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IMITI जैनहितैषी
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ऐसा सुन्दर वास-स्थान ।
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥१४ ॐ आधि-व्याधिका होवे नाश। रोग-शोकसे हो अवकाश ॥ घर घरमें हो सौख्य-निवास । बाल-वृद्ध में सुमति-विकास ॥
कहा करें हो बुद्धि-निधान ।
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥१५ ॐ चमक जाय भारत-व्यापार । ग्राहक आकर सेवें द्वार ॥ धान्य और धन हो भरपूर । फूट-काल-कण्टक हों दूर ॥
हो कुबेर सा विभव-निधान ।
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥ १६॥ रत्न-प्रसूता धरा यहाँकी । वसुधा अति उर्वरा यहाँकी॥ स्वास्थ्य-दायिनी हवा यहाँकी । पाण-दायिनी दवा यहाँकी ॥
ऐसा है बल-गौरववान।
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥१७ सद्य दुग्ध-दधि-घृत मिलता है। धान्य वारि नियमित मिलता है। नाद यहाँ रत्नाकर करता। विमल सलिल नदियोंमें बहता॥
सब देशोंमें महिमावान।
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥१८ महज्जनोंकी लीला-भूमि । आत्म-ज्ञान, गुण-शीला. भूमि ॥ कञ्चन-मणि-रत्नोंका आकर । सकल जगतके लिए सुधाकर ॥
देता है सद्विद्यादान।
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥ १९ इसकी महिमा अकथ अमेय । उपमा स्वयं स्वयं उपमेय ॥ देवगणोंका भी यह ध्येय । श्रेयोंसे भी उत्तम श्रेय ॥
कल्प-वृक्ष सम देता दान।
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥ २० @ दे इस नम्र विनय पर ध्यान । 'एवमस्तु' कह दो भगवान ॥ जिससे सुधर जायँ सब काम । होवे 'मीर' देश सुख-धाम ॥
गाया करे प्रजा यह गान ।
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥२१ ©20eeeeeeeee:ee:2:00e0e0e000000
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