी उनका आचरण असहाय बालकोहीके बल्कि माता बननेके लिए योग्य बना देती समान बना रहेगा।" है । दस वर्षकी लड़कियोंको गर्भ रह गया Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522828
Book TitleJain Hiteshi 1916 Ank 09 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1916
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size13 MB
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