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________________ ३९४ जैनहितैषी खास तौर पर खींचना चाहता हूँ। मैं यह दिखलानेके लिए काफी कह चुका हूँ कि इस विषयकी बहुतसी बातोंका निर्णय होना बाकी है। - ज़मीनके ऊपरके स्मारकोंका निरीक्षण । ___ जमीनके ऊपरकी जैन इमारतोंका हाल सावधानीके साथ दरयाफ्त करने और लिखनेसे बहुतसी बातोंका पता लग सकता है । इन इमारतोंका अध्ययन जैनग्रंथों और चीनी प्रवासियों तथा अन्य लेखकोंकी पुस्तकोंके साथ करना चाहिए । जो मनुष्य इमारतोंके निरीक्षण करने और उनका वर्णन लिखनेका काम करें उनको सफलता प्राप्त करनेके लिए उन नक्शोंको जो मौजूद हैं बुद्धिमानीके साथ काममें लाना चाहिए, आसपासके स्थानोंका हाल साफ़ साफ़ लिखना चाहिए, हरएक चीज़का नाम ठीक ठीक लिखना चाहिए और फोटो खूब लेने चाहिए । चाहे जमीन खोदनेका काम न भी किया जाय तो भी ऐसे निरीक्षणोंसे जैनधर्मके इतिहास पर और विशेष कर इस बात पर कि जैनधर्मका विध्वंस उन देशोंमें कैसे . हुआ जहाँ उसके किसी समय ढेरके ढेर अनुयायी थे बहुत प्रकाश पड़ेगा। ग्रंथावली। मैं सब जिज्ञासुओंसे अनुरोध करता हूँ कि वे मि० गुरिनौके महान् ग्रंथ " जैनग्रंथावलीके विषयमें निबंध ” को पढ़ें । यह ग्रंथ पेरि 1. “Eessai de bibliographie Jaina,' published in the Jain Education inAnnales du musec Guimet, by Leroux Paris, 1906. For Personal & Private-dse Only www.jainelibrary.org
SR No.522806
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 07 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size11 MB
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