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+ जैनहितैषी-- ८गन्धमादन और बेणुनपर्वत (श्लो० काव्यमें क्षेपकसहित सभी श्लोकोंके चरणोंकी ५३ और ६१)-हालार और बरडो प्रान्तके पूर्ति की गई है और इसीलिए इसमें १२५ बीचकी पर्वतश्रेणीको 'बरडो' कहते हैं। संभ- श्लोक हैं । इससे मालूम होता है कि कविके वतः इसी श्रेणीके किन्हीं दो पर्वतोंका नाम समयमें उक्त क्षेपक श्लोक प्रचलित थे। गन्धमादन और बेणुन होगा । कविने इन दोनों- यह काव्य काव्यमालामें बहुत समय पहले का वर्णन पोरबन्दरसे आगे चलकर किया छप चुका है। पं० उदयलालजी काशलीवालने
इसका हिन्दी अनुवाद भी किया है जो गतवर्षमें ___ मेघदूतके मूल श्लोक ११५ हैं और १० छप चुका है। हो सका तो अगामी अंकमें इसके श्लोक क्षेपक बतलाये जाते जाते हैं । पर इस कुछ पद्योंकी बानगी भी दिखला दी जायगी ।
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विधवा बहू और सधवा सास ।
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[ लेखक, कविवर पं० गिरिधर शर्मा।] (गीत)
सास न जाने सोच सोच क्या दृश्य कैसा दिखलाया राम।
फूली अंग न माय ॥ दृश्य० ॥ तरुण बहू विधवा हो बैठी।
करती घुल घुल काम। स्वर्ग सिधारे प्राणनाथकेसज धज सास बनाती तिस पर .
बाला बड़ी मलीन । देती उरमें डाम ॥ दृश्य०॥ पर, माँ, सुतके गये सजे यों, (२)
है आश्चर्य नवीन ॥ दृश्यः॥ बालबधू मनमार बिचारीबैठी मूंड़ मुड़ाय।
असती है, या सौतेली माँ, बाल बनाती लख लख दर्पण सास हृदय हुलसाय॥हश्य० ॥ विधवा पुत्रवधूके सन्मुख
या दत्तककी माँय
जो सजती हरषाय ॥ दृश्य० ॥ हियमें जले जले बाहर भीबहू आगके पास।
(७) जबाकुसुम बालोंमें डाले
राम करे क्या उसको गिरिधर चैन उड़ावे सास ॥ दृश्य० ॥
तू मत दे कुछ दोष । (४)
भारत सामाजिक दोषोंपर सोच सोच निज दशा बहू तो
तू निकाल निज रोष ॥ दुबली हो हो जाय।
कहे मन दृश्य दिखाया राम ।
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