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विचारशक्ति।
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करती है । इस वास्ते खराब विचारोंका प्रचार करनेवाला भी उस खूनका आधिकतासे जबाबदार है। अतएव उन अधम विचारोंके फैलानेसे खूनकी उत्तेजना देनेवाले उस दुष्टको भी इस भवमें किसी न किसी प्रकारका बदला अवश्य मिलना चाहिए। यदि ऐसा न हुआ तो उसे भवान्तरमें खूनके विचारोंके परिपाक स्वरूप कटुक फल भोगने ही होंगे। चाहे करोड़ों वर्ष बीत जायँ परतु किये हुए कार्यका नाश नहीं होता; अर्थात् जैसे शुभाशुभ कर्म हमने किये हैं उनका फल हमें भोगना ही पड़ता है। जिन मनुष्यों पर हम विचारों द्वारा असर पहुँचाते हैं वे हमारे पास मित्र या शत्रुरूपमें आते हैं। कदाचित् एक भवमें हम उनके साथ उत्पन्न न हो तो भी दूसरे भवमें हमारा उनका साथ अवश्य होगा। यह बात सच है कि जिन मनुष्यों पर हमारे विचारोंका असर पड़ा है उनका हमसे जल्दी या धीरे अवश्य समागम होगा । एक विद्वानका कथन है:--Have mastery over thy thoughts. O, Strive for perfection. अर्थात् अपने विचारों को अपने आधीन रक्खो और कार्यकी पूर्ण सिद्धिके लिए प्रयत्न किये जाओ। ___ दुष्ट विचारोंका परिणाम कैसा कटुक होता है यह हम ऊपर कह आये हैं। अब, विचारशक्तिका किस प्रकारसे सदुपयोग हो सकता है इस मनोहर चित्रकी ओर पाठकोंका ध्यान आकर्षण किया जाता है। जो शिक्षा हमें मिलती है उसका यदि हम व्यवहारमें उपयोग कर सकते हों तो उस शिक्षाकी सार्थकता है। हमें उचित है कि उपदेशके अनुसार अपना बर्ताव करें। यदि खराब विचारोंसे खराब
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