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________________ उपहारकी सूचना। अवधि बीत चको इस लिए अब जो भाई उपहार लेना चाहेंगे। उन्हें चार आने अधिक देना होंगे। अर्थात् अब उपहारके ग्रन्थों सहित २।) दो रुपया सात आनेका वी. पी. भेजा जायगा ।। ग्राहक सालके शुरूसे ही बनाये जाते हैं। प्रकाशित हुए चारों मँगा लेना चाहिए। उपहारके ग्रन्थ जो न मँगावेंगे उन्हें एक रुपया नौ अ वी. पी. भेज दिया जायगा । नमनेका अंक मुफ्त भेजा जाता है। टिकट भेजना चाहिए। फीजी द्वीपमें मेरे २१ वर्ष। बिलकुल नये ढंगकी पुस्तक है। पं. तोताराम सनाढ्य नामके एक सज्जन कुली बनाकर जबर्दस्ती फिजी द्वीपमें भेज दिये गये थे । वहाँने २५ वर्ष रहे । उस समय उन्हें और दूर भारतवासियोंको जो नरकयातनायें दी गई हैं उनका इसमें बड़ा ही दुःखप्रद वर्णन है । प्रत्येक भारतवासीको इसका पाठ करके अपने भाईयोंको इस दुःखसे बचानेका यत्न करना चाहिए । फिनी द्वीपके सम्बन्धमें सैकड़ों जानने योग्य बातें भी हैं। मूल्य ) मैनेजर-जैनहितैषी, गिरगांव-बम्बई. स्वामी रामायके सदुपदेश। पहला भाग छपकर तैयार है । पढ़ने योग्य है । मूल्य ।) रिपोर्ट में भूल। गत अंकके साथ जैनसिद्धान्तप्रकाशिनी संस्था काश रिपोर्ट बॉटी गई थी। उसमें राजवार्तिकनी पूर्ण ९) की जगह पूर्वा ६)रु. और शब्दार्णव चन्द्रिका ५) की जगह प्रथमखण्ड २) और २६॥) की जगह १९॥) समझना । दोनों ग्रन्थों के उत्तरार्ध अभीdain edamo natalem moment I For Personal & Private use only qar a shland.org
SR No.522803
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size9 MB
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