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शिक्षा।
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कि जिसकी एक बार चाट लग जाने पर मनु- तरहसे नष्ट होता है । इसमें कोई संदेह नहीं ध्य उसे खाये बिना नहीं रह सकता । शिक्षाके कि मेट्रिकुलेशन तककी सात सालकी शिक्षाक्षेत्रको संकुचित करनेकी सलाह अच्छी नहीं में जो ज्ञान सम्पादित होता है यदि मातृभाषाहै, वह निराशा और असंतोषसे भरी हुई साफ के द्वारा शिक्षा दी जाय तो उतना ज्ञान दो सानजर आती है । इस सलाहको माननेके लिए लहीमें प्राप्त हो सकता है। बड़ा भारी नुकसान कोई तैयार न होगा।
तो इससे यह है कि बालकको कामयाबी ___ इस रोगका उत्तम उपाय यही है कि औद्यो- हासिल न होनेसे उसे शिक्षासे घृणा हो जाती गिक शिक्षाकी व्यवस्थाकी जाय । इसके दो है । यदि शिक्षा मातृभाषाके द्वारा दी जाय तो उपाय हैं या तो जिस भाँति साधारण शिक्षा- निस्संदेह बड़ा लाभ हो । यहाँ तक तो सब के छोटे स्कूलसे लगा कर बड़े बड़े कालेज तक लोगोंकी राय एक ही है; परंतु प्रश्न यह है कि हैं उसी भाँति औद्योगिक शिक्षाके लिए भी ऐसे क्या हमारी मातृभाषायें इतनी प्रौढ़ हो गई हैं स्कूल हो जहाँ निम्न श्रेणीके कौशलसे लगाकर कि उनके द्वारा शिक्षा दी जासके ? इस प्रश्नके ऊँची ऊँची कलाओंकी शिक्षा दी जाय । विषयमें लोगोंकी रायें भिन्न भिन्न हैं ! बहुतोंका प्रत्येक शहरमें एक एक औद्योगिक स्कूल खोलने- मत है कि मातृभाषायें इस कार्यके लिए सर्वथा -से बड़ा भारी लाभ होगा। अथवा यदि खर्चके उपयुक्त हैं । पुस्तकें तैयार की जासकती हैं और कारण ऐसी व्यवस्था नहीं हो सकती तो कमसे उनके द्वारा शिक्षा मजेसे दी जासकती है। कम इतना तो अवश्य होना चाहिए कि प्रत्येक इसके विरुद्ध कई लोगोंकी समझमें समय अभी स्कूलमें एक एक औद्योगिक कक्षा खोल दी नहीं आया है। कुछ भी हो, इस विषयमें आधिक जाय । ऐसे विद्यार्थी जो पढ़ने लिखने में कशल विवाद करनेकी आवश्यकता नहीं है । मातृभाषा नहीं हैं इन कक्षाओंमें स्थान पा सकेंगे। इस द्वारा शिक्षा प्राप्त करना यही प्राकृतिक नियम भाँति एक निशानेसे हम दो मतलब सिद्ध कर है । हर्षका विषय है कि सरकारका ध्यान भी - सकेंगे । पहला, हमारे विद्यार्थी नौकरीके लिए कुछ कुछ इस ओर झुकने लगा है । वह दिन 'चिल्लाहट न मचायेंगे, दूसरे हमारा उद्योग भी अब दूर नहीं है जब कि शिक्षा मातृभाषा द्वारा उन्नत हो जायगा । इस विषयमें सिर्फ एक ही दी जाने लगेगी। अड़चन नजर आती है । वह यह कि वर्ण- अँगरेजी भाषाने हमारा बड़ा उपकार किया व्यवस्थाके कारण क्या उच्च जातिके हिन्दू अपने हैं। हमारे संकुचित विचार-क्षेत्रको विस्तत कर लड़कोंको इन शालाओंमें भेजनेको राजी देना इसीका काम है। इस भाषाका साहित्य होगे ? जहाँ तक देखा जाता है, अब लोग वर्ण- कई अमूल्य भावेसे भरा हुआ है। मातृभाषाव्यवस्थाके उतने अंध-उपासक नहीं हैं और वे ओंका खजाना बढ़ानेके लिए भी अँगरेजीका इन शालाओंका उपयोग करनेमें न हिचकेंगे। ज्ञान आवश्यक है। संसारके सामयिक विचा
वर्तमान प्रणालीके विरुद्ध दूसरा दोष यह है रोंसे परिचित रहना भी अँगरेजी जाने बिना कि अँगरेजी भाषाके द्वारा शिक्षा प्राप्त करनेमें कठिन है और खास कर व्यापारमें तो इसके बिना आधिक श्रम और समय खर्च होता है । इससे बड़ी ही असुविधा होती है । इस लिए अँगरेजीबालकपनकी बहुमूल्य वर्षे और स्वास्थ्य बुरी की शिक्षा तो हमें अवश्य देना होगी; परंतु
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