________________
पुस्तक- परिचय |
७४१
।
गद्यपद्य लेख और लगभग ५० चित्र हैं । इसके तैयार करा - नेमें ९००) नौ सौ रुपया खर्च हुए हैं । प्रत्येक कापीकी लागत II ) है, परन्तु ग्राहकों को मुफ्त में और सर्वसाधारणको यह छह आनेमें दिया जाता है । सम्पादक महाशयका यह उद्योग और परिश्रम प्रशंसनीय है । पाठकोंको उनका उत्साह बढ़ाना चाहिए। कई लेख पढने योग्य हैं। हितैषीके पाठकोंके परिचित लाला मुंशीलालजी एम, ए, बाबू चेतनदासजी बी. ए. और बाबू जुगमन्दरलालजी जजके भी इसमें चार लेख हैं । दो लेख किसी ' सत्यशोधक ' नामधारी महाशयके हैं जो जैनसिद्धान्तभास्करके चन्द्रगुप्त और नग्नदार्शनिक साधु नामक लेखोंकी आलोचनास्वरूप हैं । यद्यपि लेखककें विचार कट्टर श्वेताम्बरी जान पड़ते हैं और उन्होंने जगह जगह दिगम्बर सम्प्रदाय पर अनुचित तथा अनावश्यक आक्षेप किये हैं तो भी उनके लेखोंमें बहुत कुछ तथ्य है । भास्कर सम्पादकको उनपर विचार करना चाहिए । चित्र प्रायः बने-ठने सजे-सजाये सेठ लोगों के हैं जिनमें सादगीका नाम नहीं है। अच्छा है, जब तक इन लोगोंमें शिक्षाका प्रेम नहीं है, तबतक इनके चित्रादि प्रकाशित करके ही इनसे कुछ काम लिया जाय । कुछ चित्र ऐसे शिक्षित और सादे पुरुषोंके भी हैं जो इस सेठमय चित्रमाला में ग्रथित देखकर आपको शायद ही सौभाग्यशाली समझें ।
हिन्दीहितैषी कार्यालय, देवरी ( सागर ) की नीचे लिखी दो पुस्तकें हमें समालोचनार्थ प्राप्त हुई है:
. आदर्शचरितावली - लेखक, पं० शिवसहाय चतुर्वेदी | पृष्ठ संख्या ८० । मूल्य पाँच आने । इस पुस्तकमें जनरल बूथ, बुकर
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org