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________________ ६६६ जैनहितैषी का है कि यह उन पुराने ख़यालके लोगोंके बीचमें हुआ है जिनमें नये विचारोंकी गन्ध भी नहीं है। इससे मालूम होता है कि यदि बराबर आन्दोलन होता रहा तो दश बीस वर्षमें ही जैनसमाजकी बीसों जातियोंमें पास्परिक विवाह होने लगेंगे। १३ प्लेग और चूहे। लगभग अधिकांश प्रभावशाली डाक्टर इस मतको मानते हैं कि चूहे प्लेगके फैलानेवाले हैं, इसी लिए यह देखा जाता है कि लोग चूहोंके पीछे पड़े रहते हैं, उन्हें जहर खिलाते और 'एंटीरेट' का शिकार बनाते रहते हैं, और म्यूनिसिपलटियाँ भी उनके खूनसे हाथ रँगा करती हैं । परन्तु, हालमें, कलकत्ता म्यूनिसिपलटीके हेल्थअफसर मि० क्रेकने इस विषयमें अपना जो मत प्रकट किया है, उससे, चूहोंको यदि, उन्हें कुछ भी दीन-दुनियांकी ख़बर होगी तो, कुछ खुशी अवश्य होगी । केक साहबका कहना है कि चूहोंके मारनेसे कोई लाभ नहीं है क्योंकि उनसे और प्लेगसे कोई सम्बन्ध नहीं है। उन्होंने कलकत्ताके म्युनिसिपल बोर्डके सामने अपना यह प्रस्ताव भी पेश कर दिया कि कलकत्ता म्यूनिसिपलटी चूहा-हत्यामें ६०००) रु० की रकम प्रतिवर्ष खर्च करती है अबसे इसके खर्च करनेकी आवश्यकता नहीं है । यद्यपि उनका प्रस्ताव माना नहीं गया तो भी उनकी बात एक कानसे सुनकर दूसरे कानसे उड़ाई नहीं जा सकती । वे साधारण योग्यताके मनुष्य नहीं हैं। उनकी यह दलील भी पूरा ज़ोर रखती है कि कलकत्ताके चतुर्थ खण्डमें, जहाँ चूहे नहीं मारे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522808
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 10 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size8 MB
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