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वस्तु नीचे क्यों गिरती है ?
मा० - उपाय क्यों नहीं ? क्या वैज्ञानिक इतनीसी बात के लिए इस महान् प्रश्नको यहीं छोड़ देते ? कई प्रकारके प्रयोग किये हैं, परन्तु मैं तुम्हें सबसे सरल उपाय ही बतलाता हूँ ।
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कोई दो दो फुट ऊँचे पत्थरोंपर एक बहुत बड़ा सीसेका टुकड़ा रक्खा गया। इसकी लम्बाई चौड़ाई और ऊँचाई लगभग पाँच पाँच फुटके थी । नीचे के दोनों पत्थर किनारे पर थे जिससे कि उन दोनोंके बीचमें बहुत जगह बच गई थी। इस सीसेके टुकड़ेके ऊपर ही एक बहुत अच्छी तराजू ऐसे लटकाई गई कि उसके पलड़े इस सीसेसे कोई दो इंच ऊपर रह गये । ठीक इन पलड़ोंके नीचे दो सूराख सीसेके टुकड़ेमें कर दिये गये और उनमें होकर एक एक तार पलड़ोंसे लटका दिया गया । जहाँ ये तार सीसेसे टुकड़े के नीचे निकले वहीं एक एक पलड़ा और बाँध दिया गया । इस प्रकार दो दो पलड़े इस तरा - जूकी दोनों ओर हो गये । एक एक तो सीसे के ऊपर और एक एक नीचे । इस अवस्थामें देख लिया गया कि तराजू ठीक है | अब एक ओरके ऊपरवाले पलड़े में एक लोहेका टुकड़ा रख दिया गया, और दूसरी ओरके नीचेके पलड़ेमें बाँट रक्खे गये और डंडी सीधी कर ली गई। अब लोहेके टुकड़े - को उठाकर नीचे के पलड़े में रक्खा और बाँटों को ऊपर-तो मालूम हुआ कि बाँट अधिक भारी हैं-डंडी बाँटोंकी ओर झुक गई है ।
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वि०- यह अंतर तो ऊपर नीचे ले जानेहीसे होगया होगा । इसमें सीसेके टुकड़ेने क्या किया ?
मा० - नहीं, सीसेके टुकड़ेको हटाकर यही प्रयोग करनेसे कुछ भी अंतर नहीं मालूम हुआ । केवल पाँच सात फुट ऊपर नीचे करनेसे भारमें इतना अंतर नहीं हो सकता ।
वि०- परन्तु इससे यह कैसे जान पड़ा कि सीसेका टुकड़ा लोहे के टुकड़ेको खींचता है
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मा० - इस अंतरका कारण यही होस - कता है कि जब लोहा ऊपर था तब सीसा उसे नीचे खींचता था और बाँटोंको ऊपर खींचता था । इस कारण लोहपर जो नीचेकी ओर बल लग रहा था वह पृथ्वीके बलका और सीसे के बलका योग था । और बाँटों पर जो बल नीचे की ओर लग रहा था वह पृथ्वीके बलसे कुछ कम था; क्योंकि सीसा उन्हें ऊपरको खींच रहा था । इस प्रकार लोहेका भार कुछ अधिक होगया था और बाँटोंका कुछ कम । अर्थात् यद्यपि वास्तवमें ( सीसा न होता तो ) बाँट लोहेसे भारी थे तो भी बराबर जान पड़ते थे; परन्तु जब लोहेको नीचे रख दिया और बाँटोंको ऊपर, तब लोहेका भार कम होगया और बाँटोंका अधिक । बाँटों का भार पहले ही अधिक था, अब तो अंतर द्विगुण होगया ।
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वि०- युक्ति तो बहुत अच्छी है । इस प्रकार जितना अंतर मालूम होगा वह वास्त
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