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जननिर्वाण-संवत् ।
महावीर के निर्वाण और गर्दभिल्ल तक ४७० वर्ष का अन्तर पुरानी गाथा में कहा हुआ है जिसे दिगंबर और श्वेताम्बर दोनों दलवाले मानते हैं । यह याद रखने की बात है कि बुद्ध और महावीर दोनों एक ही समय में हुए । बौद्धों के सूत्रोंमें तथागत का निर्ग्रन्थ नाटपुत्र के पास जाना लिखा है और यह भी लिखा है कि जब वे शाक्यभूमिकी ओर जा रहे थे तब देखा कि पावामें नाटपुत्रका शरीरान्त हो गया है।
जैनों के · सरस्वती गच्छ ' की पट्टावली में विक्रम संवत् और विक्रमजन्म में १८ वर्ष का अन्तर मानते हैं। यथा--" वीरात् ४९२ विक्रम जन्मान्तरवर्ष २२, राज्यान्त वर्ष ४ ।” विक्रम विषयकी गाथा की भी यही ध्वनि है कि वह १७ वें या १८ वें वर्ष में सिंहासन पर बैठे । इस से सिद्ध है कि ४७० वर्ष जो जैन-निर्वाण और गर्दभिल्ल राजा के राज्यान्त तक माने जाते हैं, वे विक्रम के जन्मतक हुए--(४९२-२२=४७०) । अतः विक्रमजन्म ( ४७० म०नि० ) में १८ और जोड़ने से निर्वाण का वर्ष विक्रमीय संवत् की गणना में निकलेगा अर्थात् ( ४७०+१८ ) ४६८ वर्ष विक्रम संवत् से पूर्व अर्हन्त महावीर का निर्वाण हुआ। और विक्रम संवत के अब तक १९७१ वर्ष बीत गए हैं, अतः ४८८ वि० पू० +१९७१=२४५९ वर्ष आजसे पहले जैन--निर्वाण हुआ । पर 'दिगंबर जैन ' तथा अन्य जैनपत्रों पर नि० सं० २४ ४ देख पड़ता है। इसका समाधान यदि कोई जैनसज्जन करें तो अनुग्रह होगा। १८ वर्ष का फर्क गर्दभिल्ल और
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