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जैनहितैषी
विद्वान् हाथमें लेवें और हम उनकी कुछ भी सहायता न करें । काम हमारा और करें वे और उस पर हमारा मौनावलम्बन !
दयाचन्द्र गोयलीय, बी. ए.।
जैननिर्वाण-संवत् । जैनोंके यहाँ कोई २५०० वर्ष की संवत्-गणना का हिसाब हिन्दुओं भर में सब से अच्छा है। उससे विदित होता है कि पुराने समय में ऐतिहासिक परिपाटी की वर्षगणना यहां थी । और जगह वह लुप्त और नष्ट हो गई, केवल जैनों में बच रही । जैनों की गणना के आधार पर हमने पौराणिक और ऐतिहासिक बहुत सी घटनाओंको जो बुद्ध और महावीर के समय से इधर की हैं समयबद्ध किया और देखा कि उनका ठीक मिलान जानी हुई गणना से मिल जाता है। कई एक ऐतिहासिक बातों का पता जैनों के ऐतिहासिक लेख पट्टावलियों में ही मिलता है। जैसे नहपान का गुजरात में राज्य करना उस के सिक्कों और शिला लेखों से सिद्ध है। इसका जिक्र पुराणों में नहीं है । पर एक पट्टावली की गाथा में जिस में महावीर स्वामी और विक्रम संवत् के बीच का अन्तर दिया हुआ है नहपाण का नाम हम ने पाया । वह — नहवाण 'के रूपमें है। जैनों की पुरानी गणना में जो असंबद्धता योरपीय विद्वानों द्वारा समझी जाती थी वह हमने देखा कि वस्तुतः नहीं है। यह सब विषय अन्यत्र लिख चुके हैं। यहां केवल निर्वाण संवत् के विषय कुछ कहा जायगा ।
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