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देशहित।
देशहित। मातृभाषाका उद्धार और शिल्प व्यवसाय और इसीके साथ ही दूसरोंकी उन्नतिका इन सबको एक साथ बढ़ाना है । समाज- उपाय । यदि कोई चाहे कि बिना एक दूसरेका संगठन ही ऐसा होता है कि बिना चारों की सहायता लिये इतना भारी कार्य सम्पा. तरफ संस्कार किये उसकी दशा अच्छी दन किया जासकेगा तो यह नितान्त भ्रम नहीं होसकती । जिस प्रकार यदि तुम्हारे ही है । इस लिए परस्पर भ्रातृभावको बढ़ाशरीरका एक अंग भी अस्वस्थ हो तो सारा कर सम्मिलित शक्ति द्वारा कार्य करो। जो शरीर अस्वस्थ होजाता है, उसी भाँति हमें लोग अन्यान्य क्षेत्रोंमें काम कर रहे हैं, उयाद रखना होगा कि हमारी राजनैतिक नसे सहानुभूति रक्खो और यथाशक्ति उनके उन्नति, बिना समाजसुधार, शिक्षाविस्तार कार्यमें सहायता दो । याद रक्खो, गिरीइत्यादि हुए बिना नहीं होसकती । तथा हुई जातिको सुधार लेना सहज बात नहीं है। हमारी आर्थिक उन्नति भी इसी भाँति बिना वर्षों और शताब्दियों तक प्रयत्न करना शिक्षा और समाजसंस्कारके होना संभव होगा । निराशारूपी पिशाच बार बार आकर नहीं । सारांश यह है कि साथ साथ तुम्हारे कानोंमें मंत्र फॅकेगा । उससे सावधान हमें चारों तरफ उन्नति करनी होगी । हम रहो और उसे पास भी न फटकने दो। लोगोंमें जो अकसर झगड़े हो जाया करते हैं,
और आपसमें सहानुभूति नहीं रहती, उसका हम लोगोंमें बड़ा भारी दोष यह है कि कारण यही है कि हम समाजकी बनावट हम एक दूसरेके कार्यसे सहानुभूति नहीं
और उसके नियमोंसे अनभिज्ञ हैं। हम दिखा सकते । मान लीजिए कि कोई व्यक्ति जानते हैं कि हमारी अवनतिका कारण
- समाजसुधारके काममें प्रवृत्त है और दूसरा सिर्फ एक ही है और उसीका योग्य उप
' शिक्षाके क्षेत्रमें काम कर रहा है। अकसर चार करनेसे हमारी उन्नति हो सकेगी।
' देखनेमें आता है कि ऐसे दो व्यक्तियोंमें
' आपसमें बिल्कुल सहानुभूति नहीं है-एक यह बात सर्वमान्य है कि समाजका उ. दूसरेकी निन्दा करते हैं । होना तो चाहिए त्थान कोई साधारण काम नहीं है-कोटि यह कि एक दूसरेको यथासंभव सहायता कोटि मनुष्योंको दुखके गहरे दलदलसे दें; क्योंकि दोनोंके कार्योंका अंतिम उद्देनिकालकर सुखी बना देना, यह कोई एक दो श्य एक ही है। उपर्युक्त उदाहरण हजारोंअथवा दस मनुष्योंका काम नहीं है । इस- मेंसे सिर्फ एक ही है। ऐसे बीसों दृष्टान्त के लिए हमें सम्मिलित शक्तिसे कार्य लेना आपको प्रतिदिन मिलेंगे । यही कारण है कि पड़ेगा । प्रत्येक व्यक्तिको साथ साथ दो काम हम सम्मिलित शक्तिका उपयोग करनेसे करना होंगे-पहला तो स्वयं अपनी उन्नति वञ्चित रहते हैं और इसी लिए हमारी कई
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