SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सेठ देवचन्दलालचन्द-पुस्तकोद्धार फण्ड । www.mmmmm सबका मूल्य लगभग १२) रु० होता है । हमारे पास संचालकोंने निम्न लिखित चार ग्रन्थ भेजनेकी कृपा की है: १ आनन्दकाव्यमहोदधि प्रथम मौक्तिक, (गुजराती ) २ पंचप्रतिक्रमण सूत्राणि .... .... (सं०प्राकृत) ३ दि कर्म-फिलोसोफी .... .... ( अँगरेजी ) ४ दि योग-फिलोसोफी .... .... ( , ) पहले ग्रन्थमें शालिभद्ररास, कुसुमश्रीरास, कुमारपाल-प्रस्ताविक काव्य, अशोकचन्द्र-रोहिणीरास और प्रेमलालक्ष्मीदास इन पाँच गुजराती काव्योंका संग्रह है । प्रारंभमें लगभग ६० पृष्ठका - विवेचन ' है जिसमें प्रत्येक काव्यके लेखकका इतिहास, काव्यका विशेषत्व आदि बातोंका विचार किया गया है । लगमग ५५० पृष्टका कपडेकी पक्की जिल्द बँधा हुआ ग्रन्थ है, तो भी मूल्य सिर्फ दश आना रक्खा गया है। दूसरा ग्रन्थ संस्कृत और प्राकृत भाषाका है । इसमें स्तवनों और प्रतिकमणसूत्रोंका संग्रह है । सवा दोसौ पृष्ठका पक्की जिल्दका ग्रन्थ है । मूल्य सिर्फ चार आना। तीसरा और चौथा ये दोनों ग्रन्थ अंगरजीके हैं। इनमें स्वर्गीय वीरचन्द राघवजी गांधी बी. ए. बैरिस्टर एट् लाके उन लेखों और व्याख्यानों संग्रह है जो उन्होंने अपने अमेरीकाके प्रवासमें स्थान स्थान पर दिये थे। ये दोनों ग्रन्थ बड़े ही महत्वके हैं और बड़े ही परिश्रमसे संग्रह किये गये हैं । उनका मूल्य भी बहुत ही कम अर्थात् पाँच पाँच आने है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522801
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy