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जैनहितैषी
भी आनन्द मिलता है; परन्तु बहुतसे लोगोंका संकट मालूम नहीं होता है तथा जो मनुष्य संकटमें होते हैं उनको इस बातका पता लगानेमें भी बड़ा संकट होता है कि कहाँ सहायता मिल सकता है। इसलिए ' भारतजैनमहामण्डल' एक सहायक फण्ड खोलता है जिससे जो महाशय दुःखनिवारणमें सहायता देना चाहते हों वे अपना धन पुण्यमें लगा सकें और जिनको सहायता लेनी हो वे आसानीसे सहायता पासकें । इस संसारमें दुःख बहुत बहुत प्रकारके हैं और हरएक प्राणी किसी न किसी दुःखसे ग्रसित है। यह असम्भव है कि हर एकको हर प्रकार सहायता मिल सके। इस फण्डसे केवल जैनधर्मियोंका अचानक संकट या आपत्ति निवारण करनेका यत्न किया जावेगा । दुष्कालमें निर्धनोंकी सहायता और पशुरक्षा इसमें शामिल है । औषधसे सहायता देना, जो बिना रोज़गार हो उसको रोजगारमें लगाना, इस फण्डका साधारण काम होगा । एकाएक मकान गिर जाने पर, आग लग जाने पर, या लुटजाने पर जो संकट आजावे उसको मिटानेमें इस फंडका उपयोग किया जावेगा। ' दया धर्मका मूल है।' जो साधर्मी दुखित हैं उनकी सहायता करना सबसे बड़ा दयाका काम है । इसलिए आशा है कि सर्व भाई जो सहायता इस फंडमें दे सकते हैं वे अवश्य करेंगे और इस फंडमें द्रव्य भेजेंगे । हम विश्वास दिलाते हैं कि यह द्रव्य बहुत विचारके साथ खर्च होगा । जो भाई द्रव्य भेजेंगे उनको रसीद मिलेगी और इसका हिसाब छठे महीने प्रकाशित किया जावेगा । जिस समय कोई महाशय किसी प्रकारका दान करें वे इस दुःखनिवारक फण्डको
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