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_ विविध प्रसङ्ग। mmmmmmmmmmmmm
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४ ढाई वर्षकी कन्या और कमर कसेंगे और उधर बाल्यविवाह तथा वृद्धनौ वर्षका वर।
विवाहके रोकनेके लिए भी कोई प्रयत्न न करेंगे;
बल्कि यदि बन सका तो पं० रामभाऊजीके 'प्रगति आणि जिनविजय'के एक नोटसे समान इन कामोंमें सहायता अवश्य दे निकलेंगे। और काटोलके श्रीयुत गुजाबा रावजी पलसापुरके एक पत्रसे मालूम हुआ कि पण्डित राम.
५ बालहत्या। माऊ नामके सज्जनने शोलापुरमें एक सेतवाल ता० ९ जुलाईके कान्फरेंस-प्रकाशमें उसके कन्याका विवाह-जिसकी उम्र ढाई वर्षकी है एक सम्पादक महाशय लिखते हैं-" गत रविवारको नौ वर्षके लड़केके साथ कराया है। पं० रामभाऊ- अजमरके होलीदड़ा नामक नुहल्ले में किसी विधवाने जी सेतवाल भाइयोंके गुरु हैं । वे भट्टारक नहीं हैं; गन्दे पानीके एक टीनमें तत्कालके जन्मे हुए एक पर भट्टारकोंके ही समान हैं और एक छोटेसे बालकको डाल दिया था. इस लिए कि उसका पाप भट्टारक उनके हाथमेंके कठ पुतले हैं । आप सेत किसी पर प्रकट न हो जाय; परन्तु जब भंगिन टीन वाल भाइयोंमें विशेषकरके भोले भोले ग्रामीणोंमें साफ करनेके लिए आई और बच्चेको देखा तब खूब ही पुजते हैं और उनसे अपनी इच्छानुसार उसने शोर मचाकर सब पर प्रकट कर दिया । धर्मके स्वाँग रचाया करते हैं । मनुष्यगणनाकी हमने भी मौके पर जाकर यह सब देखा । इससे रिपोर्ट में जो पाँच वर्षके भीतरकी ९२ जैन- हमें बहुत ही दुःख हुआ। ऐसे दृश्योंका चित्र सर्व विधवायें बतलाई गई हैं वे आप ही जैसे महात्मा- साधारणके सामने उपस्थित किया जाना चाहिए,
ओंकी कृपाकी आभारिणी हैं। इसे हम बड़ा इस खयालसे हमने फोटो भी उसी समय लेलिभारी सौभाग्य समझते हैं जो उक्त कन्या या जो हमारे खास अंकमें प्रकाशित होगा । सेतवाल जातिकी है जिसमें विधवाविवाह इसी प्रकार एक घटना २-३ दिन पहले लाखन जायज है, नहीं तो यदि दुर्भाग्यसे उस छोटेसे कोठडीमें भी हुई थी। ..." चन्द्रबा नामकी बालकका जीवनदीपक बुझगया-यद्यपि हम एक और हिन्दू विधवाने जातिभयके कारण ऐसा न होनेके लिए हृदयसे चाहते हैं तो इस अपने तत्काल प्रसव किये हुए पुत्रकी हत्या कर दुधमुंही बच्ची के लिए जो विवाहका तत्त्व तो डाली, पर पकड़ी गई और बम्बई-हाईकोर्ट ने क्या समझेगी, अच्छी तरह शब्दोच्चारण भी उसे कालेपानीकी सजा दी। यह सजा एक नहीं कर सकती है धर्मके मर्मज्ञों द्वारा यह जीवदयाप्रचारक सज्जनकी प्रार्थनासे गवर्नर व्मवस्था दी जाती कि इसे जीवन भर वैधव्यव्रत- साहबने घटा दी और अब उसे दो वर्षकी का पालन करना चाहिए। क्योंकि इसका दान कड़ी कैद भोगनी होगी। इस तरहकी हत्यायें किया जा चुका है और विवाह-मंत्रोंकी प्रतिज्ञा और गर्भपात तब तक कम नहीं हो सकते जब द्वारा यह बद्ध हो चुकी है । अर्थात् पं० रामभाऊ तक स्त्रियाँ बलपूर्वक ' वैधव्य ' भागनेके लिए और अज्ञान मा-बापके पापका प्रायश्चित्त निर्दोष लाचार की जाती हैं। विधवाओंका अपने मृतबालिकाको जीवन भर रँडापा काटके करना पतियोंके चरणोंका ध्यान रखते हुए अपनी चाहिए । मर्मज्ञोंकी यह समझ बड़ी अनौखी है कि इच्छानुसार वैधव्यव्रतका जीवन भर पालन इधर तो वे बलात् वैधव्य पालन करनेके लिए करना जितना अच्छा और अनुकरणीय कार्य
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