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जैनहितैषी
पुस्तकें पढ़ लेते हैं और इस तरह एण्टेंस पास करने तक यहाँके छात्रोंकी अँगरेजी बहुत ही अच्छी हो जाती है; उच्चारण भी बहुत शुद्ध हो जाता है। ___ कृषिविद्या–मि० पियरसन और श्रीनगेन्द्रनाथ गांगुली बी. एस. सी. पढ़ाते हैं । यह विद्या क्रियाके द्वारा सिखलाई जाती है। लड़कोंने कुछ खेत भी बो रक्खे हैं जिनमें वे स्वयं कठोर परिश्रम करते हैं और अपने अनुभवको बढ़ाया करते हैं।
चित्रविद्या--बंगालके सुप्रसिद्ध चित्रकार श्रीयुक्त असितकुंमार हालदार इस विद्याके शिक्षक हैं। विद्यार्थियोंके बनाये हुए कई बढ़िया बढिया चित्र आश्रमकी शोभा बढ़ा रहे हैं। ___ संस्कृत--पं. भीमराव शास्त्री संस्कृतके शिक्षक हैं। इनके पढ़ानेका ढंग भी प्रायः अँगरेजीकी तरहका है। यहाँ शुरूसे संस्कृतके कठोर व्याकरण नहीं रटाये जाते हैं। ___ जिस विद्यार्थीको गायन-वादनका शौक होता है या जो इस कलाके योग्य समझा जाता है उसे यह भी सिखलाया जाता है। उक्त शास्त्रीजी ही इस विषयके शिक्षक हैं। ___ यहाँकी भोजनशालामें आमिष भोजन सर्वथा निषिद्ध है। प्रातःकाल कलेवामें दूध और थोड़ी सी मिठाई दी जाती है । आजकल आश्रमकी गोशालामें दूध कम होता है, इस कारण वह सिर्फ शामके ही भोजनके साथ दिया जाता है । भोजनमें चावल, दाल और शाक मुख्य हैं । जो विद्यार्थी सिर्फ चावल खाकर नहीं रह सकते उनको रोटी भी मिलती है। जो विद्यार्थी सबके साथ एकत्र एक
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