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________________ ६८४ जैनहितैषी दिया था। राज्यप्रबन्ध और सिपाहगिरी दोनों कार्योंमें इसका अनुभव बहुत बढ़ा चढ़ा था । कर्नल वाल्टर साहवका कथन है कि जब महाराजा अजीतसिंह देहलीमें विराजमान थे, तब रघुनाथ भण्डारीने अपने स्वामीके नामसे मारवाडमें कितने ही वर्ष शासन किया था । यह बात नीचे लिखे हुए पदसे भी प्रगट होती है जो जनसाधारणमें बड़ी बहुत प्रसिद्ध है। " अजि दिली रो पतशो राजा तौ रघुनाथ।" अर्थात् जब अजीतसिंह दिल्ली पर शासन कर रहे थे, उस समय रघुनाथ भण्डारी मारवाड़ पर राज्य कर रहा था। ___ भण्डारी खिमसी । यह भी महाराजा अजीतसिंहके समयमें दीवान पदपर नियुक्त था। इसने दिल्लीके अधिपतिसे गुजरातकी सूबेदारीकी सनद प्राप्त कर ली थी । मारवाडका इतिहास इस बातका साक्षी है कि भण्डारी खिमसीने जजिया करको-जिसे. औरङ्गजे. बने पुनः हिन्दुओंपर लगा दिया था-बंद करा दिया था। यह यश भण्डारी खिमसीको ही प्राप्त है। ३ भण्डारी विजय । महाराजा अजीतसिंहने इसे पाटनका सूबेदार नियत किया था। ४ रतनचन्द । यह महाराजा अभयसिंहका-जिन्होंने मन् १७२५ से १७५० ईस्वी तक राज्य किया-बड़ा भारी सरदार था। जब अभयसिंहने बीकानेर पर आक्रमण किया था उस समय रतनचन्द ही मारवाड़सनोका नायक था । इसने बड़ी वीरनामे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522809
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size8 MB
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