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बोलपुरका शांतिनिकेतन ब्रह्मचर्याश्रम।
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किसी अमीरका लड़का अधिक धन देने पर भी साधारण विद्यार्थीकी अपेक्षा अधिक आराम नहीं पा सकता है। आश्रमका मुख्य उद्देश्य बालकोंको धर्मात्मा, सच्चरित्र, कार्यक्षम, मजबूत और निडर बनाना है । यहाँ संस्कृत, बंगला, अँगरेज़ी, गणित, विज्ञान, इतिहास, भूगोल आदि विषय उत्तम शिक्षापद्धतिसे सिखलाये जाते हैं। विद्यार्थियोंको निरन्तर अध्यापकोंके साथ रहना पड़ता है। उनकी देखरेखके लिए प्रत्येक गृहमें काफ़ी अध्यापक रक्खे गये हैं। __ मैं आश्रममें तीन दिन तक रहा । मैंने न कभी किसी लड़केको इधर उधर व्यर्थ फिरते देखा और न कहीं कोई व्यर्थ गप्पें हाँकता हुआ ही दिखलाई दिया । विद्यार्थियोंको प्रत्येक काम करनेके लिए समय नियत है और तदनुसार वे कार्य भी करते हैं। इससे बहुत काम थोड़े ही समयमें आनन्दपूर्वक हो जाते हैं। उन्हें समयकी कंदर करना सिखलाया जाता है।
व्यायाम या कसरतका आश्रममें अच्छा प्रबन्ध है । दण्ड पेलना, बैठकें लगाना, कुश्ती लड़ना, दौड़ना, डबल बार करना आदि सब तरहकी कसरतें कराई जाती हैं। इससे विद्यार्थियोंका प्रत्येक अवयव सुदृढ होकर शरीर गठीला और सुन्दर बनता है । व्यायामके सिवाय विद्यार्थी फुटबाल, क्रिकेट, हाकी, टेनिस आदि खेल भी खेलते हैं । यहाँकी फुटबाल-पार्टी वीरभूम जिलेमें सर्वोत्तम है । इसने कई जगहकी पार्टियोंसे मेच लेकर पुरस्कार पाया है।
प्रत्येक विद्यार्थीके लिए ध्यानोपासना करना आवश्यक है; परंतु इस विषयमें उन्हें पूर्ण स्वाधीनता है कि वे अपने मत या अपने
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