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________________ CHODIOBAITHILIORAILI वायुयानोंका इतिहास । huminimittimfilmmittinine २३३ काँउट जेपेलिनका जन्म सन् १८२४ ई० में व्योंमयान पर गिर कर अनिष्ट पैदा कर सकता कनष्टेन्स हृदके एक गिरजाघरमें हुआ था । युवा- था, इसी आशंकाको दूर करनेके लिए उस वस्थामें किसी व्यापारकी लालसासे आप अमे- जहाजी पुलको इच्छानुसार घुमाकर वायुप्रवाहके रिका गये थे, और २५ वर्षतक वहीं रहकर आपने सन्मुख कर लेते थे। अमेरिकाके प्रसिद्ध घरूयुद्धमें योग दिया था। परीक्षा आरंभ करनेके पहले काउंटके पास इसी समय आपको जीवनमें सबसे पहले व्योम- ३७५०००) की सम्पत्ति थी, परन्तु यह सम्पयानपर बैठनेका सौभाग्य प्राप्त हुआ और इसीके त्ति थोड़े ही दिनों में पूरी हो गई । तब आपने फलसे आप व्योमयानविद्यामें साधारण जान- उक्त विषयमें और भी अनुशीलन करनेके लिए कारी प्राप्त करके भविष्य जीवनके जगतव्यापी अपने भाई-बंधुओं, समस्त स्वदेशहितैषी लोगों यशको अर्जन करनेमें समर्थ हुए । अमेरिकाका और सबके पीछे सम्राट्से सहायताकी प्रार्थना युद्ध बंद होते ही आप जर्मनी लौट आये और की। अंतमें १९०८ में उनका भाग्य प्रसन्न हुआ। इसके बाद आस्ट्रियो और प्रशिया तथा आस्ट्रिया जर्मन-गवर्नमेण्ट बहुत दिनोंसे काउंटकी शीघ्रताऔर फ्रांसमें जो युद्ध हुए उन दोनों युद्धोंमें से उन्नति करनेवाली कार्यप्रणालीको देखती आपने उपस्थित रहकर अपना वीरत्व दिखाया। आती थी । अतः जर्मन सम्राट कैसरकी अनु__यद्यपि युद्धकार्यमें आप बहुत दक्ष और कूलतासे जर्मनीके समस्त शहरों और नगरोंमें योग्य सैनिक थे; परन्तु आपका मन युद्धव्यव- जेपेलिन-अर्थभाण्डार स्थापित कर दिये गये सायकी अपेक्षा आविष्कारोंकी ओर अधिक और उनके द्वारा पहले ही महीनमें प्रायः ४५ आकर्षित रहता था। फलतः २५ वर्ष सेनावि- लाख रुपया भंडारमें जमा हो. गये ! भागमें काम करनेके पश्चात् व्योमयानके वि- इस सहायताको पाकर काउंट अपनी कार्यषयमें अनुशीलन करनेके हेतु आप जनरलके प्रणालीको और अधिक परिमाणमें विस्तृत कपदको परित्याग करके इस काममें लग गये । इस रनेमें समर्थ हुए और उन्होंने थोड़े समयके लिए ५० वर्षसे अधिक उमरमें आपको विद्युत्- भीतर ही हजारों वायुयान बना डाले । शुरू विज्ञान, शक्तिविज्ञान (mechanics ) और शुरूमें परीक्षाके समय बहुतेरे यान तेज हवा वायुविज्ञान ( meteorology ) का भली- और ऐसे ही कई कारणोंसे नष्ट हो गये। करना पड़ा। काउंट शुरू शुरूमें जब इस तरह अपने कार्य___ इसके पश्चात् आपको व्योययान रखने साधनमें लगे थे उससमय अनेक प्रतिद्वन्दी गवर्न और नाना तरहकी व्ययसाध्य परीक्षाओंके मेण्टोंने उन्हें बहुत लोभ-लालच दिया था। परंतु करनेके लिए एक पृथक् भवन बनानेकी आ- लालचमें पड़ कर उन्होंने देशके साथ विश्वास- . वश्यकता हुई और तदनुसार आपने इस का- घात नहीं किया । और इस लिए कि उनके मके लिए कानष्ट्रेट हृदके समीपवर्ती फ्रिड्रिक आविष्कार किसी तरह विदेशियोंको प्रगट न साफेन नामक स्थान पर व्योमयोनोंके गिरने- हो जायँ, उन्होंने खूब सावधानी रक्खी । का भय निवारण करनेके लिए एक ऐसा जहा- आज्ञाके अतिरिक्त कोई आदमी उनके कारखाजीपुल बनाया जो इच्छानुसार चारों ओर घुमा- नेके पास नहीं जा सकता था । कारीगरों और या जा सकता था। परीक्षाके समय वायुप्रवाह व्योमसंचालकोंसे व्योमयान और उसके आवि भा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522825
Book TitleJain Hiteshi 1916 Ank 04 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1916
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size10 MB
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